प्रयागराज ब्यूरो ।


42
चुनाव वार्ड का नाम गंगानगर है।
18
हजार नगर निगम चुनाव के वोटर हैं
50
हजार से भी अधिक है वार्ड की आबादी
13
सफाई जोन का हिस्सा है यह वार्ड
02
बड़े और छह छोटे नाले वार्ड में हैं

इस शहर के विकास व स्वच्छता के लिए न तो बजट की कमी है और न ही व्यवस्था की। फिर भारत सरकार के स्वच्छता अभियान को यहां नालियां और नालों में व्याप्त गंदगी मुंह चिढ़ा रही है। सफाई के लिए नगर निगम के पास करोड़ों रुपये के खर्च का सिर्फ प्लान तो है। मगर उसे बेहतर तरीके से कराया कैसे जाय? इस बात को लेकर कोई सुनियोजित आइडिया नहीं है। शायद यही कारण हैं कि वार्डों में नाली और नाला सफाई का काम करोड़ों रुपये का बजट होने के बावजूद नहीं हो पा रहा है। बड़ी खूबसूरती के साथ हवाई वादों और कागजी तैयारियों का पर्दा बदतर हालात पर जिम्मेदार डालने में तुले हैं। आज हम आप को ले चलते हैं शहर के गंगानगर वार्ड 42 एरिया के पुराने बेली गांव में जहां नाले तो दूर नालियां तक सफाई के अभाव में बजबजा रही है।

फिर यहां तो जल भराव होना तय है
पुराना बेली गांव गंगानगर नगर निगम चुनाव वार्ड 42 का हिस्सा है। इस वार्ड दो बड़े व छह छोटे नाले बताए जाते हैं। एक बड़ा नाला काफी अंदर है जो धोबी घाट से निकलकर राजापुर उचवा गढ़ी होते हुए म्योराबाद से आगे बढ़कर बेली गांव, फिर यहां से होते यह नाला सीधे रसूलाबाद गंगा नदी तक पहुंचता है। वार्ड में पुराने बेली गांव से होकर गुजरने वाले इस नाले को पुलिया के साफ कुछ दिन पूर्व साफ करा दिया गया है। मगर उससे करीब दस बीस कदम आगे या पीछे बढऩे पर इस नाले की कंडीशन बहुत ही खराब है। पूरे नाले में कूड़ाकरकट और शिल्ट जमा है। कमोवेश यही हालात अन्य दोनों बड़े नालों के भी बताए जाते हैं। बेली हॉस्पिटल चोकी के पास से अंधर पुराने बेली की तरफ बढऩे पर अंदर तरफ नालियों की स्थिति भी बहुत ही खराब है। इस वार्ड के पुरानी बेली के पीछे से गंगा नदी में सिक्सलेन ब्रिज बनाया जा रहा है। ब्रिज के बगल इसी वार्ड का वही नाला नया पुरवा की तरफ गया हुआ है। इस नाले पर बजरदस्त कब्जा है। कुछ लोग तो नाले के ज्यादातर हिस्से पर मकान बनवा रखे हैं, तो कुछ पाट कर भैंस का तबेला चला रहा है। ऐसे में बारिश के वक्त यहां जलनिकासी नहीं होने पर हालात बदतर हो जाएंगे।

बाढ़ में जीना हो जाता है दुश्वार
पुराने बेली गांव के कुछ लोग कहते हैं कि इस एरिया के नालों और नालियों की कभी सफाई नहीं कराई जाती। बारिश के दिनों में यहां जलभराव से लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है। कई ऐसे घर हैं जिनमें बाढ़ के वक्त पानी भर जाता है। बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।