प्रयागराज ब्यूरो । बारिश का नही होना छोटे बच्चों के लिए काल बनता जा रहा है। भीषण उमस में डायरिया उनके लिए जानलेवा रुख अख्तियार कर चुका है। अस्पतालों में बच्चों के वार्ड तेजी से फुल हो रहे हैं। खुद डाक्टर्स भी मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर हैरान हैं। चिल्ड्रेन, बेली, काल्विन और डफरिन अस्पताल सहित तमाम अस्पतालों का यही हाल है। यहां एक साल से छोटे बच्चों को लगातार भर्ती कराने का क्रम जारी है।

ध्यान नही दिया फेल हो सकती है किडनी

बारिश की कमी से आद्र्रता का प्रतिशत 90 से अधिक हो चुका है। ऐसे में उमस अधिक होने से बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आदि अधिक सक्रिय हो चुके हैं। इनकी वजह से टाइफाइड, पीलिया और डायरिया आदि के मरीज बढु रहे हैं। सबसे ज्यादा घातक एक साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया हो चला है। इसके सीवियर केसेज की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

एक बेड पर दो बच्चे एडमिट

डायरिया के केसेज बढऩे की वजह से चिल्डे्रन अस्पताल के इमरजेंंसी वार्ड में एक बेड पर दो बच्चों को एडमिट करना पड़ रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि आनन फानन में आने वाले मरीजों को स्टेबल करना जरूरी होता है। इसके बाद उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। डफरिन अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भी लगभग सभी बेड पर डायरिया के मरीजों को भर्ती किया गया है। बेली और काल्विन वार्ड के पीकू वार्डों का भी यही हाल है। एक बच्चे को ठीक होने में पांच से सात दिन का समय लग रहा है।

इन लक्षणों पर रखिए निगाह

- बार बार लैट्रिन होना

- पेशाब का कम होना

- दूध पीने के बाद बच्चे का उल्टी कर देना

- कमजोर और सुस्त हो जाना

- लैट्रिन के रास्ते खून का आना

कारण

- बच्चे को बोतल से दूध अधिक पिलाना

- पानी की मात्रा कम देना

- मां का दूध प्रापरली नही मिल पाना

- बच्चे की साफ सफाई पर ध्यान नही देना

- छह माह से अधिक के बच्चे को ऊपरी आहार कम देना

वरना किडनी पर होगा असर

डॉक्टर्स का कहना है कि सीवियर डायरिया में बच्चे की किडनी पर भी असर पड़ सकता है। अधिक लैट्रिन होने पर वह पेशाब करना बंद कर देता है तो इससे किडनी खराब हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि ऐसे लक्षण नजर आएं तो बच्चे को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज कराएं। उसके शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखें। समय समय पर ओआरएस का घोल पिलाते रहें।

थोड़ी बारिश से बिगड़ा मौसम का मिजाज

शनिवार शाम हल्की बारिश हुई। इससे लोगों को लगा कि मौसम में ठंडक आएगी लेकिन ऐसा नही हुआ। रविवार को दोपहर में भीषण गर्मी और उमस से लोग बेहाल हो गए। सड़क पर चलना दूभर रहा। पसीने से बेहाल कई लोगों को चक्कर का भी सामना करना पड़ा। एक्सपट्र्स का कहना था कि जब तक जोरदार बारिश नही होगी, प्रयागराज में उमस से लोगों को परेशानी होती रहेगी।

अधिक उमस होने पर संक्रमण के चांसेज बढ़ जाते हैं। बारिश हो तो मौसम ठंडा हो जाता है। यही कारण है कि बच्चों में डायरिया के मामले बढ़ रहे हैं। एक साल से कम उम्र के बच्चों में सीवियर डायरिया के मामले बढ़ रहे हैं। लापरवाही करने पर इनकी किडनी पर प्रभाव पड़ सकता है।

डॉ। एमवी सिंह, एचओडी, चिल्ड्रेन अस्पताल