Allahabad: एक तरफ जहां स्टेट गवर्नमेंट अपनी विभिन्न योजनाओं में स्पोट्र्स को आगे बढ़ाने की बात कर रही है, वहीं, अमिताभ बच्चन स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स में बिलियड्र्स सालों से धूल फांक रहा है। इस ओर किसी स्पोट्र्स अधिकारी का ध्यान नहीं गया। ऐसा भी नहीं है कि सिटी में बिलियड्र्स के प्लेयर नहीं हैं.
ऐतिहासिक है यह बिलयड्र्स टेबल
स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स के कर्मचारियों की मानें तो हॉल में रखा बिलियड््र्स टेबल उस जमाने का है जब कभी यहां अंग्रेज खेला करते थे। आज इस टेबल की सही से देखरेख करने वाला कोई नहीं है। अंग्रेजों का यह सिविल डिफेंस का ऑफिस हुआ करता था। यहां सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ लगी रहती थी। वर्ष 2006 में पोस्टिंग के दौरान जब इस बिलियड््र्स हॉल की दुर्दशा की जानकारी डीएम अमृत अभिजात को हुई तो उन्होंने इसकी रिपेयरिंग के लिए अलग से फंड जारी किया। उन्होंने आदेश दिया कि इसे तत्काल रिपेयर करवाकर प्लेयर्स की प्रैक्टिस के लिए खोला जाए। मगर उस वक्त पोस्ट किसी भी स्पोट्र्स अधिकारी ने इसको सीरियसली रहीं लिया.
All equipments are available
स्पोट्र्स कॉम्प्लेस में स्थित इस बिलियड््र्स हॉल से जुड़े सभी इक्युप्मेंट आज भी रखे हैं। चाहे वह स्टिक हो या फिर बॉल। फिर भी यह टेबल एक बंद कमरे में क्यों रखा गया है? इस बारे में यहां का कोई भी कर्मचारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। शायद स्पोट्र्स ऑफिसर्स के डर से कोई अपना मुंह नहंी खोलना चाहता है। बताया जाता है कि करीब तीन-चार साल से आशाराम नामक व्यक्ति को स्पेशली गेम हॉल और गेम की देखरेख के लिए तैनात किया गया था। अगर तैनाती के बावजूद इस हाल की यह हालत है तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन है। क्या आज से पहले तैनात यहां के अधिकारी यहां फिर कोई और.
सिटी में हैं कई players
ऐसा नहीं है कि बिलियड््र्स खेलने वाले स्टेट या नेशनल लेबल के प्लेयर नहीं हैं। सिटी में कई ऐसे प्लेयर्स हैं जिन्होंने इस गेम को जिंदा रखा है। उनमें से सबसे सीनियर योगानंद सिन्हा हैं। इन्होंने स्टेट से लेकर वल्र्ड लेबल तक कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और मेडल हासिल किया। यंग प्लेयर्स में विनायक अग्रवाल, संजय कुमार, सुहैल सिद्दीकी जैसे सिटी के नामी प्लेयर्स स्टेट और नेशनल लेबल पर अपना नाम रोशन कर चुके हैं। कई प्लेयर्स का कहना है कि अगर कॉम्प्लेक्स में इस गेम को लोगों के लिए खोल दिया जाए तो सिटी के कई ऐसे प्लेयर्स सामने आएंगे जो देश और दुनिया में इस गेम के जरिए अपना और शहर का नाम रोशन करेंगे.
ऐतिहासिक है यह बिलयड्र्स टेबल
स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स के कर्मचारियों की मानें तो हॉल में रखा बिलियड््र्स टेबल उस जमाने का है जब कभी यहां अंग्रेज खेला करते थे। आज इस टेबल की सही से देखरेख करने वाला कोई नहीं है। अंग्रेजों का यह सिविल डिफेंस का ऑफिस हुआ करता था। यहां सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ लगी रहती थी। वर्ष 2006 में पोस्टिंग के दौरान जब इस बिलियड््र्स हॉल की दुर्दशा की जानकारी डीएम अमृत अभिजात को हुई तो उन्होंने इसकी रिपेयरिंग के लिए अलग से फंड जारी किया। उन्होंने आदेश दिया कि इसे तत्काल रिपेयर करवाकर प्लेयर्स की प्रैक्टिस के लिए खोला जाए। मगर उस वक्त पोस्ट किसी भी स्पोट्र्स अधिकारी ने इसको सीरियसली रहीं लिया।
स्पोट्र्स कॉम्प्लेस में स्थित इस बिलियड््र्स हॉल से जुड़े सभी इक्युप्मेंट आज भी रखे हैं। चाहे वह स्टिक हो या फिर बॉल। फिर भी यह टेबल एक बंद कमरे में क्यों रखा गया है? इस बारे में यहां का कोई भी कर्मचारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। शायद स्पोट्र्स ऑफिसर्स के डर से कोई अपना मुंह नहंी खोलना चाहता है। बताया जाता है कि करीब तीन-चार साल से आशाराम नामक व्यक्ति को स्पेशली गेम हॉल और गेम की देखरेख के लिए तैनात किया गया था। अगर तैनाती के बावजूद इस हाल की यह हालत है तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन है। क्या आज से पहले तैनात यहां के अधिकारी यहां फिर कोई और.
ऐसा नहीं है कि बिलियड््र्स खेलने वाले स्टेट या नेशनल लेबल के प्लेयर नहीं हैं। सिटी में कई ऐसे प्लेयर्स हैं जिन्होंने इस गेम को जिंदा रखा है। उनमें से सबसे सीनियर योगानंद सिन्हा हैं। इन्होंने स्टेट से लेकर वल्र्ड लेबल तक कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और मेडल हासिल किया। यंग प्लेयर्स में विनायक अग्रवाल, संजय कुमार, सुहैल सिद्दीकी जैसे सिटी के नामी प्लेयर्स स्टेट और नेशनल लेबल पर अपना नाम रोशन कर चुके हैं। कई प्लेयर्स का कहना है कि अगर कॉम्प्लेक्स में इस गेम को लोगों के लिए खोल दिया जाए तो सिटी के कई ऐसे प्लेयर्स सामने आएंगे जो देश और दुनिया में इस गेम के जरिए अपना और शहर का नाम रोशन करेंगे।
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