प्रयागराज ब्यूरो । कोई भी चुनाव लडऩा आसान नहीं रह गया है। इसके लिए प्रत्याशी को जबरदस्त कागजी कसरत करनी पड़ती है। अपनी तमाम डिटेल देने में पसीने छूट जाते हैं। कोई भी जानकारी गलत साबित हुई तो नामांकन कैंसिल होने का खतरा मंडराने लगता है। चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी को एक दर्जन से अधिक डिटेल उपलब्ध करानी पड़ती है।
लगाते हैं नगर निगम के चक्कर
अगर कोई व्यक्ति मेयर या पार्षद का चुनाव लडऩा चाहता है तो उसे सबसे पहले नगर निगम का चक्कर लगाना पड़ता है। क्योंकि चुनाव नामांकन के दौरान नगर निगम के नो ड्यूज कागज दिखाने पड़ते हैं। इनमें बिजली, पेयजल और हाउस टैक्स शामिल है। अगर प्रत्याशी पर एक साल से अधिक समय का बकाया है तो उसे चुनाव लडऩे का मौका नही मिलता है। ऐसे में प्रत्याशी को नगर निगम सहित बिजली विभाग का चक्कर लगाकर अपना नोड्यूज प्रमाण पत्र निकलवाना पड़ता है। जिसके लिए उसे समय देना पड़ता है।
वोटर लिस्ट में नाम है तो दीजिए डिटेल
प्रत्याशी को दिखाना पड़ता है कि उसका नाम वोटर लिस्ट में शामिल है। जिस वार्ड या भाग संख्या में वह रहता है वहां की वोटर लिस्ट में अपने नाम की प्रमाणित प्रतिलिपि लगानी होती है। अगर वह उस वार्ड या भाग संख्या का निवासी नही है तो उसका नामांकन भी निरस्त कर दिया जाता है।
ये कागजात भी होते हैं शामिल
- जमानत राशि जमा कराए जाने की रसीद।
- अगर प्रत्याशी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या पिछड़ा वर्ग से आता है तो उसे तहसीलदार द्वारा जारी प्रमाण पत्र लगाना होता है। इसका एक शपथ पत्र भी लगाना होता है।
- अपराधिक इतिहास का शपथ पत्र। अगर किसी थाने में मुकदमा कायम है तो उसकी जानकारी देनी होती है।
- प्रत्याशी के पास कितनी चल व अचल संपत्ति है, साथ ही उसने बैंक आदि से कितना लोन ले रखा है। इसकी जानकारी भी शपथ पत्र में देनी होती है।
- कितनी शिक्षा प्राप्त की है इसके बारे में भी शपथ पत्र में बताना होता है।
कम से कम तीन दिन का लगता है समय
इतनी जानकारी एकत्र करने और इसके प्रमाण जुटाने में प्रत्याशी को पसीना बहाना पड़ता है। फिर इसका शपथ पत्र देना होता है। इस प्रक्रिया में अधिवक्ता का बहुत अहम रोल होता है। क्योंकि कानूनी विधि से प्रमाण पत्र और शपथ पत्र तैयार करवाने और उसकी नोटरी करवाने में वकीलों का मार्गदर्शन चाहिए होता है। जानकार बताते हैं कि इसके लिए प्रत्याशी को अधिवक्ता को निर्धारित फीस भी देनी होती है। पार्षद और मेयर पद के लिए फीस अलग अलग होती है। इस प्रक्रिया में कम से कम तीन दिन का समय लग जाता है।
इन शर्तों को करना होता है पूरा
- मेयर और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कम से कम तीस साल की आयु आवश्यक है।
- पार्षद और नगर पंचायत सदस्य पद के लिए 21 साल की आयु।
नामांकन से पहले खर्च भी करना पड़ता है
जो लोग निकाय चुनाव लडऩा चाहते हैं उनको नामांकन पत्र खरीदने के लिए नकद राशि चुकानी होती है। इसके अलावा निर्धारित जमानत राशि भी चालान के जरिए करानी होती है। निर्धारित से कम वोट मिलने पर यह जमानत राशि जब्त भी कर ली जाती है। मेयर पद के समान्य पद के लिए 12 हजार और अन्य वर्ग के लिए 6 हजार रुपए जमा कराने पड़ते हैं। इसी तरह पार्षद पद के लिए 2500 और 1250 रुपए जमा कराए जाते हैं। नगर पंचायत अध्यक्ष सामान्य के लिए 5 हजार और पिछड़ाा सहित अन्य वर्ग के लिए ढाई हजार जमानत राशि है। नगर पंचायत सदस्य के लिए क्रमश: यह राशि 2 और एक हजार निर्धारित है।
निकाय चुनाव का नामांकन प्रक्रिया चल रही है। अगले चार दिन में बड़ी संख्या में प्रत्याशी अपना दावा पेश करेंगे। लेकिन यह इतना आसान नही है। चुनाव आयोग के सख्त नियमों के चलते नामांकन से पहले एक-एक डाक्यूमेंट कई बार चेक होता है। क्योंकि एक बार शपथ पत्र दाखिल करने के बाद कोई भी जानकारी गलत साबित हुई तो नामांकन कैंसिल हो जाता है।
दीपक मिश्रा, अधिवक्ता