कर्नलगंज पुलिस ने मजार तिराहे के पास से किया गिरफ्तार, पिस्टल बरामद
आरोपित ने नागेंद्र पर कई साल पहले फर्जी मुकदमे में फंसाने का भी इल्जाम लगाया
ALLAHABAD: बार-बार होने वाले अपमान का घूंट नहीं पी सका इसलिए गोली मार दी। यह कहना था इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र पर जानलेवा हमला करने वाले आरोपी सरदार सिंह का। सरदार सिंह को रविवार को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर मजार तिराहे के पास से दबोच लिया। वह कोर्ट में सरेंडर करने की फिराक में था। पुलिस ने उसे मीडिया के सामने पेश करते हुए मामले का खुलासा किया।
विवाद से तंग आकर चला गया था दिल्ली
अभियुक्त सरदार सिंह पुत्र अम्बिका सिंह निवासी बलई थाना बदलापुर जनपद जौनपुर का रहने वाला है। पिता आरएएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर मुम्बई में तैनात हैं। मामले का खुलासा करते हुए एसपी सिटी सिद्धार्थ शंकर मीणा ने बताया कि सरदार सिंह कई साल पहले इलाहाबाद विवि का छात्र था। पूछताछ में उसने बताया कि यूनिवर्सिटी में बीए की पड़ाई के दौरान नागेन्द्र सिंह, अवनीश व कुछ अन्य लोगों ने बेवजह विवाद करने के बाद उसे हॉस्टल से सामान समेत बाहर निकाल दिया था। इतना ही हत्या के प्रयास का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में उसे तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा था। लगातार कई विवाद और झगड़े के बाद सरदार सिंह इन सबसे आजिज आकर दिल्ली प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने चला गया।
अचानक ताजे हो गए पुराने जख्म
पुलिस को सरदार सिंह ने बताया कि चार अप्रैल को आरओ/एआरओ की परीक्षा देने के लिए वह वापस आया और हिंदू हॉस्टल में रुका। यहां उसे पता चला कि नागेंद्र और उसके साथी हॉस्टल के छात्रों से उसकी पुरानी बातें बताकर उसकी बेइज्जती कर रहे हैं। नागेन्द्र यह यह भी कह रहा है कि उसने इलाहाबाद से बाहर भगा दिया और अगर दुबारा दिखा तो उसका हाथ-पैर तोड़ देगा। यह सुनकर सरदार सिंह के पुराने जख्म ताजा हो गए और उसने एक साथी की पिस्टल लेकर नागेंद्र पर हमला बोल दिया। घटना वाले दिन दर्शन शास्त्र विभाग में परीक्षा देने बैठे नागेंद्र सिंह पर सरदार ने फायर झोंक दिया। इसके बाद वह भाग निकला। पहले वह लखनऊ गया और फिर यहां से औरैया में रहने वाले अपने एक दोस्त के पास चला गया। कोर्ट में सरेंडर करने के लिए रविवार दोपहर वह इलाहाबाद आया था। तभी इंस्पेक्टर कर्नलगंज सत्येंद्र सिंह की टीम ने घेराबंदी कर मजार तिराहे से दबोच लिया। एसपी सिटी ने यह भी बताया कि 2011 में सरदार सिंह, शैलेष और शशांक के खिलाफ बम से हमला करने का मुकदमा लिखा गया था।