प्रयागराज (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत में पीपल गांव की रहने वाली 62 वर्षीय शबनम ने जो बताया उसे सुनकर कोई भी हैरान हो जाएगा। शबनम बताती है कि 2014 से पहले ऑनलाइन रजिस्ट्री नहीं होती थी। सब काम माफिया अपने यहां बुलाकर करा लेते थे। कुछ दिन बाद अपना नाम तक खतौनी में चढ़वा लेते थे। जब पति या बेटा या फिर भाई घर आते थे तो पता चलता था कि जबरन अंगूठा या सिग्नेचर करा लिया गया है। उस दिन से लेकर कई महीनों तक घर का चूल्हा तक नहीं जलता था। बस वक्त का इंतजार किया जा रहा था। क्योंकि यह जमीनें हम लोगों के पुश्तैनी निशानी है। उस निशानी को बंदूक व गुंडई के दम चल हड़प लिया जाता था। आज पता चलता है इन जमीनों की करोड़ों की कीमत हो चुकी है। हम लोग कल भी झोपड़ी में थे और आज भी। पीपल गांव वाली जमीन अब्बू कुछ उनके भाई व अन्य के नाम पर थी। जिसको माफिया ने अपनी पत्नी शाइस्ता के नाम पर करा लिया था। आज इस जमीन की कीमत 24 करोड़ रुपये आंकी गई है।

केस 02
रहीमाबाद में कुर्क हुई अतीक के नाम की तीस करोड़ जमीन से ताल्लुक रखने वाले अंजुम अंसारी के परिवार के सदस्य बताते है कि जिस जमीन को प्रशासन ने बुधवार को कुर्क किया है। वह कभी उनके परिवार की हुआ करती थी। कौन सा साल था। यह याद नहीं है। घटना को याद करते हुए बताया कि उस समय बारिश बहुत हो रही थी। कुछ लोग कार से असलहा व बंदूक लेकर आए और कहने लगे। भाई ने
ऑफिस बुलाया है। जबरदस्ती उनको अपने साथ कार से लेकर चले गए। पांच घंटे बाद वह पैदल घर चलकर पहुंचे। कुछ बोल नहीं रहे थे। बस यह बोल रहे थे कि अब जमीन उनको लिखना ही पड़ेगा। पता नहीं कहां से उधार ले लिया। अब उधार पैसा वापस लेकर जमीन लिखवाना चाह रहे है। उनके लोग इतना दबाव बना रहे थे कि आखिर अतीक के नाम पर लिखना ही पड़ा। उधार लिया थोड़ा और जमीन लिखवा ली पूरी।

केस 03
अकबरपुर के रहने वाले धर्मराज यादव बताते हैं कि जिस बीस करोड़ की जमीन को प्रशासन ने कुर्क किया है। वह जमीन चार भाइयों व अन्य किसानों की हुआ करती थी। एक किसान ने उधार लिया था। वह उसने ही अपना कुछ हिस्सा उधारी के चक्कर में बेचा था। बाकि लोगों का तो अपने आप कब्जा होता चला गया। थोड़ा बहुत देकर जबरन लिखवा लिया गया। आज प्रशासन की इस कार्रवाई से न सिर्फ जमीन के असली मालिक खुश है। बल्कि पूरा गांव खुश है। इस जमीन पर खेती कर कई घरों का परिवार चलता था। जिसको अतीक एंड कंपनी ने शाइस्ता के नाम से लिखवा लिया। पहले माफिया व गुंडों के चलते किसान परेशान था। उनके आदमी हर जगह घुमते रहते थे। लोगों को मजबूरी समय में पैसा देकर सादे पेपर पर अंगूठा लगवा लेते थे। बाद में पता चलता था कि वह तो अपना एक हिस्सा बेच चुके हैंै।

75
करोड़ की संपत्ति पर हुई कार्रवाई
2014
से पहले नहीं था ऑनलाइन रजिस्ट्री सिस्टम
10
परसेंट भी नहीं करते थे भुगतान
12
दिन में ही सौ करोड़ की चोट

इन संपत्तियों पर हुई थी कार्रवाई
1.9450
हेक्टेयर, शाहा उर्फ पीपलगंाव में कुर्क हुई है जमीन
1.8350
हेक्टेयर, अकबरपुर मिर्जापुर में कुर्क हुई है जमीन
0.5240
हेक्टेयर, रहिमाबाद में कुर्क हुई है जमीन

प्रयागराज में ही नहीं बल्कि जिले से बाहर जमीन का ब्योरा निकाला जा रहा है। उन संपत्तियों को भी कुर्क किया जाएगा। इस कार्य में बकायदा धूमनगंज व पूरामुफ्ती की टीम लगी हुई है।
वर्जन - राजेश कुमार मौर्या, धूमनगंज थाना प्रभारी