प्रयागराज (ब्यूरो)। अगर हादसा गैस सिलेंडर की वजह से हुआ है तो मरने वालों को मुआवजे के तौर पर छह लाख रुपए प्रति व्यक्ति दिया जाता है। मेडिकल एक्सपेंसेज के तौर पर एक दुर्घटना में अधिकतम तीस लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसमें प्रति घायल व्यक्ति को अधिकतम दो लाख रुपए दिया जाता है। तत्काल राहत के तौर पर 25 हजार रुपए प्रति व्यक्ति देने का प्रावधान है। अगर हादसे में माल का नुकसान भी हुआ है तो दो लाख रुपए प्रति घटना अधिकतम दिया जाएगा। यह भी बता दें कि प्रत्येक एलपीजी कंपनी ऐसी घटनाओं के लिए सालाना अधिकतम बीस करोड़ का बीमा करवाती है। इंडियन ऑयल कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम तीनों कंपनियों के लिए यह मानक निर्धारित किया गया है।
लगती है पुलिस और सर्वेयर की रिपोर्ट
एलपीजी कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि क्लेम लेेने के लिए यह प्रूफ करना होता है कि हादसा गैस सिलेंडर लीकेज की वजह से हुआ है। इसके लिए सर्वेयर की रिपोर्ट लगाई जाती है। साथ ही पुलिस में दर्ज एफआईआर और फायर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट भी देखी जाती है। अगर इनमें प्रूफ हो गया तो पीडि़त के मुआवजा मिलना तय होता है। अन्यथा की स्थिति में कंपनियां क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं।
दो घंटे में पहुंचेगा कर्मचारी
एक और चीज है जिसके बारे में एलपीजी उपभोक्ताओं को जानकारी नही है। सभी एलजीपी कंपनियों की ओर से एक कॉमन हेल्प लाइन नंबर जारी किया गया है। अगर गैस सिलेंडर लीकेज है तो तत्काल हेल्प लाइन नंबर 1906 पर कॉल करना होगा। इसमें कस्टमर केयर को अपने नाम और पता आदि की जानकारी देनी होगी। दो घंटे के भीतर कर्मचारी कस्टमर के घर पहुंचकर लीकेज की मरम्मत करेगा।
अगर हादसा गैस सिलेंडर की वजह से हुआ है तो बीमा क्लेम जरूर मिलेगा। लेकिन इसे प्रूफ करना होता है। इसके लिए सर्वेयर की रिपोर्ट और एफआईआर की कॉपी की जरूरत होती है। जिनको पता है वह इसके लिए क्लेम करते हैं।
सर्वज्ञ श्रीवास्तव, वरिष्ठ प्रबंधक एलपीजी सेल्स, इलाहाबाद इंडेन मंडल कार्यालय, आईओसी