प्रयागराज (ब्‍यूरो)। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र, आचार्य जनार्दन प्रसाद दुबे व संजय उपाध्याय ने किया। इस अवसर पर आचार्य संजय उपाध्याय ने सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के विषय में बताते हुए कहा कि भारत की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए सभी भारतवासी को प्राण-प्रण से तत्पर रहना चाहिए। एकादश की छात्रा कीर्ति दुबे ने आचार्य नरेंद्र देव के जीवन पर चर्चा की। प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि सरदार पटेल ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। सरदार पटेल द्वारा इस लड़ाई में अपना पहला योगदान खेड़ा संघर्ष में दिया गया। छात्रा अनुष्का धुरिया व छात्र विन्ध्येश्वरी शर्मा ने सरदार पटेल व आचार्य नरेंद्र देव जी के जीवन पर अपने विचार रखे।

गंगा-गुरूकुलम में राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन
एमपीवीएम गंगा गुरुकुलम में देश के पहले गृहमंत्री की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई गई। मंगलवार को विद्यालय की प्रार्थना सभा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। जिसमें छात्रों द्वारा पटेल जी के जीवन चरित्र एवं कृत्तित्व पर विशिष्ट लेख प्रस्तुत किया गया। लेख के माध्यम से छात्रों द्वारा पटेल जी के लौहवादी विचार एवं उनकी सार्थकता पर बल दिया गया। विद्यालय के छात्रों द्वारा सरदार पटेल जी के जीवन मूल्यों एवं आदर्षों को प्रदर्षित करने वाले सामूहिक गीत गायन किया गया। विद्यालय के छात्रों ने देष की अखण्डता को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए शपथ ग्रहण की। विद्यालय के प्राइमरी अनुभाग द्वारा मानव श्रंखला बनाकर सरदार पटेल द्वारा सम्पूर्ण देषवासियों को अखण्डता और एकता के सूत्र में पिरोने के भाव को प्रदर्शितकिया गया। विद्यालय के छात्रों ने सरदार पटेल के जीवन मूल्यों को अपने जीवन में उतारने के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई।

माधव ज्ञान केंद्र में हुआ आयोजन
सरस्वती विद्या मंदिर माधव ज्ञान केंद्र में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती धूमधाम से मनाई गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ। विंध्यवासिनी प्रसाद त्रिपाठी जी ने सरदार वल्लभभाई पटेल के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विद्यालय के कई भैया बहनों ने सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। प्रधानाचार्य ने बताया कि गुजरात में इनकी प्रतिमा स्टेचू ऑफ यूनिटी विश्व की सब से ऊंची प्रतिमा बताया। संचालन आचार्य अभय त्रिपाठी ने किया।