प्रयागराज ब्यूरो । बारिश के मौसम में स्नेक बाइट यानी सर्पदंश के मामलों में अचानक तेजी आ गई है। बिलों में बारिश का पानी घुस जाने के बाद सांप और बिच्छू बाहर आकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। पिछले डेढृ माह में स्नेक बाइट के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से तीन की मौत भी हो चुकी है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय से यह मरीज अस्पताल पहुंच जाते तो इनकी जान भी बचाई जा सकती थी। लेकिन झाड़ फूक के चक्कर में पड़कर लोग अनहोनी को दावत दे बैठते हैं।

जरूरी है एंटी स्नेक वेनम लगवाना

सांप काटने पर मरीज को सबसे पहले एंटी स्नेक वेनम लगवाना जरूरी है। यह शहर के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में इस सीजन में उपलब्ध है। खासकर जून से सितंबर के महीने तक स्नेक बाइट के मामले अचानक बढ़ जाने से एंटी स्नेक वेनम का स्टाक रखवाया जाता है। सांप काटने के केस में यह दवा काफी कारगर साबित होती है। लेकिन अक्सर देखने में आता है कि लोग झाड़ फूक के चक्कर में पड़कर देरी से अस्पताल पहुंचते हैं। जिसके बाद यह दवा भी अपना असर ठीक से नही दिखा पाती है।

जान बचाने के लिए जरूरी चार घंटे

आंकड़ों की बात करें तो डेढ़ माह के भीतर शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में स्नेक बाइट के 150 मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें से तीन की मौत हो चुकी है और 50 मरीजों को आईसीयू और 30 मरीजों को वेंटीलेटर में रखना पड़ा है। डॉक्टर्स का कहना है कि सांप काटने के बाद चार घंटे काफी महत्वपूर्ण होते हैं। अगर इस टाइम पीरियड में मरीज अस्पताल पहुंच जाए तो उसे आईसीयू में रखने की जरूरत नही पड़ती है।

किसलिए देरी से पहुंचते हैं मरीज

पिछले दिनों करछना के एक गांव में बच्चे को सांप ने डस लिया। परिजन उसे अस्पताल न ले जाकर नजदीक के गांव में झाड़ फूक वाले के पास ले गए। करीब दो घंटे तक वह तंत्र-मंत्र करता रहा। इस बीच बच्चे की हालत अधिक खराब हो गई। अंत में परिजन उसे नजदीक के एक निजी अस्पताल ले गए। जहां तत्काल इलाज मिलने के बाद उसकी जान बचाई जा सकी। इसी तरह मुंडेरा के एक निजी अस्पताल में स्नेक बाइट के शिकार एक बच्चे की जान तत्काल पहुंचने पर बचाई जा सकी। डॉक्टरों की माने तो सांप काटने के 4्र0 घंटे के बाद मरीज को उचित इलाज नही मिलने पर वह लकवे का शिकार भी हो सकता है।

इनके डंक भी दिखा रहे असर

सांप के अलावा इस सीजन में बिच्छू और जहरीले कीड़ों के डंक भी असर दिखा रहे हैं। अभी तक एसआरएन अस्पताल में आधा दर्जन बिच्छू काटने के मामले पहुंच चुके हैं। जबकि तीन दर्जन मरीज जहरीले कीड़े का शिकार होकर पहुंचे हैं। इन सभी को इलाज कराकर बचाया गया है। इसके अलावा करैत और नाग ऐसी सांपों की प्रजातियां हैं जिनके काटने से जान का खतरा बना रहता है।

वर्जन

अगर स्नेक बाइट के मरीज को चार घंटे के अंदर एंटी स्नेक वेनम की डोज लगा दी जाये तो उसकी जान आसानी से बचाई जा सकती है। लेकिन लोगों में जागरुकता का अभाव है। वह पहले विकल्प ढूंढने लगते हैं और बाद में वह अस्पताल आते हैं। तब मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है।

डॉ। राजीव सिंह, निदेशक, नारायण स्वरूप हॉस्पिटल्र प्रयागराज

आज भी हमारे देश में सांप के काटने पर लोग डॉक्टर के पास न जाकर झाड़ फूड और तंत्र मंत्र से इलाज कराना जरूरी समझते हैं। ग्रामीण के साथ साथ शहरी एरिया में भी यह चलन है। लोगों की इस मानसिकता के चलते बहुत से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक