प्रयागराज ब्यूरो । यागराज में गर्मी अपना तेवर दिखाना शुरू कर चुकी है। इस महीने के किसी भी दिन अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के नीचे गया ही नहीं है। दो दिनों से यह 40 डिग्री सेल्सियस को पार करने लगा है। गुरुवार को प्रयागराज उत्तर प्रदेश के सबसे गरम शहरों में पहले नंबर पर था। अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस के आंकड़े को पार कर गया था। शुक्रवार को दिन में कोई राहत नहीं थी तो दिन का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया। शुक्रवार को दिन में चल रही लू भी सड़क पर चलने वाले लोगों की परीक्षा ले रही थी। सड़कें तप रहीं थीं और बाइक आदि का उपयोग करने पर आंच निकलने जैसा एहसास हो रहा था। हीट वेव के इस इंपैक्ट से आने वाले दिनों में जल्द राहत के आसार भी नहीं हैं। आने वाले तीन दिनों में न्यूनतम तापमान भी 24 डिग्री सेल्सियस के आंकड़े तक पहुंच जाने की संभावना है।

शीतल पेयजल के साथ हो शेल्टर्स की भी व्यवस्था
मौसम विभाग की तरफ से जो एडवाइजरी जारी की गयी है उससे संकेत हैं कि मई के मध्य तक अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक बना रहेगा। इस अवधि में न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। तापमान सामान्य से अधिक रहने की आशंका के चलते हीट रिलेटेड इलनेसेज के विषय में अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करते हुए गतिविधियां प्राथमिकता के आधार पर किया जाना आवश्यक है। पब्लिक इससे अॅवेयर है, लेकिन दोपहर में घर से निकलना मजबूरी होने के चलते उसे घर से निकलना ही है। वैसे जिनके पास दिन में बाहर न निकलने का आप्शन हो वे इससे बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन, शुक्रवार को जुमे की नमाज थी तो बड़ी संख्या में लोग दिन में घरों से बाहर निकले और सुरक्षा कारणों के चलते पुलिस के जवान भी हीट वेव से जंग लड़ते हुए मैदान में डटे रहे।


क्या करें क्या न करें
हीट वेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है। तत्काल उचित उपचार उपलब्ध न होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। हीट वेव के प्रभावों को कम करने के लिए इन तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए।

क्या करें
हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट कैंप के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सरदर्द, उबकाई, पसीना आना, मूर्छा आदि को पहचानें।
कमजोरी अथवा मूर्छा जैसी स्थिति का अनुभव होने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह लें

हाइड्रेटेड रहे
अधिक से अधिक पानी पिएं, यदि प्यास न लगी हो तब भी।
यात्रा करते समय पीने का पानी अपने साथ अवश्य ले जाएं।
ओआरएस, घर में बने हुए पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नींबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें
मौसमी फल एवं सब्जियों का प्रयोग करें जैसे तरबूजा, खरबूजा, संतरे, अंगूर, अन्नास और खीरा-ककड़ी का उपयोग करें

शरीर को ढक कर रखें
हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें।
धूप के चश्मे, छाता, टोपी, व चप्पल का प्रयोग करें।
आप खुले में कार्य करते है तो सिर, चेहरा, हाथ पैरों को गीले कपड़े से ढके रहें और छाते का प्रयोग करें।

घर या कार्यालय के अंदर रहें
उचित वायु संचरण वाले शीतल स्थानों पर रहें।
सूर्य की सीधी रोशनी तथा हीट वेव को रोकने के लिए उचित प्रबंध करें और अपने घरों को ठंडा रखें।
दिन में खिड़कियां, पर्दे तथा दरवाजे बंद रखें विशेषकर घर तथा कार्यालय के उन क्षेत्रों में जहां सूरज की सीधी रोशनी पड़ती हो।
शाम/रात के समय घर तथा कमरों को ठंडा करने के लिए इन्हें खोल दें।
घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ाएं।
पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करें।

उच्च जोखिम समूहों के लिए निर्देश
एक वर्ष से कम आयु के शिशु तथा अन्य छोटे बच्चे, गर्भवती महिलायें, आउटडोर कार्य करने वाले व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, विशेषकर हृदय रोगी अथवा उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्ति, ऐसे व्यक्ति जो ठंडे क्षेत्रों से गर्म क्षेत्रों में जा रहे हों, वह सभी विशेष ध्यान रखें क्योंकि यह समूह हीट वेव के लिए अधिक संवेदनशील होता है।

अन्य सावधानियां
ऐसे बुजुर्ग तथा बीमार व्यक्ति जो एकांतवास करते हों, के स्वास्थ्य की नियमित रूप से समीक्षा की जाए।
दिन के समय में अपने घर के निचले तल पर प्रवास का प्रयास करें।
शरीर के तापमान को कम रखने के लिए पंखे, गीले कपड़े इत्यादि का प्रयोग करें।

क्या न करें
दोपहर 12 से 3 बजे के मध्य, सूर्य की सीधी रोशनी में जाने से बचें।
नंगे पैर बाहर ना निकलें
अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के प्रयोग से बचें तथा बासी भोजन का प्रयोग ना करें।
बच्चों तथा पालतू जानवरों को बड़ी गाडिय़ों में न छोड़ें।
गहरे रंग के भारी तथा तंग कपडे न पहनें।
जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें।
अधिक गर्मी के समय खाना बनाने से बचें, रसोई वाले स्थान को ठंडा करने के लिए दरवाजे तथा खिड़कियां खोल दें।
शराब, चाय, काफी, कार्बोनेटेड साफ्ट ड्रिंक आदि के उपयोग से बचें, क्योंकि यह शरीर में निर्जलीकरण करते हैं।

अप्रैल गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा। प्रयागराज के एक हिस्से में पहाड़ है तो एक तरफ नदियों का किनारा। गर्मी में दोनो तपते हैं इसलिए यहां गर्मी का प्रभाव ज्यादा रहता है। टेम्प्रेचर और बढऩे के बाद ही लो प्रेशर डेवलप होना शुरू होगा। इसके बाद मौसम में थोड़ा चेंज आएगा।
एआर सिद्दीकी
एचओडी, भूगोल विभाग इलाहाबाद यूनिवर्सिटी