प्रयागराज ब्यूरो, वरिष्ठ साहित्यकार हरि मोहन मालवीय ने कहा कि हिंदी के लिए विश्व स्तर पर कार्य होना चाहिए। हिंदी में जो संस्थाएं काम कर रही हैं उनकी सराहना की जानी चाहिए। समीक्षा करते हुए प्रो। हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा, मालवीय जी नाप तोल कर लिखते हैं। एक भी शब्द व्यर्थ नहीं लिखते। उन्होंने जो कुछ भी लिखा वह बहुत प्रमाणित है। उन्होंने अपने समय का प्रतिनिधित्व किया। उनकी पुस्तक हिंदी साहित्य के इतिहास की पूरक और प्रेरक है। स्पेशल गेस्ट हिंदुस्तानी एकेडेमी के सचिव देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हरिमोहन मालवीय साहित्य साधक हैं। उन्होंने लोगों को साहित्य परंपरा से जोड़ा है। रविनंदन सिंह ने कहा कि लोग छोटे-छोटे पद पाने के लिए लगे रहते हैं लेकिन मालवीय जी चिंतन में आकंठ डूबे रहे गहराइयों तक सृजन में जुटे रहे वाद-विवाद एवं पूर्वाग्रहों से दूर रहे। विवेक सत्यांशु ने अपने संस्मरण प्रस्तुत किए। संयोजक डॉ शांति चौधरी ने हरि मोहन मालवीय का परिचय देते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। संचालन ज्योतिर्मयी और धन्यवाद ज्ञापन पुस्तक की प्रकाशक डॉ श्वेता चौधरी ने किया। आलोक चतुर्वेदी को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। श्याम कृष्ण पांडे, अरविंद मालवीय, अरिंदम घोष, डॉ अनीता गोपेश, सुषमा शर्मा, गौरव मनु मालवीय समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।