प्रयागराज (ब्यूरो)।मंगलवार सुबह जानसेनगंज, चौक, रानीमंडी, लोकनाथ, बादशाही मंडी, मालवीय नगर, जीरो रोड, बताशामंडी, आजाद नगर, कोठापार्चा, मोहत्सिमगंज, मु_ीगंज, कटघर, अटाला, खुल्दाबाद, करेली, शाहगंज, बलुआघाट जैसे दर्जनों इलाकों के लोग सिविल लाइंस की ओर आने के लिए डायवर्ट किए गए रूट रामबाग रेलवे फ्लाई ओवर ब्रिज व पानी टंकी डीएसए ग्राउंड फ्लाई ओवर ब्रिज से होकर निकलना शुरू किए। एक साथ दोनों फ्लाई ओवर ब्रिज पर ट्रैफिक प्रेशर के बढऩे से भीषण जाम लग गया। सुबह के वक्त सिविल लाइंस साइड स्कूल व कोचिंग जाने वाले छात्र भी घंटों इस जाम में फंसे रहे। हाईकोर्ट व कचहरी आने वाले अधिवक्ताओं को भी जाम की वजह से भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। चिलचिलाती धूप के बीच जाम में फंसे लोगों का पारा चढ़ता और उतरता रहा। सुबह करीब आठ बजे जाम में फंसे लोग व छात्र और अधिवक्ताओं की गाडिय़ां रेंगती हुई नजर आईं।
ट्रैफिक स्मूथ बनाने के लिए होती रही कवायद
पुलिस के जवानों की हर कोई जाम के सामने नाकाम साबित होती रही। फिर भी झुलसाने वाली धूप के बीच जवान किसी सूरत ट्रैफिक संचालन के कार्य में जूझते रहे। सुबह आठ बजे से शुरू हुई जाम की यह स्थिति शाम करीब सात बजे तक ऐसे ही बनी रही। जाम में फंसे मासूम और युवा छात्रों का गर्मी के मारे बुरा हाल रहा। किसी तरह वह जाम पार करके देर से स्कूल पहुंचे तो वापसी में भी उन्हें घर पहुंचने में डेढ़ से दो घंटे से भी अधिक का समय लग गया।
ध्वस्त हुआ ट्रैफिक सिस्टम
दोनों फ्लाई ओवर पर गाडिय़ों की लंबी कतार लगने के कारण शहर के रामबाग चौराहा, मेडिकल चौराहा, ईदगाह, कोठापार्चा, मानसरोवर, नवाब युसूफ रोड पर भी भीषण जाम लगा रहा। जाम कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा दो दर्जन से अधिक प्वाइंट पर सुरक्षा कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई। किसी सूरत एक दिन का समय लोग निकल गया। सफर का यह संघर्ष पब्लिक को अभी 99 दिनों तक झेलना होगा। बात एक दो दिन की होती तो किसी तरह सूरत लोग बिता लेते। कंडीशन यही तो 99 व 98 दिन इस ध्वस्त ट्रैफिक सिस्टम के बीच सफर करने में शहर के लोगों की दुर्गति का होना तय है।
शुक्र था कि ट्रैक पर हादसा नहीं हुआ
रामबाग और पानी टंकी फ्लाईओर ब्रिज पर लगे भीषण जाम को देखते हुए सैकड़ों पैदल व साइकिल से आवागमन करने वाले लोग जान पर खेल गए। छात्र व पब्लिक के लोग कंधे पर साइकिल उठाकर किसी सूरत निरंजन ब्रिज के बंधे पर चढ़ गए। इसके बाद आने वाली ट्रेन की परवाह किए बगैर सभी रेलवे के ट्रैक को पार करके ब्रिज क्रास करते रहे। सुबह और शाम के वक्त ऐसे लोगों में सबसे ज्यादा संख्या छात्रों की रही। पीट पर बस्ता और कंधे पर साइकिल टांग कर वह निरंजन ब्रिज के बंधे पर चढ़कर ट्रैक पार करते हुए दिखाई दिए। जबकि ट्रैक पर बराबर ट्रेनों का आवागमन बना रहा। शुक्र था कि पहले दिन कोई हादसा नहीं हुआ।
यह रूट दे सकते सकते हैं थोड़ी राहत
समस्या को देखते हुए रेलवे को चाहिए कि वे पैदल आने जाने वाले छात्रों को स्टेशन के अंदर से फ्लाई ओर ब्रिज को पार करने दें
पैदल आने जाने वाले छात्र सिविल लाइंस साइड से रेलवे स्टेशन के फ्लाई ओर ब्रिज से गेट नंबर एक खुल्दाबाद व शाहगंज साइड से निकल सकते हैं
इसके अतिरिक्त लोग बैरहना चौराहे से मुट्ठीगंज होते हुए अंदर ही अंदर पुराने शहर की ओर आ जा सकते हैं, पर दूरी थोड़ी बढ़ जाएगी।
एक रास्ता और पकड़ सकते हैं वह ये कि बैरहना चौराहे से आगे बढ़े और पुराने पुल के नीचे से होते हुए रोड पकड़ कर अंदर ही अंदर आ जा सकते हैं
यह रूट साइकिल और बाइक एवं पैदल यात्रियों के लिए ज्यादा मुफीद साबित हो सकता है, बसर्ते दूरी थोड़ी अधिक तय करनी पड़ेगी।
मुट्ठीगंज व बलुआ घाट साइड से आने वाले लोग थोड़ी दूरी की चिंता छोड़कर एडीसी रूट पकड़कर बैरहना होते हुए सिविल लाइंस साइड आ सकते हैं
इसी तरह करेली व खुल्दाबाद एवं शाहगंज साइड के लोग जाम से बचने के लिए करबला चौकी होते हुए चौफटका फ्लाई ओवर हो कर सिविल लाइंस की तरफ बगैर जाम में फंसे आ सकते हैं।
जिला कचहरी में हुआ नो एडवर्स
निरंजन डॉट पुल की वह से अधिक आवागम को देखते हुए जिला अधिवक्ता संघ के द्वारा नो एडवर्स का प्रस्ताव पारित किया गया। क्योंकि पुराने शहर की ओर से आने वाले ज्यादातर अधिवक्ता समय से कोर्ट नहीं पहुंच सके थे। ऐसी स्थिति में जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों की हुई बैठक में नो एडवर्स का प्रस्ताव पारित किया गया। इसी के साथ अधिवक्ता शिव मोहन सिंह के निधन पर संघ की ओर से शोक सभा हुई। दो मिनट का मौन रखकर अधिवक्ताओं के द्वारा उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से दुआ की गई।