प्रयागराज (ब्यूरो)। कार्यक्रम समन्वयक एंव वरिष्ठ वैज्ञानिक डा अनीता तोमर ने कहा कि इस प्रशिक्षण में उत्तर प्रदेश के विशेष सन्दर्भ में न्यून उपयोगित फलदार वृक्षों की कृषि तकनीकों, विपणन रणनीतियों तथा मूल्यवर्धन से संबंधित सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। बताया कि उत्तर प्रदेश में महुआ, आंवला, बेल, स्ट्रॉबेरी के उत्पादों के निर्माण और विपणन की व्यापक संभवनाएं हैं।
डा देवेंद्र पांडेय वैज्ञानिक प्रमुख आईसीएआर - सीआईएसएच लखनऊ ने बेल और आंवला की उत्पादन तकनीक में उन्नत प्रजातियों की जानकारी दी। डा एसके शुक्ला वैज्ञानिक प्रमुख केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने सम्भावित कम उपयोग वाली फल की फसलों के उत्पादन प्रौद्योगिकियों पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए इनके बचाव पर भी चर्चा की। केंद्र प्रमुख डा संजय सिंह ने जंगली खाद्य फलों जैसे करौंदा, बेल, जंगल जलेबी, कैथा, जामुन, गुलर, फालसा, बेर आदि पर एक विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। विश्व प्रकाश श्रीवास्तव, प्रभारी राजकीय खाद्य विज्ञान एवं प्रशिक्षण केंद्र ने विभिन्न उत्पादों के निर्माण का प्रदर्शन किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजकीय महाविद्यालय, सैदाबाद, शुआट्स, सीएमपी कॉलेज, पीएसी, ईको टास्क फोर्स, उप्र पुलिस, वन विभाग, नेहरू युवा केंद्र, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, इलाहबाद विश्वविद्यालय, एस। एस। खन्ना महाविद्यालय समेत अन्य संस्थानों के 30 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित हो रहे हैं।