प्रयागराज (ब्‍यूरो)। कहीं ऐसा तो नही कि आपकी आईडी से कोई और सिम एक्टिवेट हो और उसे कोई दूसरा यूज कर रहा है? जानकारी नही है तो पता कर लीजिए। क्योंकि, ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें धोखे से किसी की आईडी से एक से अधिक सिम एक्टिवेट कर उनका मिस यूज किया जा रहा था। जब ऐसा मामला सामने आया तो व्यक्ति के होश उड़ गए।
सामने आ चुके हैं मामले
उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस की जांच में यह सामने आया था। शूटर्स को पहले से एक्टिवेटेड 16 फर्जी सिम कार्ड दिए गए थे और सभी को एक एक मोबाइल फोन उपलब्ध कराया गया था। जिससे पुलिस उन्हे ट्रैक नही कर सके। यह सिम किसी अन्य की आईडी से एक्टिवेट किए गए थे और जिनकी आईडी लगी थी उनको इसकी भनक तक नही थी।

अक्टूबर 2021 में करेली पुलिस ने लखनऊ क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर एक गिरोह के चार लोगों को पकड़ा था। उनके पास से एक हजार एक्टिवेटेड सिम मिले थे। यह सभी फर्जी थे और दूसरे की आईडी से चल रहे थे। यह गिरोह कॉल सेंटर चलाता था और नौकरी देने के नाम पर युवाओं की आईडी का मिस यूज करता था।

2022 में प्रयागराज की साइबर क्राइम ब्रांच ने चित्रकूट से ऐसे गिरोह को पकडा था जो फर्जी एकाउंट के जरिए लोगों को ठगता था। इस धरपकड़ में चार फर्जी सिम भी बरामद किए गए थे जो दूसरी की आईडी से एक्टिवेट किए गए थे।

ऐसे बनाते हैं ग्राहकों को बेवकूफ
एक्सपर्ट बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से टेलीकॉम कंपनियों ने नियम सख्त बना दिए हैं।
बिना थंब इम्प्रेशन और फोटो आइडेंटिटी के कोई भी सिम एक्टिवेट नही किया जाता है।
लेकिन कई एजेंट या रिटेलर ऐसे भी होते हैं जो एरर बताकर दूसरे और तीसरी बार प्रॉसेस करते हैं।
ऐसे में ग्राहक को जानकारी नही होती और उसकी आईडी से दो से तीन सिम एक्टिवेट कर दिए जाते हैं।
बाद में उन्हें मुंह मांगे दामों पर बेचा जाता है।
वर्तमान में फर्जी सिम एक्टिवेट करने का यही एकमात्र तरीका है।
कई बार लोगों को पैसे का लालच देकर उनका आईडी का मिस यूज कर लिया जाता है।

एक दिसंबर से लागू हो गया बदलाव
सरकार ने अब इस फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए एक दिसंबर से नियमों में बदलाव कर दिया है।
अब सिम बेचने वालों को डीलर्स और पुलिस वेरिफिकेशन कराना होगा।
डीलर्स को भी टेलीकॉम कंपनी से अपना एक रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
अभी तक रिटेलर्स अपनी ओर से कैनोपी लगवाकर सिम बिकवा देते थे, जिसकी आड़ में फर्जीवाड़ा पनप रहा था।
अब पुलिस इन सभी रिटेलर्स और एजेंट का वेरिफिकेशन करेगी, तभी यह सिम बेच पाएंगे।
इस समय प्रयागराज में चार हजार अथराइज्ड रिटेलर हैं। जबकि 6 हजार से अधिक अवैध रिटेलर थे जिन पर सरकार ने नए नियम के तहत बैन कर दिया है।

दस लाख तक जुर्माना
बता दें कि किसी भी सिम बेचने वाले व्यापारी की पुलिस वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी टेलीकॉम ऑपरेटर्स की होगी। नियमों की अनदेखी करने पर 10 लाख का जुर्माना देना पड़ सकता है। नियमानुसार एक आईडी पर नौ से अधिक सिम एक्टिवेट नही हो हो सकते हैं। वर्तमान में बीएसएनएल के अलावा जियो, वोडाफोन आइडिया और एयरटेल कंपनियों के सिम ही मार्केट में उपलब्ध हैं।

ऐसे पता करें अपनी आईडी पर एक्टिव सिम की संख्या
पहले पोर्टल पर विजिट करें
यहां पर नो योर मोबाइल कनेक्शन आप्शन पर क्लिक करना होगा।
यहां बाक्स में अपना मोबाइल नंबर डालकर ओटीपी फिल करना होगा।
अब आपको उन सभी नंबरों की जानकारी हो जाएगी जो आपकी आईडी पर चल रहे हैं।
साथ ही पोर्टल पर नंबर और नोट माई नंबर पर क्लिक करना होगा।
अब नीचे की तरफ रिपोर्ट के बाक्स पर क्लिक करना होगा।
ऐसा करने के बाद आपको एक टिकट आईडी रिफरेंस नंबर भी मिलेगा।
ऐसा करने के बाद नंबर बंद हो जाएगा या आपके आधार कार्ड रिमूव कर दिया जाएगा।

सरकार ने एक बड़ा बदलाव किया है। जो भी एजेंट या रिटेलर सिम बेच रहे हैं सभी का रजिस्टे्रेशन और पुलिस वेरिफकेशन किया जाएगा। जिससे वह कोई गड़बड़ करें तो उनको पकडऩा आसान नही होगा। अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें लोग शिकायत करते हैं कि फलां नंबर उनकी आईडी से चल रहा है और उन्हें इसकी जानकारी नही है।
विभू अग्रवाल डीलर, एयरेटल कंपनी

सरकार ने पहले से ही थंब इम्प्रेशन और फोटो आईडी को आधार से लिंक कर दिया है। इसके वेरिफकेशन के बाद ही सिम दिया जाता है। फिर भी फर्जीवाड़ा हो रहा है जिसे रोकना जरूरी है। इसको लेकर उठाया गया सरकार का कदम सराहनीय है।
आशीष अरोरा मोबाइल विक्रेता