प्रयागराज (ब्यूरो)12 बीघे उपजाऊ जमीन को छीन लिया। पति को गायब करवा दिया। बेटे पर फायरिंग, फिर घर में घुसकर कई बार पीटा गया। इसके बाद भी जयश्री कुशवाहा ने हिम्मत नहीं हारी है। वह अतीक अहमद से 33 साल से लड़ रही है। अब उसे भी उम्मीद जगी है कि शायद आतंक का अंत हो जाय और उसे भी न्याय मिले। कम से कम इतना तो पता चल ही जाय कि पति कहां हैं? इस दुनिया में हैं भी या नहीं? हैं तो कहां और किस हाल में हैं।

15 साल से गायब, फाइल में मृत

इस महिला का पूरा नाम सूरजकली कुशवाहा उर्फ जयश्री है। उनकी उम्र 60 साल है। उनके पति सालों से गायब हैं। कानूनन कोई 10 साल सेज्यादा गायब रहता है तब उसे फाइलों में मृत घोषित कर दिया जाता है। जय श्री कुशवाहा के पति 15 साल से गायब हैं। धूमनगंज इलाके के झलवा की रहने वाली जयश्री के पति बृजमोहन कुशवाहा के पास 12 बीघा से अधिक जमीन थी। इस पर बढिय़ा खेती होती थी। परिवार का पालन-पोषण हो रहा था। एक दिन अचानक सब कुछ बदल गया। जयश्री के पति गायब हो गए। जमीन पर अतीक का कब्जा हो गया। जयश्री कहती हैं कि अतीक के अब्बू फिरोज के पास लाल रंग का एक ट्रैक्टर था। इस ट्रैक्टर से किसानों के खेतों की जुताई-बुवाई होती थी। यही ट्रैक्टर उनके खेत में भी चलता था। उनकी जमीन देखकर अतीक के मन में लालच जाग गया। अतीक का करीबी लेखपाल एक दिन जयश्री के पास आया और कहा कि उनकी जमीन शिवकोटी सहकारी आवास समिति के नाम पर दर्ज हो गई है।

समिति के नाम हो गई थी जमीन

दरअसल, अतीक ने शिवकोटी सहकारी समिति बनाकर जयश्री की पूरी जमीन अपने नाम करवा ली थी। अतीक ने इसमें दो लोगों को सचिव बनाया और इस जमीन को बेचना शुरू कर दिया। जयश्री के अनुसार 1989 में एक दिन उनके पति अचानक से गायब हो गए। वह कहाँ गए किसी को पता नहीं। इसके कुछ दिनों बाद उन्हें पता चला कि जमीन अब उनकी नहीं रही। जमीन जयश्री और उनके परिवार के जीवनयापन का सबसे बड़ा सहारा था। इसलिए उन्होंने गाँव वालों से सहायता माँगी और अपनी जमीन वापस पाने के लिए कोर्ट में आपत्ति दाखिल कर दी। इस बीच उन्हें यह पता चल गया था कि जमीन हड़पने का पूरा खेल अतीक अहमद का था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने बताया कि जब उनकी जमीन हड़पी गई, तब अतीक अहमद विधायक था। उसने उन्हें कई बार अपने कार्यालय में बुलाया। अतीक के बुलावे पर जब वह पहली बार गईं तो उसने कहा कि तुम्हारा पति मेरा बहुत खास था। अब नहीं रहा। इसलिए अब तुम्हारे परिवार जिम्मेदारी मेरी है। अपनी जमीन दे दो और घर में रहो।

मना करने पर टूटा कहर

जयश्री के अनुसार उन्होंने अतीक के ऑफर को ठुकरा दिया था। इसके बाद अतीक के गुर्गों ने कई बार घर में घुसकर उनके साथ मारपीट की। उसके गुर्गेउन्हें लगातार धमकी देते रहे। लेकिन उन्होंने हमेशा ही अतीक का डटकर मुकाबला किया। वे अपने भाई प्रह्लाद कुशवाहा की करेंट लगने से हुई मौत के लिए भी अतीक अहमद को जिम्मेदार ठहराती हैं। उनका कहना है कि बीते 30 सालों में उनपर 7 बार हमला हुआ। अतीक के गुर्गों ने सैंकड़ों बार उन्हें धमकियाँ दीं। साल 2016 में उनके घर के सामने बेटे और परिवार पर हमला हुआ। इसमें उनके बेटे को गोली लगी थी। लेकिन, बेटे की जान बच गई। जयश्री के अनुसार वह कई सालों तक कोर्ट और थाने के चक्कर काटती रहीं। लेकिन, अतीक के खिलाफ कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही थी। साल 1991 में उन्हें अतीक के खिलाफ पहली एफआईआर करवाने में कामयाबी हासिल हुई। साल 2001 में आरोपों को निराधार बताकर केस बंद कर दिया गया।

सीलिंग एक्ट से रुका अतीक का रास्ता

2005 में जयश्री को बड़ी सफलता मिली। सीलिंग एक्ट से अनुमति नहीं मिलने के कारण शिवकोटी सहकारी आवास समिति का नामांतरण रद्द हो गया। इसके बाद जमीन उनके नाम पर दर्ज कर दी गई। साल 2007 में सूबे के सियासत में परिवर्तन हुआ। इसके बाद अतीक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई और कार्रवाई का सिलसिला शुरू हुआ। जयश्री के वकील का कहना है कि इस मामले में कुल 4 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। सभी मामलों में अब तक पुलिस विवेचना भी पूरी नहीं हो पाई है। पुलिस ने अतीक और अशरफ के अलावा किसी अन्य आरोपित के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल नहीं की है। जयश्री और उनके परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखकर प्रशासन ने दो जवान तैनात किए हैं।