प्रयागराज (ब्यूरो)। मकर संक्रांति का पर्व पतंगबाजी न हो भला ऐसे कैसे हो सकता है। पर्व पर पतंगबाजी के पीछे एक धार्मिक मान्यता है। हम आप को यह मान्यता बताएं, तो आप जान लीजिए कि पर्व के मद्देनजर शहर में पतंग व्यापार की स्थिति क्या रही। पर्व पर पतंग उड़ाने वाले वाले शौकीनों की भीड़ रविवार को पतंग की दुकानों पर जबरदस्त रही। हर कोई अच्छी से अच्छी वैरायटी की पतंग दुकानों पर खोजता रहा। बात रेट की करें तो पतंग के कलर व गुणवत्ता के आधार पर दुकानदार दाम वसूल रहे थे। हालांकि मार्केट में सबसे निम्न क्वालिटी की पतंग 10 रुपये से शुरू था। हालांकि इस रेट की पतंग लोग छोटे-छोटे बच्चों के लिए ही खरीद रहे थे।
30 रुपये में 200 मीटर लटाई का रेट
200 रुपये में 500 मीटर खूब बिका मांझा
10 रुपये पतंग का शुरुआती रेट दुकान पर
150 से दो सौ रुपये तक पतंग का हाईएस्ट रेट
प्रोफेशनल पतंगबाजों की पसंद महंगी
इन सब के बीच प्रोफेशनल पतंगबाज भी कम नहीं थे। ऐसे पतंग बाजों की संख्या भी हर दुकान पर खूब दिखाई दी। पतंग उड़ाने वाले यह हर प्रोफेशनल व शौकीन युवा कम से कम आधा दर्जन पतंग खरीद रहे थे। ऐसे लोगों की पसंद 50 रुपये से लेकर डेढ़ व दो सौ रुपये वाली पतंग थी। शौकीनों के मुताबिक जिस पतंग का जितना अच्छा बैलेंस उसका उतना रेट होता है। बैलेंस का सारा कमाल उसमें लगाई गई बांस की पतली-पतली डंडी का होता है। इसके बाद कागज की बात आती है। पतंग बहुत ऊपर जाने केबाद कमजोर कागज फट जाते हैं। इस लिए कागज की मजबूती पर भी गौर करना होता है। कागज मजबूत नहीं होंगे तो वह बहुत ऊपर जाने के बाद फट जाते हैं। हालांकि पतंग की यह सारी खासियत प्रोफेशनल पतंगबाज ही देखते हैं। बाकी शौकिया पतंग उड़ाने वाले लोग बहुत ऊड़कर 20 से 50 रुपये तक की ही पतंग पर अटके रहे। पतंग खरीद रहे इन शौकीनों ने कहा कि मकरसंक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है हम यह जानते हैं। इसके पीछे एक धार्मिक मान्यता भी हुड़ी है। वह धार्मिक मान्यता क्या है? इस सवार पर वे खामोश नजर आए।
मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। हम उसी परंपरा को निभाते हैं। यह परंपरा गुजरात में बड़े ही भव्य तरीके से निभाई जाती है। वहां पर पर्व के दिन पतंग उड़ाने के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। देखने व पतंग उड़ाने वाले सैकड़ों लोगों की भीड़ लगती है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है।
बलबीर सोनकर, बैंक रोड
पतंग उड़ाने में हमें आनन्द मिलता है और अच्छा लगता है। हम ठंडी के दिनों में पतंग उड़ हमेशा उड़ाते हैं। फिर मकर संक्रांति तो पतंग उड़ाने का पर्व है ही। बचपन में जो पतंग 50 पैसे व एक रुपये में मिला करती थी आज वह बीस रुपये मिलती है। पतंग का रेट आज उसकी क्वालिटी पर निर्भर है।
वैभवन कुमार, कटरा
पतंग बेचने का काम हम कई वर्षों से करते आ रहे हैं। आज इसके शौकीन उतने नहीं हैं जितना कि पिछले दस पांच साल पूर्व हुआ करते थे। अब पतंग उड़ाने के शौकीनों की संख्या कम हो गई है। चूंकि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है। इस लिए व्यापार अच्छा हो जाता है। दो तीन दिन से पतंग की सेल अच्छी हो रही है।
विक्की, दुकानदार कटरा
हमारा पतंग व्यापार का पुस्तैनी धंधा है। शौकीन कल भी थे और आज भी हैं, बस लोगों के पास पतंग उड़ाने का समय नहीं है। बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर तो बड़ों पर परिवार व रोजगार और नौकरी का प्रेशर है। वक्त के साथ महंगाई जिस तरह से बढ़ी है उसके मुताबिक पतंग का रेट कुछ नहीं बढ़ा है। पुस्तैनी काम है तो कर रहे हैं।
राम लखन, दुकानदार कटरा