प्रयागराज (ब्यूरो)। यह बात सही है जनाब, अब एक व्यक्ति के नेत्रदान करने से दो नही बल्कि चार लोगों के जीवन में उजाला फैलेगा। इस नई तकनीक का प्रयागराज में भी इस्तेमाल हो रहा है। कुछ लोगों को इस तकनीक से लाभ प्राप्त हुआ है। डॉक्टर्स का कहना है कि इससे नेत्रदान करने वालों का हौसला भी बढ़ेगा। बता दें कि शुक्रवार से नेत्रदान पखवाड़े की शुरुआत की गई है और लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करने की स्वास्थ्य विभाग की मुहिम की शुरुआत हो गई है।
ऐसे काम करती है नई तकनीक
अभी तक क्या होता था कि एक व्यक्ति के नेत्रदान करने से उससे दो कार्निया प्राप्त होती थीं। इसे अलग अलग दो नेत्रहीन लोगों को प्रत्यारोपित कर उनकी एक-एक आंख को रोशनी प्रदान की जाती थी। लेकिन अब दो की जगह चार व्यक्तियों की एक-एक आंख को रोशनी दी जा रही है। इस तकनीक का यूज करने से पहले देखा जाता है कि जिसको रौशनी प्रदान की जानी है उसकी कार्निया की कौन सी लेयर खराब है। क्योंकि कार्निया की दो लेयर होती है। ऐसे में आगे और पीछे की लेयर मिलाकर एक कार्निया से दो लोगों को प्रत्यारोपण का लाभ प्रदान किया जाता है। प्रयागराज में इस तकनीक से आपरेशन की शुरुआत हो गई है। एमडीआई अस्पताल के डायरेक्टर प्रो। एसपी सिंह इस तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।
आठ घंटे तक होता है गोल्डन ऑवर
बता दें कि किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद अगले छह से आठ घंटे का गोल्डन ऑवर होता है।
इस पीरियड तक उसका कार्निया निकालकर यूज किया जा सकता है।
इसके पीछे भी प्रॉसेस है। जीवित रहते उस व्यक्ति ने नेत्रदान की इच्छा जाहिर की हो और मरने के बाद परिजन इसकी सूचना डॉक्टरों को दे दें तो कार्निया का प्रत्यारोपण किया जा सकता है।
कई मामलों में देखने में आया कि परिजनों ने नेत्रदान की इच्छा रखने वाले की मृत्यु के बाद स्वास्थ्य विभाग या आई बैंक को जानकारी नही दी।
पांच साल में गिनती के प्रत्यारोपण
एमडीआई हॉस्पिटल में इस समय आठ सौ लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है।
यह वह लोग हैं जिन्हे कार्निया की जरूरत है। प्रत्यारोपण के जरिए उनकी आंखों की रोशनी लौट सकती है।
यह संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। लेकिन इसका हल उनके हाथ में है, जिनकी आंखें मरने के बाद परिजन दान कर देते हैं।
कोरोना काल के पहले कार्निया प्रत्यारोपण बड़ी संख्या में हुए था। लेकिन इसके बाद यह संख्या तेजी से नीचे आई है।
कारण है कि लोग नेत्रदान में इंट्रेस्ट नही लेते हैं। पिछले दो साल में एक हजार लोगों ने नेत्रदान की शपथ ली लेकिन 80 लोगों का ही कार्निया प्रत्यारोपण कर रोशनी प्रदान की जा सकी।
कब कितनों को मिली आंखें
वर्ष कार्निया प्रत्यारोपण
2018-19 82
2019-20 59
2020-21 10
2021-22 38
2022-23 42
कब कितने नेत्रहीनों ने कराया प्रत्यारोपण के लिए रजिस्ट्रेशन
वर्ष प्रत्यारोपण रजिस्ट्रेशन
2021-22 425
2022-23 359
इन्होंने ली नेत्रदान की शपथ
वर्ष शपथकर्ता
2021-22 520
2021-22 460
सीएमओ ने दिखाई हरी झंडी
शुक्रवार को नेत्रदान पखवाड़े की शुरुआत के अवसर पर सीएमओ डॉ। आशु पांडेय ने हरी झंडी दिखाकर पखवाड़े का शुभारंभ किया। इस दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा रैली का आयोजन किया गया। यह रैली सीएमओ आफिस से चलकर बेली अस्पताल पर समाप्त हो गई। इस दौरान लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लेकर दूसरों को भी प्रेरित किया। सीएमओ ने कहा कि मरणोपरांत कोई भी आई बैंक में नेत्रदान कर सकता है। जिससे चार लोगों को रौशनी प्रदान की जाती है। इस अवसर नेत्रदान पखवाड़े के नोडल अधिकारी डॉ। एसके सिंह, एसीएमओ डॉ। सत्येंन राय, डॉ। तीरथ लाल, डॉ। आरके पांडेय, डॉ। आरके श्रीवास्तव, डॉ। अशोक कुमार, डॉ। रावेंद्र सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
नई तकनीक की प्रयागराज में शुरुआत हो गई है। जब एक व्यक्ति से मिली दो कार्निया से चार लोगों को प्रत्यारोपण के जरिए रौशनी प्रदान की गई है। इसका बहुत फायदा होगा। नेत्रदान के जरिए चार गुना लोग इस दुनिया को देख सकेंगे।
प्रो। एसपी सिंह, डायरेक्टर, एमडीआई हॉस्पिटल प्रयागराज