प्रयागराज ब्यूरो । अपनों की मौत के गम से सुबकते लोगों को अंतिम संस्कार के लिए दारागंज घाट तक आने में दूसरे दर्द का भी सामना करना पड़ा। एयर-शो के चलते हर कदम पर जाम के झाम से गमजदा लोगों को सामना करना पड़ा। जगह-जगह बैरिकेटिंग पर अंतिम संस्कार में जाने की बात बताने के बावजूद पुलिस उन्हें झिड़कती रही। क्राउड कंट्रोल मैनेजमेंट में फ्लाप प्रशासन की नाकामी का खामियाजा अंतिम संस्कार में आए लोगों को भी भुगतना पड़ा। दोपहर करीब 12 बजे के बाद जब भीड़ बढ़ी तो ऐसे लोग और भी परेशान हो गए। दारागंज थाने से थोड़ा पहले गली से विद्युत शवदाह गृह की तरफ बॉडी लेकर जा रही एम्बुलेंस को जाने की इजाजत थी। पुलिस के बर्ताव और भीषण जाम के चलते लोगों को दूसरे घाटों पर बॉडी का अंतिम संस्कार करना पड़ा।
रसूलाबाद व फाफामऊ घाट पर बढ़ी भीड़
संगम में आयोजित एयर-शो को देखने के लिए उमड़ी भीड़ के चलते उन लोगों को भी परेशान होना पड़ा जो बॉडी लेकर अंतिम संस्कार के लिए आ रहे थे। दारागंज शास्त्री ब्रिज के नीचे अंतिम संस्कार किया जाता है। यहां शहर से लेकर प्रतापगढ़, कौशाम्बी ही नहीं अन्य दूसरे जनपदों से भी आकर लोग अपनों की बॉडी का अंतिम संस्कार करते हैं। रविवार को एयर शो के चलते इस दारागंज शास्त्री ब्रिज के नीचे अंतिम संस्कार में आने वालों को हर कदम पर एक दूसरे गम से दोचार होना पड़ा। घाट पर अंतिम संस्कार कराने वालों की मानें तो रोज इस घाट पर सुबह से शाम तक करीब 40 से 50 लोगों की बॉडी अंतिम संस्कार के लिए आया करती हैं। मगर, रविवार को सुबह दस बजे तक लगभग दस बॉडी ही पहुंच घाट पर आई। यहां अंतिम संस्कार में शामिल होने आए लोगों के मुताबित उन्हें यहां घाट तक पहुंचने लोहे के चने चबाने पड़े। एक तो जबरदस्त भीड़, ऊपर से जगह-जगह बैरिकेटिंग। बैरिकेटिंग पर लगने लगे जवानों अंतिम संस्कार में जाने की बात बताने के बावजूद घाट की ओर आने नहीं दे रहे थे। अंतिम संस्कार आए तमाम लोगों को रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा। बैरिकेटिंग और जाम को देखते हुए प्रतापगढ़, फाफामऊ साइड से आने वाले लोग बॉडी अंतिम संस्कार के लिए रसूलाबाद और फाफामऊ घाट पर जाना शुरू कर दिए। ऐसी स्थिति में इन घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए आए लोगों की भीड़ अचानक बढ़ गई। विद्युत शवदाह गृह दारागंज बॉडी लेकर एम्बुलेंस से जाने वालों को परेड के बजाय दारागंज थाना के पास गली के रास्ते भेजा गया।
रिश्तेदार की डेथ हो गई थी। हम उन्हीं के अंतिम संस्कार में आए थे। सुबह करीब दस बजे ही यहां पहुंचने में काफी परेशानी हुई। कई लोग तो अंतिम संस्कार में आने के बावजूद रास्ते से लौट गए। हम लोग जिस बस में थे उस पर बॉडी रखी थी। बैरिकेटिंग पर पुलिस वालों से काफी निवेदन मिन्नत करने के बाद आने बस आने दिए। इस लिए घाट तक हम कुछ लोग बस से पहुंच गए।
हरिशंकर, प्रतापगढ़
अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए हम झारखण्ड से आए हैं। जिनकी मौत हुई है वह भी झारखण्ड के ही हैं। उनकी इच्छा थी कि दारागंज के इस घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाय। इस लिए उनकी मौत बाद बॉडी लेकर यहां आए थे। हमारी गाड़ी परेड में ही खड़ी करा दी गई। वहां से पैदल बॉडी लेकर घाट तक आना पड़ा। थोड़ी बहुत नहीं घाट तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई।
अमर प्रताप सिंह, झारखण्ड
अंतिम संस्कार धार्मिक मान्यता है। कम से कम घाट पर अंतिम संस्कार में आने वालों को तो नहीं रोकना चाहिए। गैर जनपदों व प्रदेशों से आने वालों को स्थिति की खबर तो थी नहीं। लोगों की वेदना को देखते हुए मानवीय संवेदना रखनी चाहिए। एक तो हम लोग ऐसे ही गमजदा थे, ऊपर से पुलिस का तामझाम। पुलिस को लोगों की मजबूरी भी समझी चाहिए थी।
नीरज कुमार सिंह, झारखण्ड
हमारे जानने वाले शख्स की डेथ हो गई है, हम उन्हीं के अंतिम संस्कार में आए है। गाड़ी आने नहीं दिए इस लिए बॉडी लेकर घाट तक पैदल आना पड़ा। पुलिस को लोगों की समस्या और इस मुसीबत को ध्यान देना चाहिए था। हम यहीं शहर के हैं, इस लिए किसी सूरत सभी चले पैदल ही चले आए। ज्यादा दिक्कत अंतिम संस्कार में बाहर से आने वालों को हुई।
विजय कुमार साहू, कटघर