प्रयागराज (ब्‍यूरो)। 2018 में भी एशियन गेम्स में रजक पदक जीता। इसके अलावा वह मुंबई मैराथन की पांच बार की विजेता रह चुकी हैं। जबकि पिछले वर्ष उन्होंने दिल्ली मैराथन में पहला स्थान हासिल कर अपनी काबिलियत का परिचय दिया था। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में सुधा ने बताया कि उनका सपना प्रयागराज में आयोजित होने ऐतिहासिक इंदिरा मैराथन जीतने का था। ये सपना भी उनका पूरा हो गया है। 42.19 किलोमीटर की दौड़ 2 घंटे 51 मिनट और 40 में पूरी की।

पहले उम्र कम होने के चलते नहीं मिलता था मौका
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने विजेता घोषित होने के बाद विजेता सुधा सिंह का इंटरव्यू किया। सुधा ने कहा, हमारे रायबरेली से प्रयागराज नजदीक है। इसलिए मैं यहां आयोजित होने वाले इंदिरा मैराथन को जीतना चाहती थी। इसी सपने को लेकर वह 2006 में यहां दौडऩे आई थीं लेकिन उम्र कम होने के चलते दौडऩे की अनुमति नहीं मिली। इसके बाद 15 सालों में उन्होंने अपने खेल को दूसरे दिशा में आगे बढ़ाया लेकिन इंदिरा मैराथन का हिस्सा नहीं बनीं। वह बताती हैं कि पिता हरिनारायण सिंह आईटीआई रायबरेली में क्लर्क हैं। वह चाहते हैं कि मैं ज्यादा से ज्यादा मेडल जीतकर भारत की झोली में डालूं।

14 वर्ष में मिला था अवार्ड
सुधा ने बताया कि उन्हें पहला अवार्ड 14 वर्ष की उम्र में मिला था। एशियन गेम्स में पदक मिलने के बाद रियो ओलंपिक में खेलने का मौका। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित भी किया था। उन्हें सुधा बताती हैं बचपन में उन्हें पढ़ाई से ज्यादा खेलना पसंद होता था। यही कारण है कि कोचिंग शुरू होने के पहले ही वह दौडऩे निकल जाती थीं। उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई रायबरेली के दयानंद गल्र्स इंटर कॉलेज से पूरी की है।

सुधा के नाज दर्ज उपलब्धि
2003
में शिकागो में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक
2004
में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक
2005
में चीन में जूनियर एशियन क्रास कंट्री प्रतियोगिता में चयन हुआ
2007
में नेशनल गेम्स में पहला स्थान
2008
में सीनियर ओपन नेशनल में प्रथम स्थान
2009
में एशियन ट्रैक एंड फील्ड में दूसरा स्थान
2012
में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हुई।
2015
में रियो ओलंपिक में चयन हुआ
2016
में आईएएएफ डायमंड लीग मीट में नेशनल रिकार्ड को तोड़ते हुए इतिहा बनाया था
2021
वर्ष में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजी गई

रोजाना 20 किलोमीटर प्रैक्टिस
महाराष्ट्र की रहने वाली अश्वनी महिला वर्ग में दूसरे नंबर की विजेता बनीं हैं। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत के दौरान अश्वनी बताती हैं कि वह इंदिरा मैराथन को लेकर लंबे समय से तैयारी कर रही थीं। प्रतिदिन सुबह 15 से 20 किलोमीटर दौड़ कर वह प्रैक्टिस करती थीं। वह कहती हैं, कि मुझे इंदिरा मैराथन में दूसरा स्थान मिला है यह मेरे लिए गर्व की बात है। अगली बार वह इससे अच्छा प्रैक्टिस करके आएगी और पहला स्थान में अपना नाम दर्ज करा कर जाएंगी। वह इसी उम्मीद के साथ जा रही है।
हर बार प्रथम आने का टूट गया रिकॉर्ड
महाराष्ट्र की ज्योतिशंकर राव लगातार छह बार प्रथम स्थान हासिल करती थीं लेकिन इस बार उन्हें तीसरा स्थान मिला है। वह कहती हैं कि मेरा प्रथम आने का रिकॉर्ड टूट गया है। अब मेरा लक्ष्य है मुंबई मैराथन जीतना। कदम रुकेगा नहीं बल्कि आगे ही नए सपनों के साथ बढ़ेगा। जो व्यक्ति सपने नहीं देखता है। उसका सपना कभी पूरा नहीं होता है। इसलिए जो वर्तमान में मिल रहा है। उसको स्वीकार करके चलो और आगे एक नया सपना फिर से अपने मन और दिल में बुनो। तभी आप कुछ कर पाओगे। वह बताती है कि यहां 42 किलोमीटर की दौड़ आसान नहीं थी लेकिन अंदर जुनून था कि यह लक्ष्य फिर से हासिल कर लूंगी। पहले स्थान पर नहीं आई इसका अफसोस है। लेकिन यह अफसोस मैराथन 38वीं में नहीं रहेगा। इसी उम्मीद के साथ जा रही हूं।