- हालमार्क सेंटर पर फेल हो रहे हैं पचास फीसदी
- दिए गए कैरेट से कम निकल रहा सोना, बीआईएस को भेजी जा रही रिपोर्ट
- तीन महीने की बढ़ाई गई है मियाद, इसलिए मिल रही है छूट
प्रयागराज- सावधान, आपके पास जो गहने हैं उसकी गुणवत्ता एक बार चेक करा लीजिए। ऐसा तो नहीं कि जितना कैरेट दिया गया है, गहने में उतना सोना मौजूद नहीं है। ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि हालमार्क सेंटर पर आने वाले कुल ज्वैलरी पीसेज के पचास फीसदी फेल हो रहे हैं। इनमें मानक से कम सोना पाया जा रहा है। जिसकी रिपोर्ट बीआईएस को भेजी जा रही है। हालांकि सरकार द्वारा सख्ती की मियाद तीन माह बढ़ा दिए जाने के बाद ज्वैलर्स को इन गहनों के मानक को ठीक करने का समय मिल गया है।
रोजाना आते हैं दर्जनों सैंपल
बीआईएस की ओर से चौक में हालमार्क सेंटर खोला गया है। यहां पर गहनों की शुद्धता को जांचने के बाद उसमें हालमार्क की मुहर लगाई जाती है। फिलहाल ऐसा नही हो रहा है। पचास फीसदी आने वाले गहनों के सैंपल फेल हो रहे हैं। इनमें मानक से कम सोना पाया जा रहा है। सेंटर संचालक का कहना है कि दिनभर में दर्जनों पीस आते हैं और उनकी गुणवत्ता की जांच करने के बाद हालमार्क अप्रूव किया जाता है। जो गहने मानक पर खरे नही उतरते, उनको वापस कर दिया जाता है। जिससे ज्वैलर गहने में अतिरिक्त सोना मिलाकर उसका मानक तैयार कर सके। फेल हुए सैंपल की रिपोर्ट बीआईएस को भेज दी जाती है।
सैंपल फेल हुआ तो होगी कार्रवाई
अभी फेल होने वाले गहनों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। सरकार ने हालमार्क नियमों को सख्ती से लागू करने की मियाद को फिर से तीन माह बढ़ा दिया है। अभी तक एक सितंबर तक ही ज्वैलर्स को नियमों में छूट दी गई थी लेकिन ज्वैलर्स की मांग पर फिर से इसकी मियाद बढ़ा दी गई है। बता दें कि हालमार्क सेंटर पर एक सैंपल की जांच के एवज में 35 रुपए और जीएसटी वसूला जाता है। यह सरकार द्वारा निर्धारित फीस है।
क्या है नियम
दरअसल सरकार चाहती है कि बाजार में अब हालमार्किंग किए हुए गहने ही बेचे जाएं। इसके लिए बीआईएस ने सेंटर बना रखा है। इस सेंटर पर ज्वैलर्स अपने तैयार किए गए हुए गहनों को लेकर जाते हैं। ताकि इनको हालमार्क अप्रूवल मिल सके। लेकिन अफसोस की 50 फीसदी गहने जांच के दौरान ही फेल हो जा रहे हैं। एग्जाम्पल के तौर पर अगर ज्वैलरी 22 कैरेट की है तो उसमे इतना सोना होना ही चाहिए।
आसान नहीं है रजिस्ट्रेशन कराना
बीआईएस (ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड) में रजिस्ट्रेशन कराना ज्वैलर्स के लिए आसान नहीं है। इसके लिए ज्वैलर्स को अपनी दुकान का नक्शा उपलब्ध कराना पड़ता है। व्यापारियों का कहना है कि दशकों साल पुरानी दुकानों का नक्शा ढूंढना मुश्किल है। बहुत से ज्वैलर्स नगर निगम में जाकर नक्शे बनवाने को पापड़ बेल रहे हैं। अब तक 170 ज्वैलरी व्यापारियों ने अपना बीआईएस रजिस्ट्रेशन करा लिया है।
हमारे पास जितने भी ज्वैलरी पीस आते हैं उसमें से पचास फीसदी फेल हो रहे हैं। इन पीसेज की जानकारी बीआईएस को भेजकर हम माल ज्वैलर्स को वापस कर देते हैं। जिससे वह इसमें अलग से सोना मिलाकर ज्वैलरी तैयार करवा सकें।
पवन तिवारी, संचालक, हालमार्क सेंटर
बीआईएस में रजिस्ट्रेशन कराना ज्वैलर्स के लिए आसान नहीं है। इसमें तमाम डाक्यूमेंट्स के साथ दुकान का नक्शा देना होता है। कई दुकानदारों पर यह नक्शा उपलब्ध नहीं है। उनकी दुकान कई दशक पुरानी है।
दिनेश सिंह, अध्यक्ष, प्रयाग सर्राफा एसोसिएशन