प्रयागराज (ब्यूरो)। राजकुमार वर्मा ने 30 जून 2019 शिवकुटी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी पत्नी जया देवी 27 जून को मार्निग वाक करने जा रही थी, तभी रास्ते में बाइक सवार बदमाश गले से चेन लूटकर फरार हो गए। पुलिस ने मुकदमा कायम किया। फिर 13 सितंबर को पुलिस वादी पीडि़त के घर पहुंचकर जानकादी देते हुए संतोष रावत पर लूट करने का आरोप लगाया। जबकि वह दूसरे मुकदमे में जेल में बंद था। अपर सत्र न्यायाधीश नुसरत खान की अदालत में आरोपित के द्वारा मामले में आरोप मुक्त किए जाने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करके दावा किया कि पुलिस ने उसे मनगढ़ंत और फर्जी तरीके से फंसा दिया है। प्रस्तुत उन्मोचन प्रार्थना पत्र के आधार पर कोर्ट ने नैनी जेल के अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की।
जेल से आयी रिपोर्ट ने खड़े किये कान
अधीक्षक ने रिपोर्ट में बताया कि अभियुक्त संतोष रावत 14 मई 2019 से एक जुलाई 2019 तक केंद्रीय कारागार में निरुद्ध था। मगर पुलिस की फर्द बरामदगी गिरफ्तारी के अलावा पुलिस पार्टी द्वारा लिए गए बयान का स्थान कर्नलगंज थाने का हवालात दिखाया गया है। मामले की गंभीरता देखते हुए कोर्ट ने दोबारा जेल अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की। जेल अधीक्षक द्वारा 23 नवंबर 2021 को फिर रिपोर्ट दी कि आरोपित 14 मई से एक जुलाई तक केंद्रीय कारागार में ही रहा। इस दौरान किसी भी न्यायालय में पेश नहीं किया गया। वह कारागार परिसर के बाहर भी नहीं गया। इस पर कोर्ट ने माना कि अभियुक्त जब जेल के अंदर था, तब उसके द्वारा घटना किए जाने कोई प्रश्न ही नहीं उठता। इसके बाद आरोपित को उस आरोप से मुक्त कर दिया।
विवेचक ने नहीं करायी शिनाख्त
अदालत ने कहा कि पुलिस ने गुडवर्क दिखाने के लिए आरोपित को फंसाने के लिए फर्जीवाड़ा किया। विवेचक ने घटना सत्यापित करने के संबंध में कोई प्रयास नहीं किया गया और न ही कोई शिनाख्त कराई गई। आइपीसी की धारा 392, 411, 413, 414 जैसे गंभीर अपराध में दाखिल किया जाना, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
13 दिसंंबर तक मुकदमा दर्ज करें
कोर्ट ने एसएसपी को आदेश दिया है कि विवेचक व गिरफ्तारी में शामिल सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध 13 दिसंबर तक मुकदमा दर्ज कर अदालत को अवगत कराएं। साथ ही सभी के विरुद्ध विभागीय व अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाएं। गिरफ्तारी के बाद मनमाने रूप से आरोपित के नाम जोडऩे की प्रकृति की प्रभावी रूप से निगरानी करें। अदालत ने आदेश की कापी, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग को भेजने का निर्देश दिया है।