प्रयागराज (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने थानों में जाकर उन बाइकों की पड़ताल की जो कुछ दिन पहले 'टाइगर गैंगÓ का भंडाफोड़ कर पुलिस ने दर्जनों चोरी की बाइक बरामद की थी। बाइक पर लिखे चेचिस व इंजन नंबर के जरिए पूरा डिटेल्स निकाला गया। बाइक पर लिखा नंबर व आरटीओ में फीड डाटा बिल्कुल सही था। उसके बाद रिपोर्टर ने पुलिस से बातचीत की। इस दौरान निकाल कर सामने आया कि सिर्फ पता चेंज होता है। बाकि सब सेम रहता है। यानी कि फर्जी आरसी बनाकर पता व मोबाइल नंबर हटाकर बेचा करते थे। ताकि परिवहन एप से पुलिस भी चेक करें तो धोखा खा जाए। आखिरकार यह बाइक चोरी की है या नहीं।
फीडिंग न होने का देते थे झांसा
पड़ताल में यह भी बात सामने आई कि परिवहन एप व दिखाई गई फर्जी आरसी के जरिए गिरफ्त में लेते थे। उसके बाद उनके नाम से बाइक ट्रांसफर कर बेच देते थे। लेकिन यह ट्रांसफर सही तरीके से नहीं बल्कि फर्जी आरसी पेपर तैयार कर बेच देते थे। जब भी पुराने मालिक का नाम शो करने पर आरटीओ में फीडिंग न होने की बात करते थे। इस तरह से पूरा खेल चलता था। अगला व्यक्ति यह सोच में रहता था कि कुछ दिन बाद उसका नाम चढ़ जाएगा। जबकि आपके जानकारी के लिए बता दें। गाड़ी ट्रांसफर होते ही फौरन दूसरे व्यक्ति का नाम दिखने लगता है।
बाइक का इंजन और चेचिस नंबर चेक करने पर यह डिटेल्स सामने आई
1 -
नाम - धर्मेन्द्र यादव
बाइक नंबर - यूपी 70 सीई 3739
पता - 88/1/101 कन्धईपुर तालाब धूमनगंज
2-
नाम - राजेश
बाइक नंबर - यूपी 70 ईवी 5888
पता - हाउस नंबर 530 शिवाजी मार्ग नियर हाथी गेट राजरूपपुर
3-
नाम - शने आलम
बाइक नंबर - यूपी 70 सीक्यू 9042
पता - 26 सब्जी मंडी शाहगंज
आपके इस पड़ताल से चोरी हुई बाइक के पीडि़तों को काफी मदद मिल सकती है। जिनको यह जानकारी मिलेगी कि पकड़े गए गैंग के लोग बाइक नंबर सही इस्तेमाल कर फर्जी आरसी बनाकर बेचा करते थे।
डा। सियाराम वर्मा, एआरटीओ प्रशासन