प्रयागराज (ब्यूरो)।: शहर के अंदर मकान में किराएदार रखते हैं तो सावधान हो जाइए। पैसे की लालच में किसी भी को किराएदार पर यूं ही रखने वाले लोग बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। किराएदार की हरकत से मकान मालिकों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। वह पुलिस की कार्रवाई की जद में भी आ सकते हैं। किराएदार रखते वक्त यदि नियमों का प्रॉपर पालन नहीं किए तो मकान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। शहर में इसके एक दो नहीं कई उदाहरण हैं। आज यहां मकान में बाहरी लोगों को बगैर जाने समझे किराए पर रखना लेना आम बात हो गई है। लोग जिस मकान में खुद रहते हैं उसमें भी रूम किराए पर उठाकर रुपये कमाते हैं। बगैर कुछ किए हजारों व लाखों की कमाई का जरिया कभी भी मुसीबत में डाल सकती है। बगैर वेरीफिकेशन व किराएदारी ड्रांफ्ट के किराएदार रखने में कितना रिस्क है, कई घटनाएं होने के बावजूद मकान मालिक सबक नहीं ले रहे हैं।
कमाई छिपाने के लिए ले रहे हैं रिस्क
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और तमाम शिक्षण संस्थाएं होने के कारण इस शहर को शिक्षा का हब भी माना जाता है। यहां पढ़ाई करने के लिए सिर्फ देश से ही नहीं, विदेश तक से युवा आते हैं। कई प्रतियोगी कोचिंग में भी हजारों छात्र यहां किराए पर रहकर पढ़ाई करते हैं। इन छात्रों को किराए पर मकान देने तक तो ठीक है। मगर, गैर जनपदों व प्रदेशों से भाग कर तमाम शातिर अपराधी यहां आकर आराम से किराए पर मकान ले लेते हैं। चूंकि मकान मालिक किराएदारों से न तो कोई ड्रांफ्ट एग्रीमेंट करवाते हैं और न ही सत्यापन के लिए पुलिस को कोई खबर देते हैं। घर में किराएदार रखते हैं, इस बात की खबर मकान मालिकों द्वारा नगर निगम को भी नहीं दी जाती। जबकि मकान में पब्लिक या किराएदार के बढऩे से साफ सफाई का सारा काम नगर निगम को देखना होता। वहीं, सुरक्षा के लिहाज पुलिस को भी यह जानना जरूरी होता है कि किसके यहां कौन और जिस जिले या प्रदेश अथवा देश का व्यक्ति किराए पर रहता है।
घटना के बाद मालूम पड़ती है सच्चाई
अधिकारी कहते हैं कि किसी घटना के बाद पता चलता है कि सम्बंधित व्यक्ति यहां किराए के मकान में निवास करता था। ऐसी स्थिति में मकान मालिकों के लिए तो खतरा रहता है, जिले की सुरक्षा पर भी सवालों के बादल मंडराते रहते हैं। सुरक्षा से सम्बंधित इस तरफ देखना या कभी किराएदारों का सर्वे कराना जिला प्रशासन भी मुनासिब नहीं समझ रहा। ऐसी स्थिति में किराएदारी से हजारों व लाखों कमा रुपये प्रति वर्ष कमाई करने वाले लोग इस इनकम का टैक्स तो बचा ही रहे हैं, जिले की सुरक्षा के लिए भी किसी खतरा से कम नहीं है।
धूमनगंज के सुलेमसराय चंदीपुर मोहल्ले में 24 फरवरी को हुई उमेश पाल व उसके गनर संदीप निषाद एवं राघवेंद्र की हत्या में नाम जद अतीक अहमद का परिवार चकिया में ही में किराए के मकान में रहता था। माफियाओं के खिलाफ चलाए गए अभियान में अतीक घर पीडीए ने जमीदोज कर दिया था। घर ढहाए जाने के बाद अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन के सामने सिर छिपाने का संकट उत्पन्न हो गया था। उमेश की हत्या के नामजद शाइस्ता की तलाश शुरू हुई तो पता चला कि वह परिवार संग चकिया में ही किराए के घर में रहती है। छानबीन शुरू हुई तो मकान बांदा निवासी जफर अहमद का बताया गया। हालांकि माफिया परिवार को संरक्षण के आरोप में जफर के बताए जा रहे मकान को बगैर नक्शे का बता कर पीडीए ने ढहा दिया था।
मध्य प्रदेश से आए छह नैनी में पंकज कुमार नामक एक शख्स के यहां किराए पर रहते थे। यहां किराए के मकान में रहकर सभी लूट पाट आठ आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के साथ गांजा आदि की सप्लाई का भी काम करते थे। इन शातिरों के जरिए इसी किराए के मकान में एक महिला की हत्या कर दी गई थी। घटना वर्ष 2022 में हुई थी। महिला की हत्या के बाद शातिर भाग गए थे। बदबू आने के बाद आसपास के लोगों की सूचना पर मामले का खुलासा हुआ था। काफी मशक्कत के बाद शातिर पकड़े गए थे। जांच में नैनी पुलिस द्वारा मकान मालिक पर अपराधियों को संरक्षण की धारा के तहत केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने बताया था कि पंकज खुद गांजे की सप्लाई किया करता था।
जानिए किरायेदारी अधिनियम ड्राफ्ट
किराएदारी पर नियंत्रण रखने वाले नियम देश के अंदर 1945 में लागू हुआ था। जो वक्त के साथ काफी रोना हो गया। इस लिए केंद्र सरकार ने किरायेदारी अधिनियम 2015 का एक ड्राफ्ट मॉडल पेश किया था। जिसमें देश में घर किराए पर देने के तरीकों में बदलाव दिखता है। अधिवक्ता कहते हैं कि सिक्योरिटी डिपॉजिट की वापसी इस ड्राफ्ट के मुताबिक किराए का तीन गुना सिक्योरिटी डिपॉजिट लेना तब तक गैर कानूनी है, जब तक इसका एग्रीमेंट न बनवाया जाय। किराएदार के घर खाली करने पर मकानमालिक को एक महीने में भीतर यह रकम लौटाना पड़ता है।
रेनोवेशन के बाद किराया बढ़ाना
बताते हैं कि ड्राफ्ट में कहा गया है कि बिल्डिंग के ढाचे की देखभाल के लिए किरायेदार और मकानमालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे। मकान मालिक ढाचे में सुधार करता है तो रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की इजाजत होगी। हालांकि इसके लिए किराएदार की सलाह भी लेना आवश्यक है। दूसरी ओर रेंट एग्रीमेंट लागू होने के बाद अगर बिल्डिंग का ढाचा खराब हो रहा है और मकान मालिक रेनोवेट कराने की स्थिति में नहीं है तो किराएदार किराया कम करने को कह सकता है। किसी भी झगड़े की स्थिति में किरायेदार रेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकता है।
बिना बताए नहीं आ सकता मकानमालिक
किराए पर परिसर या रूम अथवां फ्लैट के मुआयने, रिपयर से जुड़े काम या किसी दूसरे मकसद से आने के लिए भी मकानमालिक को 24 घंटे का लिखित नोटिस एडवांस में किराएदार को देना होगा। यदि किराएदार उचित कारण बताते नहीं मना करता है तो मकान मालिक मुआयना नहीं कर सकता। बसर्ते किराएदार को मुआयना के लिए एक निश्चित समय व दिन बताना होगा।
किराया न देने पर निकालना
मकान को किराए पर देने से पहले किराए से मकान मालिक को रेंट एग्रीमेंट में लिखी रूप से बनवाना चाहिए। एग्रीमेंट अवधि से पहले किरायेदार को तब तक निकाला जा सकता जब किराएदार लगातार कई महीनों तक किराया न दिया हो य वह प्रॉपर्टी का दुरुपयोग कर रहा। अगर रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी वह मकान खाली नहीं कर रहा है तो मकानमालिक को दो गुना मासिक किराया मांगने का अधिकार है।
नोटिस पीरियड
किराएदार के लिए यह जरूरी है कि वह घर छोडऩे से पहले मकान मालिक को एक महीने की नोटिस दे। रेंट एग्रीमेंट के दौरान अगर किरायेदार की मौत हो जाए तो इसके लिए ड्रांफ्ट में कहा गया है कि एग्रीमेंट उसकी मौत के साथ ही खत्म हो जाएगा। लेकिन, अगर उसके यानी किराएदार के साथ परिवार भी है तो किरायेदार के अधिकार उसकी पत्नी या बच्चों के पास चले जाएंगे।
सिविल कोर्ट नहीं करेगा सुनवाई
ड्रांफ्ट का मकसद किराए के नियम के लिए ढाचा, मकान मालिकों एवं किरायेदारों के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना है। ड्रांफ्ट में कहा गया है कि यह न तो केंद्रीय कानून है और न ही संसद द्वारा लागू किया जाने वाला केंद्रीय विधेयक। इसका मतलब है कि ड्राफ्ट सिर्फ एक प्रस्ताव है जो बाध्यकारी नहीं है। इसके अलावा यह तार्किक सलाहों के लिए खुला है।
यह नहीं है शामिल
ड्राफ्ट के प्रावधान में सरकार, शैक्षिक, कंपनियों, धार्मिक और चैरिटेबल संस्थाओं की इमारतों पर लागू नहीं होंगे।
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किराएदार रखते हैं तो यह करना जरूरी
मकान में किसी को भी किराएदार रखते समय उसका आधार कार्ड उसकी फोटो जरूर लें। साथ ही आधार कार्ड व फोटो लगा हुए एक किरायदारी यानी रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवा लें, ध्यान रहे कि एग्रीमेंट 11 महीने का ही होना चाहिए।
अधिवक्ता से तैयार स्टैंप पर तैयार कराए गए इस रेंट एग्रीमेंट की मूल प्रति अपने पास रखें और एक कॉपी किराएदार का सत्यापन कराने के लिए स्थानी पुलिस चौकी या थाने को को एप्लीकेशन के साथ दें। एप्लीकेशन में निवेदन करें किए यह व्यक्ति हमारे घर में किराए दार है लिहाजा इसका सत्यापन सुरक्षा के मद्देनजर रकाया जाना जरूरी है।
रेंट एग्रीमेंट में अपनी सारी शर्तों का उल्लेख करें, यह बात भी दर्ज कराएं कि वह किराएदार कितने रुपये प्रति माह देगा, यह भी लिखवाएं कि यदि उसकी चाल चरित्र ठीक नहीं होने या मकान को क्षति पहुंचाने अथवा मकान में अवैध व अनैतिक कृत्य करने पर यह उसकी स्वयं की जिम्मेदारी होगी और उसे बारि निकाल दिया जाएगा।
किराएदार की तरफ से यह अनुबंध कराएं कि वह मकान पर किसी तरह का दावा या अधिकार दायर नहीं करेगा, मकान में रेंट पर रहने के लिए वह मकान मालिक के द्वारा बनाए गए नियमों व शर्तों का पालन करेगा, उसके द्वारा नियत व शर्तों का उल्लंधन किए जाने पर वे स्वयं मकान खाली कर देगा या खाली करा लिया जाय।
वर्जन
मकान में किराएदार रखने के लिए मकान मलिकों को कुछ खास नियमों के बारे में जानना आवश्यक है। यदि बगैर रेंट एग्रीमेंट व सत्यापन कराए कोई किराएदार रखता है, और उस किराएदार की क्षति आपराधिक पाई जाती है तो उसे संरक्षण देने के आरोप में मकान मालिक पर भी पुलिस कार्रवाई करने का अधिकारी होती है।
पंकज त्रिपाठी, एडवोकेट हाईकोर्ट
किसी के यहां बराबर किराया देकर यदि कोई किराए पर रह रहा है तो उसके भी अपने कुछ अधिकार हैं। वह अपने इन अधिकारों का प्रयोग कर सकता है। मकान मालिक जबरदस्त बगैर नोटिस उसे मकान से निकाल नहीं सकता। यदि रेंट एग्रीमेंट नहीं कराया गया तो मकान मालिक बड़ी मुसीबत में भी फंस सकता है।
गौरव मिश्रा, एडवोकेट हाईकोर्ट