अनाथालयों से बच्चों को गोद लेने के लिए देश-विदेश से आ रहे हैं लोग

आनलाइन एडाप्शन प्रक्रिया से बच्चों को मिल रही कानूनी सुरक्षा

बदली सोच बदल रही लावारिस मिलने वाले बच्चों की तकदीर

ठुकराने वाले को लगता है कि वह भविष्य में बोझ बन जाएगा। यह एक पहलू है तो इसका दूसरा पहलू यह है कि अपनाने वाले को लगता है कि उन्हें बुढापे की लाठी मिल जाएगी। अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए लम्बी वेटिंग ऐसा ही संकेत देती है। लावारिश मिलने वाले 18 साल तक के बच्चों को गोद लेने वाले देश ही नहीं विदेश से भी आ रहे हैं। इस सप्ताह खुल्दाबाद स्थित शेल्टर होम से तीन मासूम कानूनी लिखा-पढ़ी के बाद अपने नये ठिकाने पर पहुंच चुके हैं। इन सभी को कानून की सिक्योरिटी के साथ ऐसा परिवार मिला है जो उनके साथ कोई छल नहीं कर सकता।

वेटिंग में दंपति, नंबर का इंतजार

अनाथ बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो चुकी है।

इसके लिए गवर्नमेंट ने कारा (सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथारिटी) वेबसाइट बनाई है।

कारा पर इस समय गोद लेने वालों की वेटिंग लिस्ट में तीन हजार दंपति शामिल हैं।

ये सभी एडाप्शन की कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने में लगे हैं। जब नंबर आएगा तो इनकी भी सूनी गोद भर जाएगी।

किस तेजी से बच्चों को गोद लेने में लोग दिलचस्पी ले रहे हैं, इसकी गवाही सरकारी आंकड़े देते हैं।

जनवरी 2020 से लेकर अब तक 46 बच्चे अपनो के बीच जा चुके हैं।

कई मामलों में हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।

पिछले पांच दिन में तीन बच्चे गोद लिए जा चुके हैं।

इनमें दो बच्चियां शामिल हैं। बता दें कि वर्तमान में खुल्दाबाद स्थित शेल्टर होम में 38 बच्चे हैं।

पहले ही भरनी पड़ती है च्वाइस

एडाप्शन की प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद बच्चों को गोद लेने में भी वेटिंग की नौबत आ गयी है। पहले ऐसा कोई प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं था तो बच्चा गोद लेने की आस रखने वालों को दलालों पर पैसा खर्च करना पड़ता था। प्रक्रिया आनलाइन होने से ट्रांसपेरेंसी आ गयी है और लोग आनलाइन अप्लाई करने लगे हैं। यहां उनके पास च्वाइस फिल करने का भी आप्शन मिल जाता है। इसमें एक कैटेगिरी फिजिकली चैलेंज्ड बच्चों की भी है।

अडाप्शन की पूरी प्रक्रिया

वेबसाइट पर बच्चे की जानकारी अपलोड किये जाने के बाद तीस दिन लगते हैं प्रक्रिया में

प्रक्रिया पूरी करने के बाद दंपति बच्चे का एडाप्शन रिजेक्ट करते हैं तो उन्हें इसका रीजन बताना होगा

रीजन एक्सेप्ट होने के 60 दिन बाद पुन: नए बच्चे की डिटेल वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाती है।

उन्ही बच्चों को गोद दिया जाता है जो लीगली इस लायक हो जाते हैं।

नियमानुसार 18 साल तक के बच्चों को गोद लिया जा सकता है।

दंपति वेबसाइट पर च्वाइस लॉक करते समय लड़के या लड़की का आप्शन फिल कर सकते हैं।

यूपी के लोगों में अडाप्शन के प्रति जागरुकता में काफी बढ़ोतरी दिख रही है। जो भी लोग बच्चा गोद लेने की इच्छा रखते हैं वह कारा वेबसाइट के जरिए ही आवेदन करें। इससे काम आसान हो जाएगा।

पंकज मिश्रा

जिला प्रोबेशन अधिकारी, प्रयागराज