प्रयागराज (ब्‍यूरो)। कोरोनाकाल में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभी हास्टलों को खाली करा दिया गया था। कुछ समय बाद छात्र बगैर अनुमति हास्टलों में आकर रहने लगे। इस पर सात जनवरी को कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि छात्रों से पांच गुना जुर्माना वसूला जाएगा। इस बाबत छात्रों को नोटिस भी भेजी गई। इसमें बताया गया कि यदि वह निर्धारित जुर्माने की राशि नहीं देते हैं तो उनकी डिग्री रोकते हुए अनुशानात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले के विरोध में छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया। कई दिन परिसर में हंगामा हुआ। कुलपति कार्यालय और डीएसडब्ल्यू कार्यालय का घेराव किया गया। 52 छात्र आमरण अनशन पर बैठ गए। इस बीच 39 छात्रों की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तेज बहादुर सप्रु चिकित्सालय (बेली) में भर्ती कराया गया। गत शुक्रवार को छात्र का गुस्सा फूट पड़ा और वह कला संकाय के मुख्य प्रवेश द्वार (लाइब्रेरी गेट) पर धरने पर बैठ गया। ऐसे में परिसर में आवागमन बाधित हो गया। जिला और पुलिस प्रशासन ने मध्यस्थता करने की कोशिश की लेकिन छात्र एक ही जिद पर अड़े थे कि वह जुर्माना नहीं देंगे। काफी प्रयास के बाद छात्र इस बात पर तैयार हुए कि प्रति छात्र केवल पांच हजार रुपये ही देंगे।

सुलझाने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन

प्रकरण को सुलझाने के लिए कुलपति ने डीन कालेज एंड डेवलपमेंट प्रो। पंकज कुमार की अध्यक्षता में च्च्चस्तरीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में डीएसडब्ल्यू प्रो। केपी ङ्क्षसह, चीफ प्राक्टर प्रो। हर्ष कुमार और रजिस्ट्रार प्रो। एनके शुक्ल को शामिल किया गया। कमेटी ने बैठक में छात्रों की मांग को मंजूरी देते हुए यह निर्णय लिया कि प्रति छात्र केवल पांच हजार रुपये ही लिए जाएंगे। इसके बाद कला संकाय के डीन प्रो। हेरम्ब चतुर्वेदी ने अनशनस्थल पहुंचकर छात्रों को जूस पिलाकर उनका आंदोलन खत्म कराया। इससे पूर्व विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया था कि छात्रों को 15 हजार रुपये देना पड़ेगा। अन्यथा उनकी डिग्री रोक दी जाएगी।

कुलपति द्वारा गठिच्त उच्चस्तरीय समिति की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 1097 छात्रों से एकमुश्त पांच हजार की राशि ही ली जाएगी। इस वजह से बिजली के बिल का अतिरिक्त भार बनेगा, जो कि एक करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसको विश्वविद्यालय को अपने स्तर पर ही निस्तारित करना पड़ेगा। समिति के प्रस्ताव को कुलपति ने अपनी स्वीकृति दे दी है।

- डाक्टर जया कपूर, पीआरओ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय।