कोरोना संक्रमण की निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद हड्डियों में प्रॉब्लम
हड्डियों में ब्लड न पहुंचने से बढ़ रही समस्या
PRAYAGRAJ: कोरोना का इफेक्ट लंग्स तक पहुंच जाने के बाद भी हौसले के बूते जिंदगी की जंग जीत चुके लोग अब हड्डियों से जुड़ी समस्या सामने आने के चलते तंग हो चुके हैं। जिन लोगों ने कोरोना संक्रमित होने के बाद उससे जंग जीत ली है। उन लोगों में हड्डियों के कमजोर होने से लेकर ज्वाइंट पेन की समस्या अब खड़ी होने लगी है। साथ ही हड्डियों को लेकर बोन डेथ होने की समस्या भी अब सामने आने लगी है।
दर्द ने कर दिया है बेहाल
सिटी के फेमस आर्थो सर्जन डॉ। जितेन्द्र जैन ने बताया कि पोस्ट कोविड मरीजों में हड्डियों में दर्द, ज्वाइंट पेन की समस्या दिख रही है। डॉ। जैन ने बताया कि अब तक की स्टडी में आया है कि जिन मरीजों ने कोरोना संक्रमण के दौरान स्टेरायड लिया है। इसके प्रभाव से भी हड्डियों में दिक्कत आ रही है। साथ अभी तक यहां पर एवस्कुलर नेक्रोसिस का कोई मामला तो सामने नहीं आया है। लेकिन कई दूसरी सिटी में ऐसे मामले सामने आने की सूचनाएं आ रही है।
एक्सरसाइज व योग नहीं करने से हो रही दिक्कत
डॉ। जैन के अनुसार पोस्ट कोविड पेसेंट के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि वह एक्सरसाइज और योग से दूरी बनाए हुए हैं। जिससे उनकी हड्डियों में सही प्रकार से ब्लड नहीं पहुंच पा रहा है। साथ ही कमजोरी के कारण भी हड्डियों और जोड़ों में दर्द की समस्या लगातार दिख रही है। ऐसे पेसेंट भी आ रहे है। जिनके अंदर इस तरह की समस्याएं बनी हुई है। उनके लिए जरूरी है कि वह नियमित रूप से व्यायाम और योग को अपने जीवन शैली में शामिल करें। इससे हड्डियों की भी एक्सरसाइज होती है और उनके खून का प्रवाह अच्छा होता है। इससे उनके जोड़ों में दर्द आदि की समस्या भी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
ये है बोन डेथ
बेली के आर्थो सर्जन डॉ। एपी सिंह ने बताया कि एवस्कुलर नेक्रोसिस को हड्डी के ऊतकों की मृत्यु के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसा रोग है, जो हड्डी तक पर्याप्त खून नहीं पहुंचने की वजह से होता है। जो आमतौर पर फीमर या कूल्हे की हड्डी में होता है। खून की हड्डी तक नहीं पहुंचने के कारण उसके ऊतक मर जाते हैं। जिससे नेक्रोसिस हो जाता है। नेक्रोसिस बॉडी की किसी भी हड्डी में हो सकता है।
ये है बोन डेथ के कारण
- जांघ और कूल्हे की हड्डी में दर्द
- हर समय हड्डियों में दर्द रहना
- चलने में परेशानी होना
- हाथ, कंधे, घुटने, पैर और जोड़ों में दर्द
बोन डेथ का ये है इलाज
डॉ। एपी सिंह के अनुसार बोन डेथ में जितनी जल्दी इलाज शुरूहोगा इसके पूरी तरह से ठीक होने के चांसेज भी उतने ज्यादा होंगे। इसे पहचानने में देर हो जाए, तो रिप्लेसमेंट ही उपचार बचेगा। कई बार हड्डी की क्षतिग्रस्त आंतरिक परत और कोर डीकंप्रेसन को हटाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है।
पोस्ट कोविड मरीजों में हड्डियों में दर्द की समस्या आ रही है। हालांकि इसका सबसे बड़ा कारण है कि उनका एक्सरसाइज और योग से दूरी बनाना। जिसके कारण खून का प्रवाह हड्डियों तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचना है।
डॉ। जितेन्द्र जैन