प्रयागराज ब्यूरो । जीएसटी लागू हुए छह साल हो गए हैं। लेकिन समस्याएं इतने समय बाद भी कम नहीं हुई हैं। आईटीसी, ईवे बिल, रिटर्न संशोधन, लेट फीस जैसी समस्याओं को लेकर व्यापारियों के कई सवाल थे। इनको हमने अपने अभियान में पब्लिश भी किया। इन मामलों को लेकर हम वाणिज्य कर विभाग भी गए। वहां अधिकारियों से बात की। उन्होंने प्रत्येक मुद्दे पर अपना पक्ष भी रखा। हमने वाणिज्य कर विभाग के एसआईबी ग्रेड टू हरिरामजी से बात की। हालांकि अधिकतर मामलों में उनका यही कहना था कि सरकार की ओर से नियमों में सुधार जारी है। जल्द ही व्यापारियों को राहत भी मिल सकती है।

सवाल- व्यापारियों का कहना है कि आईटीसी क्लेम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनको समय से क्लेम नहीं मिलने से उनका बिजनेस में नुकसान होता है?

जवाब- अब सबकुछ ऑनलाइन हो गया है। जितनी आईटीसी दिखेगी, उतनी जरूर मिलेगी। अगर मैच नहीं करेगी तो आईटीसी

भी नहीं मिलेगी। इसमें विभाग का कोई हस्तक्षेप नहीं है। यह बात व्यापारियों को भी पता है। पूर्व में कुछ फर्जी आईटीसी लेेने के मामले सामने आए जिसके बाद सरकार ने नियमों में संशोधन किया है।

सवाल- पोर्टल पर रिटर्न फाइल करने के बाद अगर कुछ संशोधन करना है तो वह नहीं हो पाता है। इसके समाधान के लिए विभाग क्या कर रहा है?

जवाब- यह बात सही है कि जीएसटी पोर्टल पर एडिट का कोई आप्शन नहीं है।

इससे व्यापारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इस आप्शन की मांग भी कई बार की है। इस पर विचार चल रहा है। शासन प्रशासन के संज्ञान में भी यह मामला है। व्यापारियों की बात सरकार तक पहुंच चुकी है।

सवाल- जीएसटी रिटर्न समय से नही भर पाने की वजह से व्यापारियों को भारी भरकम लेट फीस देनी पड़ रही है। इसमें राहत के आसार बन रहे हैं क्या?

जवाब- अभी तक इस मामले में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। नियम सभी के लिए बराबर रखे गए हैं। अगर समय से रिटर्न दाखिल नहीं होगा तो अपने आप फाइन लग जाता है। हाल ही में सरकार की ओर से लेट फीस को लेकर राहत दी गई थी। हालांकि उसकी भी टाइम लाइन अब खत्म हो चुकी है।

सवाल- एचएसएन कोड में सरकार कोई बदलाव कर रही है क्या? सुनने में आ रहा है कि अब चार की जगह छह अंक का कोड ही मान्य होगा?

जवाब- हमारे पास ऐसा कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है। हमें इसकी जानकारी नही है। फिलहाल चार तरह के एचएसएन कोड मान्य हैं। प्रोडक्ट के हिसाब से उसका एचएसएन कोड बिल में मैंशन किया जाता है।

सवाल- फर्जी पंजीकरण अभियान के नाम पर व्यापारियों के शोषण का आरोप लगाया जाता है?

जवाब- हमारी ओर से फर्जी पंजीयन के खिलाफ रोक लगाने की कार्यवाही चल रही है। पूर्व में नियम कठोर थे। काफी जांच परख के बाद व्यापारी का सेल टैक्स विभाग में रजिस्ट्रेशन किया जाता था। लेकिन अब ऑनलाइन पूरी प्रक्रिया है। रातों रात पंजीयन हो जाता है। व्यापारी पहले विभाग तक आते थे लेकिन अब नही आते हैं। इसकी वजह से पहचान नही हो पाती। गलत पंजीयन के जरिए जमकर टैक्स चोरी होती है। जो जेनुइन व्यापारी हैं उनको परेशान होने की जरूरत नहीं है।