प्रयागराज (ब्यूरो)।जब शिकायतों का निस्तारण करना नहीं होता तो समाधान दिवस, सम्भव सुनवाई जैसे दिवस के ढोंग रचे क्यों जाते हैं? इस बार भी शिकायत करने पर समाधान के बजाय फरियादों को आश्वास ही दिए गए। यह कहना था मंगलवार को समाधान दिवस पर शिकायत करने पहुंचे लोगों का। खफा फरियादियों ने नगर निगम के अफसरों पर अनदेखी और उपेक्षा के भी आरोप लगाए हैं। इस तरह के आरोप और सवाल सबसे ज्यादा महिला फरियादियों के जरिए उठाए गए हैं। महिलाओं का कहना था कि वह दर्जनों बार समस्या की शिकायत कर चुकी हैं। आज तक उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हर बार एक आश्वासन देकर उन्हें वापस भेज दिया जाता है। पिछले दिवसों की तरह इस बार भी उन्हें आश्वासन की घुट्टी पिलाई गई। उनमें नाराजगी की यही सबसे बजह थी।

उपेक्षा के लगाए गंभीर आरोप
शहर के लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए नगर निगम हर मंगलवार को समाधान दिवस का आयोजन करता है। हर सम्भव, समाधान दिवस पर अधिकारी पब्लिक की शिकायत सुनते हैं। इसके लिए उसे निस्तारित कराने के दावे करते हैं। समस्या को निस्तारित कराने का आश्वासन देकर हर बार भेज दिया जाता है। अफसरों को दी जाने वाली शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही बरती जा रही है। इस बात की सच्चाई उस वक्त सामने आई जब मंगलवार को फरियाद लेकर पहुंची कुछ महिलाओं का पारा चढ़ गया। नाराज महिलाओं के जरिए अफसरों पर उपेक्षा जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शहर के राजापुर नेवादा की सुनीता देवी, रेखा चौधरी, गुड्डी, अनीता देवी, पूनम सिंह आदि ने कहा कि वह पिछले कई दिवसों पर समस्या की शिकायत कर चुकी हैं। लिखित रूप से वह नगर आयुक्त से लेकर करीब हर बड़े अफसरों से शिकायत कर चुकी हैं। कहना था कि आज तक उनकी एक भी समस्या का समाधान नहीं किया गया। आक्रोशित महिलाओं ने कहा कि तोता माली वाली गली के बाद उनका मकान है। गली की गली की सड़क पूरी तरह से उधड़ गई है। बारिश में लोगों को आवागमन में काफी दिक्कत होती है। रोड पर गंदा पानी भर जाने से छात्रों व व लोगों को शूज तक हाथ में लेकर आना जाना पड़ता है। इसी तरह नेवादा की अंजू सोनकर और प्रेमा देवी का कहना था कि वह नाली व सड़क की समस्या दर्जनों बार कर चुकी हैं। आज तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका। अधिकारी हर बार की तरह इस मर्तबा भी समाधान के बजाय आश्वासन देकर जाने को कह रहे हैं।


समाधान दिवस पर कल 41 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। जिनका निस्तारण करने के लिए सम्बंधित विभागों को लिखा गया है। तत्काल निस्तारित योग्य शिकायतें तो तुरंत हल कर दी जाती हैं। जिसमें बजट या कुछ अन्य इश्यू होते हैं, उसके लिए शीर्ष अफसरों से बात करनी पड़ती है। बजट के प्रबंध में थोड़ा वक्त तो लग ही जाता है।
रत्नप्रिया, अपर नगर आयुक्त