मेले में आने वालों के आकर्षण का केंद्र होगी लखटकिया कुटिया

क्षेत्र में गीता प्रेस के शिविर में चल रहा निर्माण कार्य

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ALLAHABAD: माघ मेले को लेकर संगम किनारे बस रही तंबुओं की नगरी में माडर्न कल्चर को पारंपरिक नजरिए से जोड़ता हुआ लखटकिया बंगला हर किसी को अलौकिकता का अहसास कराएगा। गीता प्रेस गोरखपुर के शिविर में पहली बार एक नहीं बल्कि तीन ऐसी कुटिया का निर्माण होने जा रहा है। यहां तीन लखटकिया कुटिया के अलावा 12 बंगला और 30 अन्य झोपडि़यां भी बनाई जा रही हैं।

कांसा व पुआल से हो रहा निर्माण

खाक चौक के संगम लोअर मार्ग पर स्थित गीता प्रेस के शिविर में बंगला और झोपड़ी का निर्माण कार्य चल रहा है। कांसा व पुआल के मिश्रण से बन रहे बंगले का काम रीवा से आए एक दर्जन से अधिक कारीगर कर रहे हैं। सभी बंगला और झोपड़ी बनाने का काम 11 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। लखटकिया बंगले में कल्पवास करने के लिए गीता प्रेस के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका अपने परिजनों के साथ पहुंचेंगे।

तीन बड़े बंगले : एक लाख रुपए की लागत, 20 फीट चौड़ा और 24 फीट लम्बा

12 बंगले : 50 हजार रुपए की लागत, 14 फीट चौड़ा और 24 फीट लम्बा

30 झोपडि़यां : प्रति झोपड़ी 30 हजार रुपए की लागत, इसमें सिरकी नहीं लगेगा

अटैच बाथरूम भी होगा

प्रत्येक बंगला बनाने के लिए पहले जमीन पर ईट बिछाई जाएगी और ईट पर पुआल डालकर उसे जूट के जट से सिला जाएगा। बंगले के साथ अटैच बाथरूम भी बनेगा। इसमें टाइल्स भी लगाई जाएगी।

ईट, कांसा और सिरकी से निर्माण

गीता प्रेस के शिविर में बंगला माडल पर बन रही कुटिया में कांसा, सिरकी और ईटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। 15 बंगला बनाने के लिए 100 क्विंटल कांसा मंगाया गया है। वहीं कन्नौज से दस क्विंटल सिरकी लाई गई है।

विशिष्टजन रहने आएंगे

एक-एक लाख रुपए की लागत से बनने वाली कुटिया (बंगला) में गीता प्रेस के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका, कथावाचक राजेन्द्र दास व राजस्थान के प्रख्यात संत शरणानंद महाराज रहेंगे। बाकी कुटिया और झोपड़ी में भी गीता प्रेस से संबंधित लोग कल्पवास करने आएंगे।

मेला क्षेत्र में यह अनोखा शिविर है। प्राचीन समय के ऋषियों की कुटिया को ध्यान में रखकर इसे आधुनिक तरीके से बनाया जा रहा है। बंगला मॉडल पर आधारित 15 कुटियां और 30 झोपड़ी बनाई जा रही है।

उमा शंकर पांडेय, मैनेजर, गीता प्रेस

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तंबुओं की नगरी में झोपड़ी कल्चर

तंबुओं की नगरी में जहां अब तक तम्बू ही तम्बू दिखाई देते थे वहीं इस बार संगम की रेती में झोपड़ी कल्चर भी दिखेगा। माघ मेले में त्रिवेणी मार्ग और संगम लोअर मार्ग पर पांच संन्यासियों के शिविर में झोपडि़यों को नजारा दिखाई देगा। त्रिवेणी मार्ग पर झूंसी की ओर अखिल भारत वर्षीय धर्म संघ के शिविर में इस बार एक नहीं बल्कि 16 झोपडि़यां बनाई जा रही हैं। संघ के संस्थापक अध्यक्ष प्रबल जी महाराज के लिए कांसा व पुआल से निर्मित 24 फटी लम्बी और 12 फीट चौड़ी झोपड़ी बनाई जा रही है। अन्य 15 झोपडि़यां 10 फीट चौड़ी व उतनी ही लम्बी बन रही हैं। निर्मल आश्रम, काशी के शिविर में आठ आलीशान झोपड़ी तो अंतर्राष्ट्रीय सनातन धर्म संस्थान कानपुर के शिविर में पांच झोपडि़यां बनाई जा चुकी हैं। साकेत धाम में महामंडलेश्वर विनायका बाबा के शिविर में भी तीन झोपड़ी बनाई जाएगी। धर्म संघ के शिविर में 16 झोपड़ी बनवाने वाले ठेकेदार प्रदीप वर्मा ने बताया कि पहले झोपडि़यों का प्रचलन मेला में बहुत कम दिखाई देता था। इस बार मौसम के लिहाज से संन्यासियों ने अधिक से अधिक झोपड़ी बनाने का आर्डर दिया है।

मौसम को देखते हुए संतों ने सुरक्षा के लिहाज से झोपडि़यों में रहने का निर्णय लिया है। यही उनके लिए उचित भी है।

प्रदीप वर्मा, झोपड़ी बनवाने वाले ठेकेदार