प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर में तेजी से फैल रहे हड्डी तोड़ बुखार के पीछे कौन सी बीमारी है। डॉक्टर डेंगू और चिकन गुनिया की जांच करा रहे हैं जबकि जांच में कुछ नहीं निकल रहा है। ऐसे में कहीं ये स्क्रब टाइफस तो नही है। यह एक संक्रामक फीवर है और इसके लक्षण भी वही हैं जो चिकनगुनिया, डेंगू और टाइफाइड फीवर के हैं। लेकिन, हालिया जांच में स्क्रब टाइफस की पुष्टि कई मामलों में हुई है।
पिस्सू के काटने से होता है फीवर
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाद अब उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कई राज्यों में इन दिनों एक रहस्यमयी बुखार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसके लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया से मिलते-जुलते हैं। लेकिन, जांच में न तो डेंगू निकलता है और ना ही टायफाइड।
क्या है स्क्रब टाइफस
विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों और झाडिय़ों में रहने वाले चूहों पर चिगर्स कीट पाया जाता है। संक्रमित चिगर्स या चूहों का पिस्सू काट लेता है तो ओरेंशिया सुसुगेमोसी बैक्टीरिया इंसान के रक्त में प्रवेश कर संक्रमित कर देता है। स्क्रब टाइफस से कोई भी संक्रमित हो सकता है। प्रयागराज में इस सीजन में हड्डी तोड़ बुखार के ऐसे हजारों मरीज हैं जिनको बीमारी का पता ही नही चल पाया।
लक्षण
पिस्सु के काटने के 10 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं।
संक्रमित को बुखार के साथ ठंड लगती है। सिर और बदन दर्द के साथ मांसपेशियों में भी तेज दर्द होता है।
संक्रमण ज्यादा होने पर हाथ, पैर, गर्दन और कूल्हे के नीचे गिल्टियां हो जाती हैं।
कभी-कभी शरीर पर दाने भी हो सकते हैं।
कुछ लोगों में ऑर्गन फेलियर और इंटरनल ब्लीडिंग भी हो सकती है।
बचाव
हाथ और पैरों को अच्छे से ढक कर रखें।
घर के आसपास घास या झाडिय़ां ना बढऩे दें।
शरीर को साफ रखें और साफ कपड़े पहनें। घर के आसपास पानी इक_ा ना होने दें।
आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराना बेहतर रहेगा।
स्क्रब टाइफस का क्या है इलाज
स्क्रब टाइफस रोग की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर्स बीमारी की गंभीरता कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। जांच सही समय पर हो जाए तो मरीज एक सप्ताह में ठीक हो जाता है। जांच नहीं होने और सही दिशा में इलाज नही होने से मरीज मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द से लंबे समय तक परेशान रहता है।
स्क्रब टाइफस की जांच मेडिकल कॉलेज सहित तमाम प्राइवेट लैब में होती है। लक्षणों को लेकर लोग कन्फ्यूज है और जानकारी का भी अभाव है। इसलिए सभी प्रकार की जांच कराकर लोगों को अपनी बीमारी का पता लगा लेना चाहिए।
डॉ। मो। मंसूर बेली अस्पताल प्रयागराज