प्रयागराज (ब्यूरो)। हॉस्टल की फीस में करीब तीन साल पहले बेतहाशा इजाफा किया गया। कुछ छात्रों ने इस पर विरोध दर्ज कराया लेकिन बात बनी नहीं और बढ़ी हुई फीस लागू कर दी गयी। छात्रों ने इसे स्वीकार भी कर लिया। यूनिवर्सिटी ने आनलाइन मोड में फीस जमा कराना भी शुरू कर दिया। इसके बाद जो प्रावधान जारी किये गये उसके मुताबिक फीस के रूप में और कोई धनराशि जमा नहीं करायी जाएगी। इसके बाद भी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एसएसएल हॉस्टल में रहने वाले छात्रों से मेंटेनेंस के नाम पर पांच सौ रुपये की डिमांड की जाने लगी। यह डिमांड सभी फ्रेशर छात्रों के पास पहुंच गयी तो उन्होंने इसकी रिसीविंग मांगना शुरू कर दिया। यहां आकर मामला बिगड़ गया। छात्रों ने इसकी लिखित शिकायत की तो सीधे सीधे धमकी मिल गयी है कि उनके खिलाफ रिपोर्ट लिखवाकर जेल भेजवा दिया जायेगा। इससे छात्र सहम गये हैं। उधर, हॉस्टल के वार्डेन का कहना है कि उनकी तरफ से ऐसी डिमांड नहीं की गयी है। उन्होंने इसे षडय़ंत्र करार दिया है।
कैश में ही मेंटेनेंस की डिमांड
छात्रों ने जो कुछ भी बताया उसके मुताबिक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल की फीस आनलाइन मोड में जमा करवायी थी। तब कहा गया था कि इसके अलावा कोई शुल्क नहीं देना है। मेंटेनेंस के नाम पर पांच सौ रुपये की डिमांड ज्यादातर फ्रेशर छात्रों से की गयी है। यह पेमेंट उन्हें आनलाइन करने की भी सुविधा नहीं है। छात्रों का कहना है कि यदि यह फीस आफिशियल वसूल की जा रही है तो इसकी डिमांड नोटिस भी वेबसाइट पर अपलोड होनी चाहिए और जमा करने की सुविधा भी आनलाइन होनी चाहिए।
बर्खास्तगी की दी धमकी
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर छात्रों की शिकायत यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट से किये जाने की सूचना पर उनके बीच पहुंचा। यहां छात्रों के चेहरे पर खौफ का साया दिखा। वे कैमरे के सामने बोलने से कतराए। बदले में उन्होंने वह लेटर जरूर दिखा दिया जो यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट को भेजा है। इसमें मेस मेंटेनेंस के नाम पर 500 रुपए लिए जाने का जिक्र किया गया है। बताया कि कई छात्रों से पैसे की वसूली हो भी चुकी है। यह रुपये उनसे जबरन कैश लिये गये। उन्होंने छात्रावास प्रशासन से इसका हिसाब मांगा तो बर्खास्तगी की धमकी दी जाने लगी। इस पर जूनियर छात्र मदद के लिए सीनियर छात्रों के पास गये। तब सीनियर्स जूनियर्स की परेशानी समझते हुए उनकी मदद को तैयार हो गए। दोनों ने साथ मिलकर छात्रावास प्रशासन से पैसे का हिसाब मांगने लगे तो उस पर छात्रावास के अधीक्षक ने अपने पद का धौंस दिखाते हुए कहा की मैं प्राक्टोरियल बोर्ड का मेंबर हूं छात्रावास का सारा निर्णय मेरे हाथ में है। बेहतर यही होगा की सारे सीनियर्स पीछे हट जाएं और इस निर्णय में अधीक्षक का सहयोग करें। मगर सीनियर्स से पीछे हटने से इंकार कर दिया तो उनके ऊपर एंटी रैगिंग जैसे भयानक आरोप लगा उनको छात्रावास से बाहर निकालने की धमकी दी जाने लगी। छात्रों का कहना है की जब इतना करने के बाद भी छात्र पीछे नहीं हटे। तो उनके घर वालों को फोन कर छात्रों पर दबाव बनाने का प्रयास किया गया। जो उनके लिए किसी मानसिक प्रताडऩा से कम नहीं है।
छात्रों के लिए बंद पुलिस के लिए खुला रहा मेस
छात्रों ने बताया की जब छात्रावास को रेड डालकर 11 जनवरी को जब खाली कराया जा रहा था उस दिन छात्रों के लिए मेंस को बंद कर दिया गया था। उनके जगह पर वहां पहुंची पुलिस को स-सम्मान भोज कराया गया। एक वक्त मेस बंद रहने की सूचना दी गई थी मगर दूसरे वक्त भी मेस को जानबूझकर बंद किया गया। इस पर छात्रों ने अधीक्षक से शिकायत कि की अगर मेस बंद है तो छात्र खाना कहां खाएंगे। इस पर अधीक्षक ने जो जवाब दिया छात्रों के मुताबिक वह चौंकाने वाला था। छात्रावास के अधीक्षक का कहना था की अगर एक दिन नहीं खाओगे तो मर नहीं जाओगे।
पत्र लिखकर की शिकायत
छात्रावास अधीक्षक द्वारा मिली धमकी से छात्रों को कॅरियर की चिंता सताने लगी है। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन को इन सारी समस्या से अवगत कराने के लिए पत्र लिख दिया है। इसमें छात्रों ने अपनी सारी समस्या बताई और इसके निस्तारण कि मांग की है। पत्र पर छात्रों ने अपने हस्ताक्षर कर अधीक्षक द्वारा की जा रही अवैध वसूली के विरूद्ध आवाज उठाई और जल्द से जल्द समस्या के निस्तारण का निवेदन किया।
हॉस्टल फीस के अलावा कोई पैसा छात्रों से न लिया गया है और न डिमांड की गयी है। यह षड्यंत्र के तहत बदनाम करने की कोशिश है। किसी छात्र को किसी ने कुछ कहा है तो वह सीधे आकर शिकायत दर्ज करा सकता है।
डॉ अतुल सिंह अधीक्षक, एसएसएल हॉस्टल