प्रयागराज ब्यूरो । इंश्योरेंस कंपनियां उपभोक्ताओं को कैसे परेशान करती हैं, इसका एक उदाहरण सामने आया है। बीमित वाहन से रिश्तेदार को देखने के लिए जाते वक्त हादसा हो गया। हादसे में चालक गंभीर रूप से घायल हो गया था। चालक डीएल होल्डर था। वादी द्वारा हुए नुकसान का बीमा कंपनी में क्लेम किया गया। उसके द्वारा क्लेम करते ही कंपनी मंशा फिर गई। जिम्मेदार उसे दूसरी जगह की घटना बताकर उसे टहलाने लगे। कई महीने तक बीमा कंपनी के बुने जाल में फंसकर इधर से उधर घूमता रहा। थक-हार कर निराश वादी इंसाफ के लिए उपभोक्ता फोरम जा पहुंचा। करीब सात साल पूर्व हुए इस हादसे में फोरम ने वादी के पक्ष में फैसला सुनाया है। बीमा कंपनी बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड को 11 लाख रुपये आठ प्रतिशत व्याज के साथ भुगतान का आदेश दिया है। साथ ही पांच हजार रुपये क्षतिपूर्ति व दो हजार वाद व्यय के रूप में भी देने के आदेश हैं।
जिले के हंडिया स्थित धोबहा निवासी अंजनी सिंह रोजी रोजगार के चलते बिहार के डेहरी अनसोल जिला रोहतास में रहते थे। उनके द्वारा दायर किए गए वाद में उपभोक्ता फोरम को उनके द्वारा महेंद्रा स्कार्पियो का बीमा बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड काम्प्लेक्स सिविल लाइंस जीटीरोड सहसाराम रोहतास बिहार में 23 फरवरी 2017 को कराया था। कराए गए बीमा की वैधता 28 फरवरी 2018 मध्य रात्रि तक थी। वह बीमा शुल्क के रूम में 27, 901 रुपये अदा किए थे। कहा कि उसी स्कार्पियों से वह रिश्तेदार से मिलने गिर्दकोट थाना हंडिया इलाहाबाद अब प्रयागराज आए थे। दिनांक 08 मई 2018 को बालीगंज के पास अचानक सामने नीलगाय के आ जाने से अनियंत्रित वाहन यानी स्कार्पियो पलट गई। इस हादसे में वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। जबकि लाइसेंस होल्डर चालक को काफी चोटें आईं। उसके डीएल की वैधता 2029 तक बताई गई। चालक का इलाज कराने के बाद 09 मई 2017 को सूचना उनके जरिए हादसे की सूचना हंडिया पुलिस को दी गई। परिवादी अपना ओसी क्लेम दावा पाने के लिए औपचारिकताएं पूर्ण कर बीमा कंपनी रेहतास बिहार में जमा किया। बताया कि क्लेक को ओसी के रूप में दर्ज किया गया। इसके बाद चालक सौरभ सिंह पुत्र अखिलेश सिंह निवासी गिर्दकोट थाना इंडिया के डीएल की छायाप्रति मांगी। सारे कागजात देने के बाद क्षतिपूर्ति देने में टालमोट की जाने लगी। यह देख उसके जरिए एजेंट से संपर्क किया गया। कंपनी ने जवाब दिया कि हादसा यूपी में हुआ था, इस लिए फाइल वहां भेज दी गई थी। जब परिवादी इसका जवाब मांगा तो शाखा प्रबंधक ने सीधे मना कर दिया। इस तरह उसे दौड़ाया जाने लगा। परेशान होकर उसने उपभोक्ता फोरम में इंसाफ की गुहार लगाई। वर्ष 2018 में दायर इस वाद का निस्तारण 2024 में फोरम के द्वारा किया गया। उपभोक्ता फोरम ने माना कि बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को परेशान किया गया।
जानिए क्या जारी हुआ है आदेश
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष मो। इब्राहीम और सदस्य प्रकाशचंद्र त्रिपाठी द्वारा जारी आदेश स्पष्ट है। कहा गया है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि निर्णय की तिथि से दो माह के अंदर परिवादी को बीमा पालिसी के अंतर्गत 11 लाख रुपय मय आठ प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज सहित भुगतान सुनिश्चित करे। साथ ही विपक्षीगण गणन यानी बीमा कंपनी परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में पांच हजार रुपये तथा वाद में व्यय के लिए दो हजार रुपये भी अदा करे।
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