प्रयागराज (ब्यूरो)।इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे बुधवार को गाँधी संगत के अन्तर्गत गँाधी और कला विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान की ओर से किया गया। इस मौके पर दृष्य कला विभाग के प्रो। अजय जेटली ने कहा कि किसी भी कला में विषय का द्वंद हमेशा रहता है। इसलिए एक कलाकार के लिए विषय की स्पष्ट समझ बहुत जरूरी है। गांधी के जीवन संघर्ष और उससे संबंधित चित्रों को बहुत बनाया गया है। उनपर विपुल साहित्य की रचना हुई है। उनके विचारों से समृद्ध साहित्य भी पर्याप्त मात्रा मे मौजूद है। लेकिन उनके विचारों की कलात्मक अभिव्यक्ति की अल्प मौजूदगी आश्चर्य मे डालती है।
गांधी का चित्रण किया,उनके विचारों का नहीं
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर संतोष भदौरिया ने गांधी के कला संबंधी उन विचारों और दृष्टिकोणों को युवाओं के सामने रखा जो आज बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने कहा की आज युवा पीढ़ी के सामने सत्य की पहचान का संकट है। वह विभ्रम की स्थिति मे है। गाँधी का जीवन और विचार युवाओं के लिए इस दृष्टि से सचेत करने वाला है। आज गाँधी की जो छवि हमारे जेहन मे बनी हुई है या बन रही है, वह हमारी अज्ञानता के कारण है। वास्तविकता यह है कि गाँधी ने स्पष्ट कहा है कि जीवन ही कल है। इसे सुंदर बनाना ही किसी भी कला का असल ध्येय होना चाहिए।
संचालन डॉ तोषी आनंद ने व धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुरेंद्र कुमार ने किया। प्रोफेसर पीके साहू, डॉ कुमार वीरेंद्र, डॉअभिषेक सिंह, डॉ मृत्युंजय सिंह परमार, राहुल, श्वेता, श्रृष्टि, पंकज, मेहताब सहित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अनेक शोधार्थी व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।