प्रयागराज (ब्‍यूरो)। प्रो। राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय ने सत्र 2024-25 के लिए नई शिक्षा नीति आधारित तीन वर्षीय/चार वर्षीय स्नातक और एक वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश को लेकर नियमावली जारी कर दी है। प्रथम तीन वर्ष प्रथम सेमेस्टर से छठवें सेमेस्टर के लिए विद्यार्थी को अपने संकाय के दो मुख्य विषयों का चुनाव करना होगा। यह दोनों विषय अनिवार्य रुप से एक ही संकाय के होंगे। इसके अतिरिक्त तीसरे विषय में प्रथम दो वर्ष के लिए दूसरे संकाय से एक माइनर/इलेक्टिव विषय का अनिवार्य रूप से चयन करना होगा।

सीटों की उपलब्धता के बेस पर आवंटन
नई नियमावली के अनुसार सीटों की उपलब्धता के आधार पर महाविद्यालय माइनर/इलेक्टिव विषय का आवंटन करेंगे। हर विद्यार्थी को प्रथम और तृतीय सेमेस्टर में एक-एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम और वैल्यू एडेड कोर्स का चयन करना होगा। दूसरे और चौथे सेमेस्टर में एक-एक सह पाठ्यक्रम और समर ट्रेनिंग करनी होगी। यह ट्रेनिंग 15 दिन की होगी। इसमें फील्ड वर्क, सर्वे, सामुदायिक भ्रमण, औद्योगिक भ्रमण और इंटर्नशिप शामिल है। पांचवें और छठवें सेमेस्टर में केवल दो मुख्य विषयों का अध्ययन करना होगा। इसके बाद जब विद्यार्थी चौथे वर्ष में जाएगा तो तो उसको तीसरे विषय में चयन किए गए दो मुख्य विषयों में से एक को चुनना होगा और पांचवें वर्ष में भी इसी विषय का अध्ययन करना होगा।

160 क्रेडिट पर ही 5वें वर्ष में प्रवेश
चार वर्षीय स्नातक उपाधि 160 क्रेडिट के साथ पूरा करने वाले विद्यार्थी को ही पांचवें वर्ष (नवम-दशम सेमेस्टर) में प्रवेश मिलेगा। यहां पर विद्यार्थी को अपने चतुर्थ वर्ष के मुख्य विषय से ही परास्नातक की उपाधि पूरी करनी होगी। वहीं दो वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम के लिए विद्यार्थी स्नातक स्तर पर पढ़े गए मेजर और माइनर विषयों में से किसी भी विषय में प्रवेश ले सकता है। वहीं यदि कोई विद्यार्थी तीन वर्षीय की स्नातक उपाधि के बाद परास्नातक प्रथमवर्ष में प्रवेश लेता है। फिर एक वर्ष पूरा करने के बाद पढ़ाई छोड़ देता है तो उसको परास्नातक डिप्लोमा मिलेगा। दो वर्ष पूरा करने पर ही परास्नातक की उपाधि मिलेगी।

बीए, बीएससी, बीकाम में न्यूनतम अर्हता 40 प्रतिशत
राज्य विश्वविद्यालय में बीए, बीएससी और बीकाम पाठ्यक्रम में न्यूनतम अर्हता निर्धारित कर दी है। किसी मान्यता प्राप्त संस्थान के इंटरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा में 40 प्रतिशत अंक होने चाहिए। वहीं बीबीए-बीसीए में यह 50 प्रतिशत होगा। एससी-एसटी के लिए बीए, बीएससी और बीकाम में 35 प्रतिशत तथा बीबीए-बीसीए में 45 प्रतिशत न्यूनतम अर्हता तय की गई है।

हिंदी-अंग्रेजी अनिवार्य
प्रथम विद्यार्थी को स्नातक स्तर पर भारतीय भाषा तथा अंग्रेजी भाषा पर आधारित सह पाठ्यक्रम का चयन करना होगा। द्वितीय सेमेस्टर में हिंदी भाषा कौशल एवं संचार तथा चतुर्थ सेमेस्टर में अंग्रेजी भाषा कौशल एवं संचार शामिल है।