प्रयागराज (ब्‍यूरो)। एक तो सरकारी अस्पतालों में पहले से डॉक्टरो की कमी है। ऊपर से शासन लगातार अनुपस्थित चल रहे डॉक्टरों को बर्खास्त कर रहा है। पिछले दो माह में दो डॉक्टरों पर कार्रवाई की गई है। यह दोनों शासन के अनुसार लंबे समय से बिना सूचना अनुपस्थित चल रहे थे। बता दें कि जिले मेें 22 ऐसे डॉक्टर हैं जिन्होंने चार से पांच साल पहले ही सेवा से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि शासन जल्द ही किसी और डॉक्टर को भी बर्खास्त कर सकता है।

लोक सेवा आयोग से होता है चयन
जब इस मामले में सीनियर डॉक्टर्स से बात की गई तो उनका कहना था कि सरकारी सेवा में डॉक्टर्स लोक सेवा आयोग के जरिए चयनित होकर आते हैं। इसकी एक तय प्रक्रिया होती है। लेकिन जब इस्तीफा देते हैं तो इसका एक प्रारूप तय होता है। जिसे सीएमओ को सौंपा जाता है। सीएमओ इसे एडी हेल्थ और फिर यह इस्तीफा यहां से शासन को भेजा जाता है। जानकारी के मुताबिक अभी तक शासन ने 22 में से एक भी इस्तीफा को स्वीकार नही किया है। ऐसे में सभी को लंबे समय से बिना सूचना अनुपस्थित मान लिया गया है और अब बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा रही है।

इन्होंने दे रखा है इस्तीफा
इस्तीफा देने वालों में अधिक ग्रामीण एरिया में तैनात हैं। इनमें इनमें सीएचसी मेजा के डॉ। वीके चौधरी जो 2011 से अनुपस्थित हैं, सीएचसी धनुपुर डॉ। मोना त्रिपाठी 2017, सीएचसी फूलपुर डॉ। धनेष त्रिपाठी 2017, सीएचसी कौंधियारा के डॉ। प्रिया सिंह 2018 व सीएचसी रामनगर के डॉ। रतिभान सिंह 2017 से अनुपस्थित हैं। अधिकतर तो अपनी प्राइवेट प्रेक्टिस में मशगूल हैं। लेकिन दो बर्खास्तगी के बाद सभी के कान खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि इस्तीफा देने के बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई क्यों की जा रही है। जो बर्खास्त किए गए हैं उनमें एक बेली अस्पताल के पीडियिाट्रिशन तो दूसरे महिला हॉस्पिटल की चिकित्साधिकारी हैं।

त्यागपत्र देने के कई मानक और प्रारूप होते हैं। इस प्रकार के त्यागपत्र मान्य नहीं किये जाते हैं। फिलहाल 22 डॉक्टर्स हैं जो लंबे समय से अनुपस्थित हैं।
डॉ। आशु पांडेय, सीएमओ प्रयागराज