प्रयागराज (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के ठीक सामने स्थित महाधिवक्ता कार्यालय की बिल्डिंग में लगी आग का धुआं रविवार को ही लखनऊ तक पहुंच गया था। शासन द्वारा मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी गई। इस घटना को शासन के जरिए समिति गठित किए जाने से अफसरों के दिलों की धड़कनें तेज हो गई हैं। प्रथम दृष्टया अधिकारी इस बिल्डिंग में आग लगने की वजह शार्ट सर्किट मान रहे हैं। इस रिपोर्ट को भेजे जाने के बाद दूसरे दिन सोमवार को अलग-अलग टीमों के जरिए घटना का आंकलन शुरू कर दिया। इस टीम के द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट सीधे शासन को भेजी जाएगी। जिलाधिकारी द्वारा गठित पांच सदस्यीय टीम के जरिए भी कारणों की जांच शुरू कर दी गई है।
गेट बंद, तैनात हुई फोर्स
सुबह से ही इस पूरी बिल्डिंग को सील कर दिया गया था। बिल्डिंग को सील करने की जिम्मेदारी सीओ सिविल लाइंस को सौंपी गई थी। महाधिवक्ता कार्यालय की बिल्डिंग के गेट को बंद कर फोर्स लगा दी गई थी। बंद किए गए गेट के अंदर किसी भी हाईकोर्ट के अधिवक्ता व कर्मचारी को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। रविवार को लगी आग जान जोखिम में डालकर फायर ब्रिगेड के जवानों द्वारा करीब 13 घंटे में बुझाई गई। बावजूद इसके कुछ फाइलों के ढेर ऐसे थे आग जिनके अंदर तक पहुंच गई थी और वह पूरी तरह बुझ नहीं पाई थी। यही वजह थी कि सोमवार को एक बार फिर चारों फ्लोर को फायर ब्रिगेड के जवानों द्वारा चेक किया गया। जहां भी इस तरह की स्थिति पाई गई।
चस्पा हुई नोटिस
शाम के वक्त बिल्डिंग के गेट पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता हाईकोर्ट केआर सिंह व शासकीय अधिवक्ता हाईकोर्ट इलाहाबाद शिव कुमार पाल की तरफ से एक नोटिस चस्पा कराई गई। इस नोटिस में कहा गया है कि सभी अधिकारीगण व वादकारियों (पैरोकार) को बताया गया है कि कार्यालय परिसर में कल यानी रविवार को आग लग गई थी। इस कारण एक हफ्ते तक काउंटर एफिडेविट फाइलिंग, इंसट्रक्शन व सम्बंधित शासकीय कार्यों का क्रियान्वयन रोका जाता है। इन सारे कार्यों का क्रियान्वयन अगले सप्ताह 25 जुलाई दिन सोमवार से शुरू किए जाएंगे।फाइलों के जलने से प्रभावित रहा काम
महाधिवक्ता कार्यालय की बिल्डिंग में जिस चार फ्लोर पर आग लगी थी उनमें क्रिमिनल बेल व सिविल कंटेम्प्ट अैर रिट की फाइलें ज्यादा थीं। आग में तमाम फाइलें जल जाने के कारण सोमवार को विधि प्रक्रिया पर काफी असर बताया गया। हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने बताया कि कोर्ट में केस रेग्युलर मोड में लगे लेकिन सरकारी अधिवक्ताओं के पास फाइलें नहीं पहुंच पायी। इसके चलते वे बहस कर पाने में असमर्थ थे। फाइलों के नुकसान को देखते हुए विपक्षी अधिवक्ताओं से आग्रह किया गया है कि केस की फाइल दो सेट में अपनी फाइल से बनवाने में मदद करें। ऐसा नहीं होने पर कोर्ट में जमा फाइलों से नई फाइल तैयार करायी जायेगी। बता दें कि स्टेट की तरफ से मुकदमो की पैरवी के लिए संबंधित कोर्ट से फाइल महाधिवक्ता कार्यालय से ही जाती थी। बहस के बाद इसे वापस यहीं लाकर रख दिया जाता है।