- श्रीनगर में तैनात ऑनरेरी कैप्टन अभय राज ने शेयर की कारगिल युद्ध की यादें
प्रयागराज- ऐसी सर्द रात जब आप अपने बिस्तर से उठना पसंद नहीं करेंगे। जब आपको चारों ओर सिर्फ बर्फ की चादर नजर आ रही हो और दस मीटर विजिबिलिटी न हो। ऐसी परिस्थिति में हमारे सेना के जवान कारगिल का युद्ध लड़ रहे थे। उनके हौसले को देखकर हमारा उत्साह भी कई गुना बढ़ जाता था और हम समय रहते उनको हथियार पहुंचा देते थे। जिससे दुश्मनों को जवाब देते समय उनकी ताकत जरा भी कम न हो। यह कहना है कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे ऑनरेरी कैप्टन अभयराज का। उनको श्रीनगर के नजदीक बुद्धखुरबू एरिया में एनिमेशन पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
रात में चलती थी ड्राइव
अभयराज बताते हैं कि बुद्धखुरबू श्रीनगर के नजदीक कारगिल जाने वाले मार्ग पर पड़ता है। हमारी ड्यूटी एनिमेशन पहुंचाने में लगी थी। बुद्धखुरबू वास्तव में हेलीपैड है और यहां से एनिमेशन जवानों तक पहुंचाया जाता था। हमारा काम डिपो से एनिमेशन और हथियार लेकर उसे हेलीपैड तक पहुंचाना था। लेकिन यह काम आसान नही थी। क्योंकि सर्द आसमान में चारों से तोप के गोलों की बौछार होती थी। कभी फायरिंग हमे लग सकती थी। बावजूद इसके हमारी ट्रकें रात के अंधेरे में हेलीपैड तक का सफर तय करती थीं। अपने साथियों का हौसला बढ़ाने के लिए मैं खुद साथ में जाता था।
अचानक शुरू हो गई फायरिंग
एक बार रात में बुद्धखुरबू में एनिमेशन पहुंचाने का आर्डर मिला। हमने बिना देरी किए डिपो को फोन कर दिया कि हम आ रहे हैं। वहां पहुंचे तो एनिमेशन तैयार था। रात में सिविलियंस नही मिलते थे इसलिए हमारे सेना के जवान ही हथियार लोडिंग और अनलोडिंग करते थे। इसमें काफी मेहनत लगती थी। डिपो से हम एनिमेशन लेकर निकले और जैसे ही बुद्धखुरबू पहुंचने वाले थे तभी रास्ते में बाजार पड़ती थी। बाजार क्रास करने से पहले ही अचानक वहां फायरिंग शुरू हो गई। हम चारों से घिर गए। लेकिन किसी तरह से वहां से बचकर निकलने में कामयाब रहे। हमारे जवानों ने फायरिंग का बखूबी जवाब दिया। देखते ही देखते हम समय पर एनिमेशन पहुंचाने में कामयाब रहे।
कंटीन्यू होती थी फायरिंग और गोलाबारी
कारगिल एक अनोखा युद्ध था। बताते हैं कि इसमें दुश्मन पहाड़ी पर था और हम नीचे थे। बावजूद इसके हमारे जवानों ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। रातभर एरिया में गोलीबारी होती थी। हमें हेलीपैड तक जमीन पर बैठकर जाना होता था। जितनी देर अनलोडिंग न हो जाए, जमीन पर ही बैठना पड़ता था। हमारे समूह में एक साथ 15-16 गाडि़यां जाती थी और सभी को खाली कराकर सुरक्षित लाना होता था। हालात कैसे भी हों एनिमेशन टाइमली पहुंचाना होता था। क्योंकि मेरी तैनाती हेड क्वार्टर में थी इसलिए जिम्मेदारी भी ज्यादा थी। बता दें कि अभयराज हंडिया तहसील के आलानगरी गांव के रहने वाले हैं। छह माह पहले वह रिटायर हो गए हैं लेकिन आज तक कारगिल युद्ध की यादों को भुला नही सके हैं।
शहीदों को दी श्रद्धांजलि
वीर सेनानी पूर्व सैनिक कल्याण समिति द्वारा कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर कारगिल वीर शहीदों को नमन कर पुष्पाजलि व पुष्प चक्र समíपत कर सलामी दी। पूर्व सैनिकों ने भारत माता की जय, वीर शहीद अमर रहे का नारा लगाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। न्यू कैंट पोनप्पा रोड स्थित डी एस ओ आई परिसर में शनिवार शाम आयोजित कार्यक्रम का नेतृत्व पूर्व सूबेदार कारगिल युद्ध विजेता श्यामसुंदर सिंह पटेल ने किया। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन विजय के तहत 6 मई से 26 जुलाई 1999 तक हिमालय की दुर्गम पहाडि़यों में समुद्र तल से 12000 फीट हाइट से ऊंचाई 24 000 फीट हाइट के बीच लड़ा गया जो अघोषित युद्ध था। कार्यक्रम में पूर्व सूबेदार मेजर बच्चालाल प्रजापति, पूर्व नायक प्रभाकर पाण्डेय, पूर्व हवलदार राकेश पाल, पूर्व हवलदार प्रमोद कुमार सिंह ,पूर्व सूबेदार अनिल कुमार त्रिपाठी ,पूर्व सूबेदार मेजर बी एन सिंह आदि उपस्थित रहे।