- मंदिरों में जन्माष्टमी उत्सव को लेकर दूसरे दिन भी दिखा उत्साह

- रामानुजाचार्य परम्परा को मानने वालों ने मनाया भगवान का प्राकट्योत्सव

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PRAYAGRAJ: श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर अलोपीबाग में मंगलवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। उदया तिथि में रोहिणी नक्षत्र को मानते हुए रामानुजाचार्य परंपरा को मानने वाले लोगों ने भगवान को जन्मोत्सव मनाया। जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य ने मंत्रोच्चार के बीच श्रीशालिग्राम भगवान का विधि-विधान से अभिषेक व पूजन किया। उन्होंने भगवान से कोरोना संक्रमण का खात्मा करने की कामना की। पूजन में हर्षचैतन्य ब्रह्माचारी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

कन्हैया को लगा माखन-मिश्री का भोग

इस्कॉन मंदिर में मंगलवार की सुबह भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाया गया। भगवान के लिए काशी के गोपाल मंदिर से माखन-मिश्री मंगाया गया था। वहीं अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के संस्थापक आचार्य श्रीकृष्णकृपा श्रीमूíत श्रीअभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के जन्मोत्सव भी मनाया गया। इस मौके पर प्रभुपाद का अभिषेक-पूजन हुआ। 125वें जन्मोत्सव का आरंभ होने के उपलक्ष्य में चांदी के 125 कलशों में 21 प्रकार द्रव्य भरकर प्रभुपाद की प्रतिमा का महाभिषेक किया गया। इसके बाद कृष्णमुक्ति दास ने विधि-विधान से प्रभुपाद का पूजन करके 125 प्रकार के व्यंजनों का भोग अर्पित किया। मुंशी राम की बगिया में भी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर रंगबिरंगी झालरों से सजाया गया था।

पथरचट्टी में कजरी भक्ति गीतों की हुई प्रस्तुति

श्रीपथरचट्टी रामलीला कमेटी में चल रहे छह दिवसीय श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को मिर्जापुर की फेमस कजरी गायिका ऊषा गुप्ता ने लोक संस्कृति से जुड़ी कजरी की प्रस्तुतियां दी। इस दौरान उन्होंने 'मइया झूले चनन झुलनवा, पवनवा चंवर झुलावे ना, पिया मेहंदी लिआय द मोतीझील से जाइके साइकील से ना, तीज कजरी क दिन नगिचान बा, रंगाय द पिया लाल चुनरी, झूला पड़ा कदम की डारी, झूलैं कृस्न मुरारी नाकी प्रस्तुति दी। श्रोताओं ने भी कजरी गीतों का जमकर लुत्फ उठाया। इसके पहले कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश पाठक व महामंत्री विजय सिंह ने ऊषा को स्मृतिचिह्न प्रदान किया। संयोजन धर्मेद्र कुमार और प्रवक्ता लल्लूलाल गुप्त 'सौरभ' ने किया। इस दौरान गिरधारीलाल अग्रवाल, रामचंद्र पटेल, विष्णु जी अग्रवाल, राजीव गुप्त 'बिट्टू', गोपाल जी केसरवानी मौजूद रहे।