प्रयागराज (ब्यूरो)।तहसील मुख्यालय से लगभग 300 मीटर दूर ग्राम पंचायत बारा खास के मजरा डांडी में पुलिया पूरी तरह से जर्जर हो गई है। लोगों को आवागमन के लिए बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। बारिश में तालाबों में पानी भर जाता है। मजरों में जाने के लिए एक मात्र पुलिया ही रास्ता है। जर्जर होने से मार्ग पर पानी भर जाता है। ऐसे में नौनिहालों को काफी फजीहत उठानी पड़ती है। जूता हाथ में लेकर बच्चें विद्यालय शिक्षा ग्रहण करने जाते है। इसी रास्ते पर पानी रोकने के लिए गुलाबा बना है।
मरम्मत के नाम पर खानापूरी
1995 में ग्राम प्रधान रामकिशुन ने छत डालकर लोगों को आने जाने के लिए व्यवस्था की थी, लेकिन उसके बाद क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मतीकरण के नाम पर खानापूरी किया गया था। इस समय काफी दिनों से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। फिर भी एक मात्र रास्ता होने की वजह से मजबूरी में जान जोखिम में डालकर जाना पड़ता है। ऐसे में किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।
तीन हजार लोग करते हैं आवागमन
रास्ते से क्षेत्र के चार-पांच मजरे के लगभग 3000 आबादी के लोग आवागमन करते हैं। बरसात के पहले अगर पुलिया का निर्माण ना कराया गया तो मजरे में बसे लोग मार्केट आने के लिए तरस जाएंगे। एक ही मार्ग होने की वजह से कभी घटना दुर्घटना होने पर खाट पर लादकर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। ग्राम प्रधान संतोष कुमार जायसवाल ने बताया कि पुलिया टूटने से किसी भी समय बड़ी घटना घट सकती है। ग्रामीणों में कृष्ण कुमार कुशवाहा, लालमन यादव, केदारनाथ, सीताराम कुशवाहा, सूर्य लाल कुशवाहा, माताबंर कुशवाहा, राम बहादुर यादव, राम बहादुर कुशवाहा, माधवेंद्र कुशवाहा आदि ने पुलिया के निर्माण की मांग की है।
बारा से मजरा डांडी तक सड़क न बनने से पगडंडी (कच्चा) रास्ते पर आवागमन करना पड़ता हैं जिसमें बारिश में आने जाने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। सामान लेकर जाने और मुश्किल हो जाता है।
विवेक कुमार यादव
बारा से मजरा डांडी में जाने के लिए तालाब के भीट पर बनी पुलिया पूरी तरह से टूट गई है। इससे हम लोगों को आने जाने में समस्या होती है। अगर बारिश के पहले पहले नहीं बनी तो पानी में उतर कर जाना पड़ेगा।
श्याम सुंदर कुशवाहा
आजादी से अब तक किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी की निगाह इस मजरे की ओर नहीं पड़ी। बिजली पानी और सड़क की बड़ी समस्या से हम लोग जूझ रहे हैं। बारिश में पैदल चलना मुश्किल हो जाता है।
राकेश कुमार
सड़क न होने से हम लोगों के घर तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते हैं। साइकिल, बाइक से मजरे से आकर के तहसील में स्टांप वेंडर का काम करते हैं। शादी विवाह में काफी दूर से चक्कर लगाना पड़ता है।
जयप्रकाश कुशवाहा, एडवोकेट