मंडल में चार दर्जन से अधिक खुल गए जन औषधि केंद्र
शहर में हैं एक दर्जन, ब्रांडेड से कई गुना सस्ती हैं जेनेरिक दवाएं
ALLAHABAD: ब्रांडेड दवाएं भले ही महंगी हो जाएं लेकिन इलाज फिर भी सस्त उपलब्ध है। जिले ही नहीं, पूरे मंडल में तेजी से जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं। इनमें दवाएं भी काफी सस्ती उपलब्ध हैं। खुद डॉक्टर्स का कहना है कि ब्रांडेड से कई गुना सस्ती होने के बावजूद जेनेरिक दवाओं के असर में कोई अंतर नही होता।
अकेले शहर में एक दर्जन केंद्र
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की संख्या इलाहाबाद मंडल में पचास से अधिक पहुंच चुकी है। रोजाना नए लाइसेंस के लिए आवेदन पहुंच रहे हैं। जिले में 25 और शहर में एक दर्जन के आसपास जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। यहां 40 से 60 फीसदी तक कम दामों पर जेनेरिक दवाओं की बिक्री हो रही है, लेकिन जानकारी अधिक नही होने से लोग इसका फायदा नही उठा पा रहे हैं.जीएसटी के तहत टैक्स बढ़ जाने से कुछ दवाओं दामों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में जेनेरिक दवाएं बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं।
कितना है दवा के दामों में अंतर
दवा का नाम जेनेरिक कीमत ब्रांडेड कीमत
डायक्लोफेनेक सोडियम (50g) 2.10 22.50
आईबुप्रोफेन (400g) 4.35 7
निमुसुलाइड (100g) 2.70 32
एटोरिकाक्सिब (120g) 29.80 139
अमिकासिन (500mg) 12 74
एमाक्सिसीलीन (500mg) 23्10 103
एम्पिसिलीन (500द्वद्द) 21.85 74.50
एजिथ्रोमाइसीन (500द्वद्द) 81.50 266
सेफ्टाजेडिम (500द्वद्द) 37 200
सेफालेक्जिन (500द्वद्द) 31.50 115
सिप्रोफ्लाक्सासिन (500द्वद्द) 21.50 125
लिवोफ्लाक्सासिन (500द्वद्द) 44.45 951
नही होता है क्वालिटी में अंतर
जेनेरिक दवाएं बिना किसी पेटेंट के बनाई और सरकुलेट की जाती हैं। हां, जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है लेकिन उसके मैटिरियल पर पेटेंट नहीं किया जा सकता। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड से बनी जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी ब्रांडेड दवाओं से कम नहीं होती। न ही इनका असर कुछ कम होता है। जेनेरिक दवाइयों के प्रचार के लिए कंपनियां पब्लिसिटी नहीं करती। जेनेरिक दवाएं बाजार में आने से पहले हर तरह के डिफिकल्ट क्वालिटी स्टैंडर्ड से गुजरती हैं। ब्रांडेड दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं वहीं जेनेरिक दवाओं की कीमत को निर्धारित करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप होता है। यही कारण है कि इनका दाम ब्रांडेड के मुकाबले कम होता है।
ये भी जानना है जरूरी
जेनेरिक सस्ती दवाओं का दाम जानने के लिए हेल्थकार्ट प्लस और फार्मा जन समाधान जैसे मोबाइल एप मौजूद हैं।
जेनेरिक दवा ब्रांडेड दवाओं से सस्ती होती हैं। इससे आप हर माह अच्छी खासी कीमत बचा सकते हैं।
जेनेरिक दवाएं सीधे खरीददार तक पहुंचती हैं।
इन दवाओं की पब्लिसिटी के लिए कुछ खर्चा नहीं किया जाता। इसलिए ये सस्ती होती हैं।
सरकार इन दवाओं की कीमत खुद तय करती है।
जेनेरिक दवाओं का असर, डोज और इफेक्ट्स ब्रांडेड दवाओं की तरह ही होते हैं।
जीएसटी के चलते कुछ दवाएं महंगी हुई हैं। लेकिन, ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले जेनेरिक दवाएं काफी कम दाम में मिल रही हैं।
-परमजीत सिंह,
महासचिव, इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन
लोग लगातार जन औषधि केंद्र के लिए आवेदन कर रहे हैं। अब तक मंडल में पचास से अधिक खुल चुके हैं। लोग यहां से सस्ती दवाएं खरीद सकते हैं। इनका असर ब्रांडेड दवाओं से कम नही होता है।
केजी गुप्ता,
असिस्टेंट कमिश्नर, ड्रग विभाग
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं की क्वालिटी में अंतर नही होता है। दोनों समान असर होता है। लोगों को अब जागरुक हो जाना चाहिए। इससे उनका इलाज का खर्च कम होगा।
डॉ। आनंद सिंह, फिजीशियन
सरकार को शहर में जेनेरिक दवा केंद्रों की संख्या को बढ़ाना चाहिए। इससे सस्ते इलाज को बढ़ावा मिलेगा। बहुत से लोग अभी भी महंगे इलाज से परेशान हैं।
रीमा जायसवाल
बाजार में दवाओं के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। एक बार सस्ते होते हैं तो फिर से महंगे हो जाते हैं। ऐसे में सरकार को जेनेरिक दवाओं का व्यापक प्रचार प्रसार करना चाहिए।
हेमंत अग्रवाल
ब्रांडेड दवाओं के नाम पर बाजार में लूट मची है। गरीब इलाज नही करा पा रहे हैं। जेनेरिक दवाओं के बारे में लोगों को पता नही है। उन्हें इसके बारे में बताना होगा।
भूरे सिंह