प्रयागराज (ब्यूरो)। कोरोना के बाद मंकी पॉक्स नामक बीमारी ने कई देशों की नींद उड़ा दी है। यूके, यूएस, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित अफ्रीकी देशों में से कई केस सामने आए हैं। इन देशों से रोजाना हजारों यात्री इंडिया आते हैं। यह तमाम शहरों के रहने वाले हैँ। यही कारण है कि सरकार ने एलर्ट जारी कर एडवाइजरी लागू करने को कहा है। प्रयागराज में बेली, काल्विन, डफरिन, टीबी, एसआरएन और चिल्ड्रेन अस्पताल को एलर्ट रहने को कहा गया है।
पुणे भेजा जाएगा सैंपल
एडवाइजरी में कहा गया है कि संदिग्ध मरीज का सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेज जाएंगे। इसके लिए ब्लड और थूक के नमूने लिए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक विदेश से आने वाले संदिग्ध मरीजों को तब तक आइसोलेशन में रखा जाएगा जब तक रैशेज वाली जगह पर नई त्वचा न मिल जाए या डॉक्टर आइसोलेशन खत्म करने की सलाह न दें। जो लोग मरीज के संपर्क में आए होंगे, उनको 21 दिनों की जांच अवधि में रखा जाएगा।
क्या हैं लक्षण और कैसे फैलता है मंकी पॉक्स
यह संक्रमित जानवर के काटने से या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फिर उसको छूने से हो सकता है
संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी मंकी पॉक्स हो सकता है
मंकी पॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है
शरीर में बुखार आने के साथ चकत्ते पड़ जाते हैं, शरीर में छाले निकल आते हैं
कहा जा रहा है कि ये लक्षण दो से चार हफ्ते रहते हैं
इस बीमारी का इनक्यूबेशन पीरियड 7 से 14 दिन है, कभी कभी यह 21 दिनों तक बढ़ जाता है।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है, इसमें चेचक के रोगियों जैसे लक्षण होते हैं, इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। संक्रामक होने के बावजूद इसे कम गंभीर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी जानलेवा नहीं है। इसके बावजूद संक्रमण से बचाव के लिये सावधान रहने की जरूरत है। इस बीमारी में मृत्युदर एक से दस फीसदी तक हो सकती है।
अभी शुरुआती स्टेज है। गवर्नमेंट की जो भी एडवाइजरी है उसके मुताबिक ही काम किया जाएगा। जो लोग विदेश से आए हैं उनकी निगरानी की जानी है। जिससे संदिग्ध लक्षण के मिलते ही उसे काबू किया जा सके।
डॉ। एके तिवारी
जिला सर्विालसं अधिकारी प्रयागराज