प्रयागराज ब्यूरो । डिग्री और मेडल मिले तो लगा कि सालों की मेहनत रंग ले आई। सोचा कि बस अब आसमान नापना बाकी है। यह हाल एमएनएनआईटी के दीक्षांत समारोह में शामिल टेक्नोक्रेट्स का था। उन्हे साल दर साल कड़ी मेहनत करने पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने उपस्थिति दर्ज कराई। टापर्स की सफलता के किस्से सुनाए गए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के फाउंडर चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ। आनंद देशपांडे ने स्टूडेंट्स का उत्साहवद्र्धन किया। सिविल इंजीनियरिंग के छात्र ऋषभ गुप्ता को ओवर आल गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम मेे एमएनएनआईटी के निदेशक प्रो। रामशंकर वर्मा, स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के निदेशक प्रो। कैलासा राव, एमएनएनआईटी बोर्ड आफ गवर्नर्स डॉ। विवेक लाल आदि उपस्थित रहे।

ऋषभ गुप्ता को ओवरऑल गोल्ड मेडल
दीक्षांत समारोह में कुल मिलाकर 1583 डिग्रियां प्रदान की गईं, जिनमें 1059 बीटेक, 345 एमटेक, 112 एमसीए, 32 एमबीए, 27 एमएससी और 35 पीएचडी के छात्रों को डिग्री दी गई। इसके अलावा, टॉपर्स को मेडल से सम्मानित किया गया, जिसमें 28 गोल्ड मेडल पोस्टग्रेजुएट छात्रों, 10 गोल्ड मेडल अंडरग्रेजुएट छात्रों और 13 स्पॉन्सर्ड गोल्ड मेडल (फैकल्टी, एलुमनी और इंडस्ट्री द्वारा दिए गए) शामिल थे। सिविल इंजीनियरिंग के छात्र ऋषभ गुप्ता को संस्थान का ओवरऑल गोल्ड मेडल दिया गया, उन्हें 2024 बैच के सभी बीटेक फाइनल ईयर छात्रों में से सबसे बेहतरीन छात्र के रूप में चुना गया। इस वर्ष 46 विदेशी छात्रों ने भी डिग्रियां प्राप्त कीं, जिनमें 34 पुरुष और 12 महिला डासा के माध्यम से और 14 पुरुष और 3 महिला आईसीसीआर के माध्यम से अध्ययन कर रहे थे।

तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
मुख्य अतिथि ने छात्रों को उनके सामथ्र्य और परिश्रम के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आपका आज इस पड़ाव का समापन जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है, जहां आपने कठिनाइयों को पार कर सफलता प्राप्त की है। डॉ। देशपांडे ने भारत के भविष्य को लेकर कहा कि यह जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और इसमें ग्रेजुएट्स की अहम भूमिका होगी। उन्होंने छात्रों को सफलता के लिए पांच सुझाव दिए। कहा कि बड़े सपने देखें, लगातार सुधार करें, टीमवर्क को समझें अपने मूल्यों को जानें और मेहनत करते रहें। अंत में उन्होंने कहा कि आपका समय अब शुरू होता है और आप दुनिया को बदलने के लिए तैयार हैं। अपनी जीवन यात्रा को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने आईआईटी खडग़पुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया था और 1990 में भारत लौटने पर आईटी क्रांति का हिस्सा बनने का मौका मिला। सफलता मेरे सपनों और कठिन परिश्रम से आई। कहा कि सही मौके तब ही मिलते हैं जब आप पूरी तैयार होते हैं।

कठिन मेहनत से पाया मुकाम
समारोह में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले कुछ छात्रों ने अपनी विजय यात्रा के अनुभव को साझा किया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी कठिन मेहनत और सही अध्ययन के तरीकों को दिया। छात्रों ने दूसरों को सलाह दी कि सफलता पाने के लिए निरंतर अभ्यास और सही दिशा में मेहनत करना बेहद जरूरी है।

एकाग्रता और समर्पण ने दिलाई सफलता
संस्थान के ओवर आल टापर ऋषभ गुप्ता 2024 बैच के सिविल इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर के छात्र हैं। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता को दिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी ज्यादा समय तक पढ़ाई नहीं की। हर दिन वह केवल 2 से 3 घंटे ही पढ़ाई करते थे और उस समय वह जो कुछ भी पढ़ते थे वह पूरी एकाग्रता और समर्पण के साथ पढ़ते थे। उन्होंने स्टूडेंट्स को सलाह दी कि छात्रों को उनके शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। न कि यह देखने की कोशिश करनी चाहिए कि वह कितने समय तक पढ़ाई कर रहे हैं। छात्रों को अपनी पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखनी चाहिए। यही एक ऐसा तरीका है जिससे छात्र अच्छे अंक ला सकते हैं और आगे एक अच्छा करियर बना सकते हैं। वह इस समय एचपीसीएल में सेल्स ऑफिसर की नौकरी कर रहे हैं और भविष्य में वे आईएएस प्रिपरेशन करेंगे।

पूरा हुआ गोल्ड मेडल का सपना
संस्थान के दूसरे गोल्ड मेडलिस्ट अध्र्यदीप अंबर चक्रवर्ती रहे। वह 2024 बैच के केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। उन्होंने भी अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया और बताया कि यह उनका सपना था कि वह गोल्ड मेडल प्राप्त करें। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि परीक्षा से लगभग दो सप्ताह पहले से अपनी तैयारियों की समीक्षा शुरू कर दें और जितना हो सके ज्यादा सवाल हल करें। इसे अपनी अध्ययन दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, इससे अंक और बेहतर आते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को कोई भी कठोर रूटीन नहीं फॉलो करना चाहिए। वे जिस विषय में मन लगाएं, उसे आराम से पढ़ें।

नियमित रूप से ज्वाइन करें कक्षाएं
तीसरे गोल्ड मेडलिस्ट अनुभव श्रीवास्तव आईटी के छात्र हैं। उन्हें पूरी शाखा में सबसे अधिक नंबर लाने के लिए गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता बहुत खुश हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने काफी मेहनत के साथ यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपनी कक्षाएं नियमित रूप से अटेंड करनी चाहिए और नोट्स तैयार करना जरूरी है। टीचर्स द्वारा बताई गई तकनीकों को फालो करें क्योंकि यह कभी कभी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर नही उपलब्ध होंती हैं। यह सब फालो करके वह परीक्षा के दबाव से बचे रहेंगे।