प्रयागराज ब्यूरो । शहर के प्रमुख चौराहों पर लगाए गए ट्रैफिक सिग्नल रेड होने पर चालक लेफ्ट साइड की रोड को भी छापकर खड़े हो जाते हैं। ट्रैफिक रूल्स के लिहाज से ऐसा करना गलत है। क्योंकि नियमानुसार सिग्नल रेड होने पर चालकों को लेफ्ट साइड की सड़क छोड़कर खड़ा होना होता है। इनके जरिए लेफ्ट की तरफ भी गाडिय़ां लगा दी जाती हैं। ऐसी स्थिति में उन लोगों का भी बेवजह वक्त बर्बाद होता है, जिन्हें बगैर रुके सिग्नल रेड होने पर लेफ्ट साइड से निकल जाना होता है। समस्या सिर्फ इतनी ही नहीं है। कुछ चौराहे ऐसे भी हैं जहां सिग्नल पर ब्रेकर के ऊपर व लेफ्ट साइड के हिस्से की रोड पर ई-रिक्शा व टैक्सी चालक वाहन स्टैंड बना रखे हैं। यहां गाडिय़ों को खड़ी करके वे बगैर रोक टोक के सवारियों को बैठाते और उतारते रहते हैं। यह हालात तब हैं जब नवंबर के इस महीने में जिले के अंदर यातायात माह चल रहा है। 'दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टरÓ द्वारा शनिवार को किए गए पड़ताल में जो सच्चाई सामने आई वह आप के सामने है। अब इसे आप चालकों में जागरूकता का अभाव कहेंगे या मनमानी? आप खुद तय करिए।
जागरूकता में कमी या मनमानी?
सिग्नल के पास ब्रेकर के ऊपर व लेफ्ट साइड गाडिय़ों को खड़ी करके सवारियों को बैठाने एवं उतारने से हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। समस्या उस वक्त और बढ़ जाती है जब सिग्नल रेड होता है। पूरा सिग्नल जाम जैसी स्थिति के झाम में उलझ जाता है। चालकों द्वारा ई-रिक्शा व टैक्सी लेफ्ट रोड पर खड़ी करने से सिग्नल रेड होने की स्थिति में लेफ्ट जाने वाले लोग भी इस जाम में सिग्नल ग्रीन होने तक अकारण ही फंसे रहते हैं। यह स्थिति शहर के पत्रिका चौराहा, इसके आगे पेट्रोल टंकी चौराहा, सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के पीछे गेट वाला चौराहा, सिविल लाइंस चौकी चौराहे पर देखी जा सकती है। सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के पीछे व पत्रिका के आगे पेट्रोल टंकी चौराहे की स्थिति बद से बदतर है। यहां सिग्नल के नीचे सड़क पर ई-रिक्शा व टैक्सी चालकों ने कब्जा कर रखा है। इन दोनों चौराहों का सिग्नल रेड होने पर यहां जाम जबरदस्त जाम वाली स्थिति बन जाती है। ग्रीन होने के बाद भी पूरी गाडिय़ां सिग्नल को पार नहीं कर पातीं और फिर रेड सिग्नल जल जाता है। पड़ताल के दौरान रिपोर्टर ने कई लोगों से इस समस्या को लेकर सवाल की। सभी के जवाब थे कि इस स्थिति के पीछे अफसरों की अनदेखी बड़ी वजह है। ट्रैफिक रूल्स व रेड सिग्नल पर कहां और कैसे खड़ा होना यह गाड़ी चलाने वाले हर शख्स को मालूम है। चूंकि अफसर कार्रवाई नहीं करते, इस लिए चालकों के जरिए मनमानी बरती जा रही है।


आरटीओ विभाग लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस बना देता है। मगर उन्हें ट्रैफिक रूल्स की ट्रेनिंग नहीं देता। यही वजह है कि जागरूकता के अभाव में लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं। शहर में हर चौराहे पर रेड लाइन होने की स्थिति में लेफ्ट रोड पर छाप लेते हैं। यह गलत है, पर सवाल यह है कि यह बात चालकों को बताएगा कौन? वे अपने से सुधरने वाले तो नहीं है।
अरुण मिश्रा, शिक्षक जार्जटाउन

यहां हर आदमी अपने मन की करता है। किसी को नियम और कानून से कोई मतलब नहीं है। अगर रेड लाइट होने पर लेफ्ट साइड रोड लोग खाली रखें तो इतनी जाम की स्थिति नहीं बने। जिसे लेफ्ट से निकला होगा वे चला जाएगा। सिग्नल पर बेवजह उनका वक्त नहीं बर्बाद होगा और जाम जैसी स्थिति भी चौराहे पर नहीं होगी।
अभिषेक केसरवानी, व्यापारी चौक

यह समस्या तो इस शहर की बहुत बड़ी है। शहर के जिस भी चौराहे पर रेड लाइट सिग्नल लगाए गए हैं हर जगह यही समस्या है। सिग्नल रेड होने पर ई-रिक्शा और टैक्सी चालक ही नहीं बाइक वाले भी रोड पर लेफ्ट साइड जाकर खड़े हो जाते हैं। यह ट्रैफिक रूल्स का सरासर उल्लंघन है। चूंकि कोई कार्रवाई अधिकारी करते नहीं लिहाजा लोग मनमानी करते हैं। जबकि तमाम लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लेफ्ट होकर आगे जाना होता है।
गौरव मिश्रा, एडवोकेट हाईकोर्ट

शहर में ट्रैफिक रूल्स का कड़ाई से पालन कराया जाना आवश्यक है। यहां लोग रोड बगैर हेलमेट व रेड लाइट पर पूरी रोड छापकर सबसे आगे खड़े होने की कोशिश करते हैं। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें रेड लाइन होने पर कैसे खड़ा होना होना चाहिए। यहां तक कि जेब्रा लाइन क्रास करके तमाम लोग ब्रेकर पर या उसके आगे खड़े हो जाते हैं।
मो। अलीम, व्यापारी बम्हरौली


टैक्सी व ई-रिक्शा यूनियन के साथ जल्द ही बैठक करके इस समस्या का हल निकाला जाएगा। इसके बाद भी हालात में सुधार नहीं होने पर सख्ती के साथ कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई के जिम्मेदार रूल्स तोडऩे वाले वाहन चालक ही होंगे। रेड सिग्नल पर लेफ्ट साइड रोड खाली करके ही गाडिय़ों को रोकना है, यह बात सभी को मालूम है।
अमित कुमार, ट्रैफिक इंस्पेक्टर