प्रयागराज ब्यूरो । नैनी कोतवाली में बीते 31 दिसंबर को चिकित्सक ने मामला दर्ज कराया था। इसमें उन्होंने बताया था, कि एक अनजान नंबर से उन्हें फोन आया था। इसमें उनसे 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगने के साथ तीन दिनों में पैसा न देने पर जान से मारने की धमकी दी गई थी। पुलिस ने जब इसकी पड़ताल शुरु की, तो पता चला, कि वादी डाक्टर विवेक सिंघल का रूद्रा अपार्टमेंट में एक फ्लैट था। इसे उन्होंने एक माह पूर्व रामचंद्र केसरवानी से विक्रय किया था। फ्लैट का बकाया मेंटीनेंस खर्च को लेकर रामचंद्र केसरवानी से विवाद चल रहा था। इसके चलते डाक्टर द्वारा पूर्व नियोजित ढंग से षडय़ंत्र के तरह रामचंद्र के खिलाफ फर्जी मुकदमें में फंसाने की नीयत से नैनी जेल के पूर्व से बंद बंदी राजेश तिवारी, जिसका इलाज जेल अस्पताल में उनके द्वारा किया जा रहा था। उसके माध्यम से बंदी राजेश तिवारी के पुत्र कार्तिकेय तिवारी को षडय़ंत्र के तहत स्वयं अपने मोबाइल नंबर पर रंगदारी धमकी दिए जाने के लिए तैयार किया गया। कार्तिकेय त्रिपाठी द्वारा षडयंत्र में अपने साथी अंजनी दुबे, दिव्यांशु शुक्ला व अजय कुमार गौर को शामिल किया गया। इस लोगों द्वारा मिथ्या साक्ष्य तैयार किए जाने व फर्जी आईडी से सिम प्राप्त किया गया और फिर इसी नंबर से चिकित्सक को धमकी दी गई।
पिता के इलाज के दौरान डाक्टर से हुई मुलाकात
मामले में नैनी कोतवाली में डॉक्टर विवेक सिंघल द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था। जांच में वादी डाक्टर विवेक सिंघल, अंजनी दुबे, कार्तिकेय त्रिपाठी, अजय कुमार गौर व दिव्यांशु शुक्ला का नाम प्रकाश में सामने आया। अभियुक्त कार्तिकेय ने बताया कि मेरे पिता राजेश तिवारी जो जेल में बंद है, उनका इलाज डॉक्टर द्वारा किया जा रहा था। वह अक्सर अपने पिता से जेल में मिलने जाया करते थे। इस दौरान उनकी मुलाकात डा। विवेक सिंघल से हुई। डा। विवेक ने ही रामचंद्र केसरवानी को फर्जी मुकदमे में फंसाने के लिए मुझे स्वयं को धमकी दिए जाने व रंगदारी मांगने के लिए फोन करने को कहा था। साथ ही कॉल करने के बाद मोबाइल व सिम तोडऩे की बात कही थी, इसमें मैं तैयार हो गया। मैंने अपने साथी अंजनी, अजय सिम एजेंट व दिव्यांशु काम के लिए तैयार किया। फर्जी नाम पते पर सिंह व अंजनी के नाम पर नया मोबाइल और दिव्यांशु शुक्ला ने डॉक्टर को फोन पर धमकी दी थी।