प्रयागराज (ब्यूराे)। हादसे में मृत व्यापारी जाकिर उर्फ गुड्डू तेलियरगंज शिलाखाना के निवासी हैं। उनका एक मकान रसूलाबाद ढाल के नीचे मेहदौरी कॉली के पहले तिराहे पर है। इसी मकान में वह किराने की दुकान चलाया करते थे। दुकान की कमाई से वह पत्नी सीमा परवीन व बेटे जैनुल और बेटी हुदा की परवरिश किया करते थे। मिलनसार स्वभाव के जाकिर की एक्सीडेंट में मौत सुनकर उनके परिवार व जानने वाले लोग सन्नाटे में आ गए। बताते हैं कि रविवार को शाम करीब चार बजे वह बाइक से बेटी हुदा को लेकर सामान खरीदने चौक जा रहे थे। उनके पास खरीदारी के लिए 40 हजार रुपये भी थे। वह सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के पीछे पहुंचे तो मंदिर गेट से रेड लाइट पोल तक जाम की स्थिति थी। मंदिर केट से चौराहे तक ई-रिक्शा व टैक्सी व दूसरी तरफ प्राइवेट बसें रोज खड़ी थीं। लोग बताते हैं कि बाइक सवार गुड्डू मंदिर गेट पास धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। अचानक पहुंची रोडवेज की जनरथ बस लेकर चालक तेजी से निकलने की कोशिश कर रहा था। जाम के हालात वाले टर्निंग पर चालक की यही कोशिश व्यापारी के मौत की वजह बन गई। व्यापारी के बाइक में बस से टक्कर लग गई। वह बाइक लेकर बेटी के साथ मंदिर केट के सामने गिर पड़ा। गिरते ही उसकी बेटी ढनगते हुए दूर पहुंच गई। जबकि व्यापारी गुड्डू पर बस का पहिया चढ़ गया। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। लोग कहते हैं कि जब सभी पहुंचे तो बाइक सवार यानी गुड्डू की मौत हो चुकी थी।
पुलिस घायल बेटी को एसआरएन पहुंचाया
सिविल लाइंस इंस्पेक्टर फोर्स के साथ पहुंचे और मतक की बेटी हुदा को एसआरएन हॉस्पिटल में एडमिट करवाए। इसके बाद गुड्डू की बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दी। परिवार वाले एसआरएन हॉस्पिटल पहुंचे और बच्ची को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल चले गए। देर रात तक परिवार की तरफ से बस के खिलाफ पुलिस को काई तहरीर नहीं दी जा सकी थी।
चालीस हजार वाला थैला गायब
एसआरएन हॉस्पिटल पहुंचे जाकिर उर्फ गुड्डू के परिजनों की मानें तो उसके पास एक थैले में 40 हजार रुपये थे। हादसे के बाद वह रुपये न तो पुलिस को मिले और न ही परिजनों को। माना जा रहा है कि एक्सीडेंट हुआ तो किसी इंसानियत विहीन दौलत के भूखे शख्स ने ले लिया होगा। हालांकि पुलिस को कहना है कि रुपयों की जानकारी उसे नहीं है। आई-ट्रिपल-सी में चेकिंग के दौरान बस व बस के नंबर तो क्लियर दिखे। मगर, कोई थैला या कुछ सामान उठाते हुए कोई व्यक्ति नजर नहीं आया।
जाम न होता तो शायद बच जाती जान
सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के पीछे हुए हादसे में व्यापारी की मौत का सबसे बड़ा कारण कार्नर पर संचालित अवैध वाहन अड्डा है।
मंदिर गेट से लेकर चौराहे तक दर्जनों ई-रिक्शा, तिपहिया वाहन सवारी की लालच में खड़े रहते हैं।
जबकि इसी रोड पर दूसरी साइड प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, लखनऊ आदि को जाने वाली प्राइवेट बसें मोड़ पर ही अपना अड्डा बना रखी हैं।
इन की वजह से यह अहम चौराहे के टर्निंग पर हनुमान मंदिर के पीछे जाम की स्थिति बनी रहती है।
इनके अलावां ठेलिया व खोंचे वाले भी रोड़ पर डेरा जमाए रहते हैं। हनुमान मंदिर के पीछे की यह सड़क आवागम की दृष्टि से काफी अहमद और व्यवस्थ मानी जाती है।
इस तरफ सब कुछ जानते व देखते हुए भी न तो प्रशासनिक अफसर कार्रवाई करते हैं और न ही पुलिस इन पर एक्शन लेती है।
लोग कहते हैं कि इस स्थिति के चलते यहां छोटे-मोटे हादसे तो रोज होते थे।
रविवार को हुए हादसे में व्यापारी की मौत का एक बड़ा कारण यह जाम भी है।
बच्चों की परवरिश कैसे करेगी पत्नी
एसआरएन हॉस्पिटल पहुंचे परिजन व लोगों की मानें तो उनका बेटा जैनुल व बेटी हुदा कक्षा पांच व छह में पढ़ती है। दुकान चलाकर ही गुड्डू बच्चों की पढ़ाई का भी खर्च चलाते थे। उनकी मौत से बच्चों की शिक्षा व पत्नी की परवरिश पर संकट के बादल छा गए हैं। उनकी मौत का सबसे ज्यादा असर बच्चों की शिक्षा पर माना जा रहा है। क्योंकि उनकी पत्नी गृहणी हैं। ऐसे में उनकी पत्नी इन बच्चों की पढ़ाई से लेकर अन्य तमाम खर्चों का बोझ कैसे उठा पाएगी।
हादसे में एक व्यक्ति की मौत हुई है। वह किराना व्यापारी बताए जा रहे हैं। उनकी बेटी की हालत इलाज बाद खतरे के बाहर है। जिस बस से हादसा हुआ वह रोडवेज की जनरथ है। उसका नंबर ट्रेस कर लिया गया है। चालक व कंडक्टर भाग गए हैं। बस मिल गई है।
जेपी शाही, इंस्पेक्टर सिविल लाइंस