प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर की सड़कों पर चलते वक्त लिमिट में रहिए। शहर में बनाए गए फ्लाई ओवर पर 40 किमी प्रति घंटा की स्पीड भी अधिक है। ऐसे में यहां आप एक्सीडेंट के शिकार हो सकते हैं। सिटी की सड़कें यदि खाली हैं तब भी चालीस किमी प्रति घंटा से ज्यादा की स्पीड नहीं रखें। यहां की ट्रैफिक परिस्थितियां अचानक चेंज होती हैं। ऐसे में गाड़ी कंट्रोल नहीं कर पाने पर एक्सीडेंट के चांसेज बढ़ जाते हैं। शहर में पिछले वर्ष हुई एक्सीडेंट की कई घटनाओं में ओवर स्पीड को ही पुलिस द्वारा कारण बताया गया था। चौराहे के पास या फिर अति व्यस्त रहने वाले सिविल लाइंस, बांगड़ धर्मशाला, अलोपीबाग फ्लाई ओवर ब्रिज के पास पहुंचने या रोड क्रास करते वक्त स्पीड 15 से बीस किमी प्रति घंटा ही रखें। इससे ऊपर चलने पर भी हादसे का शिकार हो सकते हैं।
211 वाहनों का ओवर स्पीड में गत वर्ष हुआ चालान
02 हजार रुपये का ओवर स्पीड पर है जुर्माने का प्राविधान
20 हजार पर एक माह की सजा है ओर स्पीड व रांग ड्राइविंग पर
100 किमी प्रति घंटा स्पीड निर्धारित है नेशनल हाईवे पर
20 से 30 किमी प्रति घंटा अधिकतम स्पीड फ्लाई ओवर रखें
40 किमी प्रति घंटा शहर में रोड खाली होने पर है स्पीड मानक
20 से 25 किमी प्रति घंटा स्पीड में चलें सिटी के फ्लाई ओवर पर
05 से 10 किमी प्रति घंटा की स्पीड से व्यस्त चौराहों पर को पार करें
सर्वाधिक शहर में हुए हैं चालान
पिछले वर्ष पुलिस व ट्रैफिक पुलिस के द्वारा ओवर स्पीड चलने वाले 211 वाहनों का चालान किया गया था। इसमें करीब डेढ़ सौ गाडिय़ां ऐसी हैं जिनका चालान शहरी एरिया में किया गया है। शेष 61 गाडिय़ों का चालान ओवर स्पीड में चालान जिले के विभिन्न हिस्सों में हुए हैं। ट्रैफिक पुलिस के जवानों की मानें मानें तो शहर गत वर्ष सिटी में हुए हादसों की ज्यादातर वजह हाईस्पीड ही रही हैं। एक्सीडेंट की यह घटनाएं उस कंडीशन में हुई जब रोड पर बहुत रस नहीं था और अचानक गाडिय़ों या किसी के आने पर चालक को गाडिय़ां कंट्रोल करनी पड़ी। विभागीय एक्सपर्ट की मानें तो सिटी में सड़कों पर चलने के लिए अधिकतम स्पीड 40 किमी प्रति घंटा होना। सड़कों का निर्माण से पूर्व पीडब्लूडी के इंजीनियर ट्रैफिक प्रेशर की जांच करते हैं। उसी प्रेशर व परिस्थिति के अनुसार शहर में ट्रैफिक स्पीड व संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है।
जानिए शहर में कब क्या रखें स्पीड
शहर की सड़कों पर निर्धारित स्पीड जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्लूडी से संपर्क किया गया। यहां सहायक अभियंता ने बताया कि नेशलन हाईवे या फोर लेन रोड पर अधिकतम स्पीड 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित है। बाकी सिंगल लेन पर 40 किमी प्रति घंटा स्पीड का मानक है। डेबल लेन रोड है तो उस पर 60 से 80 प्रति घंटे की स्पीड में चल सकते हैं। बसर्ते चालक अपने लेन में रहें और लगाए गए बोर्ड पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। इस शहर की सड़क खाली हो तो 40 स्पीड हो सकती है बसर्ते चौराहों के पास पहुंचने पर परिस्थिति के हिसाब से स्पीड 20 या 25 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
ट्रैफिक प्रेशर पर डिपेंड होता है स्पीड
रोड बनाने से पूर्व उस पर बकायदे ट्रैफिक प्रेशर की गणना व माप आधुनिक यंत्रों से की जाती है
पीडब्लूडी के सहायक अभियंता के मुताबिक सड़कें स्पीड के लिहाज से नहीं बल्कि ट्रैफिक गणना से स्पीड तय होती है
रोड पर वाहनों की स्पीड चौराहों या सड़कों के तत्कालिक के ट्रैफिक प्रेशर व परिस्थिति से होनी चाहिए
सिंगल लेन की निर्मित सड़क पर दो हजार वाहनों के ट्रैफिक प्रेशर का मानक निर्धारित है, इस पर 40 किमी प्रति घंटा से ज्यादा स्पीड नहीं रखी जाती
डेढ़ लेन फुटपाथ को लेकर बनने वाली रोड पर दो से छह हजार वाहनों के ट्रैफिक प्रेशर का मानक है स्पीड 40 ही होनी चाहिए
दो लेन की रोड पर छह से 15 हजार वाहनों के ट्रैफिक प्रेशर का मानक है, इस पर 60 की स्पीड से लेन रूल्स से चलना चाहिए।
फोर लेन पर वाहन ट्रैफिक प्रेशर 18000 से 35000 तक प्रति दिन का मानक है, इस रोड पर 80 से 100 किमी प्रति घंटा चल सकते हैं।
कहते हैं रोड पर वाहन ट्रैफिक पसर प्रति दिन के हिसाब से निर्माण पूर्व काउंट तो होते हैं, मगर स्पीड परिस्थिति जन्य होती है
शहर की सड़कों पर रोड कोई भी हो स्पीड 40 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए,
अति व्यस्त चौराहे या शहर में चौराहों पर बने ब्रेकर को पार करते समय स्पीड दो किमी प्रति घंटा से भी कम होनी चाहिए
इसमें रोड पर स्पीड मानक देखने की जरूरत नहीं लोगों को खुद अपनी सुरक्षा के अनुरूप स्पीड खुद डाउन कर लेना चाहिए।
केस-1
पिछले साल मार्च में फाफामऊ बीच पुल पर दो ट्रक आमने सामने भिड़ गए थे। एक ट्रक रेलिंग तोड़ते हुए गंगा नदी में गिर गया था। इस घटना में सगे भाइयों समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में हिमांशु साहू, अंशू साहू दोनों लखनऊ के नगराम थाना क्षेत्र स्थित अमवा के रहने वाले थे। तीसरा व्यक्ति एमएनएनआईटी में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करता था।
केस-2
पिछले साल जुलाई महीने में हाईस्पीड भाजपा मंझनपुर विधायक लाल बहादुर की कार हाईकोर्ट फ्लाईओवर ब्रिज पर अनियंत्रित होकर पलट गई थी। उस समय कार में विधायक नहीं थे। कार उनका बेटा उत्कर्ष चला रहा था। इस हादसे में उत्कर्ष समेत तीन लोगों को गंभीर चोटें आई थीं। गनीमत थी कि पुलिस सही वक्त पर पहुंच गई और इलाज बाद तीनों ठीक हो गए थे।
केस-3
सिविल लाइंस कानपुर रोड पर दोस्त के बर्थडे से लौट रहे युवकों की बाइक डिवाइडर से टकरा गई थी। इस हादसे में आशीष की मौके पर ही मौत हो गई थी। पीछे बैठे उसके दो दोस्त घायल हो गए थे। जांच बाद पुलिस को पता था कि बाइक ओवर स्पीड थी। अचानक ब्रेक लगाने के कारण वह अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गए थे। जिसकी वजह से यह हादसा हो गया था। घटना पिछले वर्ष नवंबर महीने में हुई थी।
शहर के चौराहे हों या फिर सड़कें यहां 40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से नहीं चलना चाहिए। क्योंकि शहर में ट्रैफिक की स्थिति परिस्थितियों पर आधारित होती है। रोड पर स्पीड उसकी ट्रैफिक प्रेशर पर निर्धारित होती है। इसी लिए रोड बनाने से पूर्व पीडब्ल्यू डी ट्रैफिक प्रेशर का सर्वे करता है।
अमित कुमार, ट्रैफिक इंचार्ज