अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र रहने से पूजन का बढ़ा महत्व
स्नान, दान करके लोगों ने भगवान विष्णु का किया ध्यान
वैशाख शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि शुक्रवार को अक्षय तृतीया को सनातन धर्म के लोगों ने पूरे परम्परा के साथ मनाया। लोगों ने सुबह स्नान आदि करके भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी के विधि विधान के साथ पूजन किया। अक्षय तृतीया के बारे में भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण में भी विशेष महत्व बताया गया है। सुख-समृद्धि की प्रतीक अक्षय तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का प्राकट्य हुआ था। सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत महत्व है। अक्षय तृतीया एक ऐसी तिथि है, जिस पर गृहप्रवेश, नींव पूजा, नए व्यवसाय की शुरुआत, नई नौकरी की शुरुआत, नई वस्तुएं खरीदने व विवाह का आयोजन किया जा सकता है। यहीं कारण है कि इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है।
घरों में ही रहे लोग
अक्षय तृतीया पर इस बार लॉकडाउन होने के कारण लोगों ने घरों में ही रहकर पूजन आदि किया। इस दौरान कई लोगों ने अपने पुरोहितों से ऑनलाइन जुड़ कर हवन-पूजन किया। जिससे उनके परिवार पर भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहे। इस दौरान लोगों ने दान का संकल्प भी लिया। हालांकि मंदिरों में आम लोगों के जाने की इजाजत नहीं होने के कारण सिर्फ पुजारियों की उपस्थिति में भगवान का पूजन किया गया। जबकि कुछ लोगों ने मंदिर के बाहर से ही दर्शन किए। अक्षय तृतीया का जैन धर्म में भी विशेष धाíमक महत्व है। मन, वचन एवं श्रद्धा से वर्षीतप करने वाले को महान समझा जाता है। जैन धर्मावलंबियों ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन जैन धर्म में आहार दान किया जाता है और इस दान की विशेषता के बारे में बताया जाता है।
भगवान वेणी माधव का हुआ भव्य श्रृंगार
अक्षय तृतीया पर भगवान वेणी माधव का चंदन श्रृंगार व चरण दर्शन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। मंदिर व्यवस्थापक डॉ वैभव गिरि, पुजारी सर्वदा तिवारी, माघवेंद्र के देखरेख में भगवान का अभिषेक पूजन अर्चन हुआ। इसके बाद दिन में भगवान का चंदन लेपन का कार्य संपन्न हुआ। सायंकाल 5 बजे बजे भक्तों को भगवान का चरण दर्शन कराया गया। इस दौरान कोविड-19 के दिशा के अनुरूप मंदिर के बाहर से ही भक्तजनों ने दर्शन किया। रात्रि 8 बजे भव्य महाआरती हुई।