प्रयागराज (ब्यूरो)।लाइट नही होने से हॉस्पिटल कैंपस स्थित अमृत फार्मेसी भी बंद हो गई। यहां पर मरीजों को सस्ती दवाएं नही मिल सकीं। इसकी वजह से उन्हें महंगी दवाएं खरीदने पर मजबूर होना पड़ा। शाहगंज निवासी अल्ताफ और साउथ मलाका निवासी गौरव कक्कड़ ने बताया कि अमृत फार्मेसी से दवाएं खरीदने में काफी फायदा है। यहां बाजार से आधे दाम पर दवाएं मिल जाती हैं, लेकिन लाइट नही होने से फार्मेसी संचालक ने दवा देने से साफ मना कर दिया। इसी तरह आयुष्मान सेंटर में आने वाले लोगों का कार्ड रिन्यूवल करने से इंकार कर दिया गया। सेंटर आपरेटर ने कहा कि लाइट नही होने से यूपीएस का बैकअप खत्म हो गया है। अब हम कुछ नही कर सकते हैं।
शोपीस बने कूलर और पंखे
बिजली कटौती से वार्डों की हालत भी खराब रही। खासकर सर्जरी और आर्थोपेडिक वार्डों के मरीजों को भीषण गर्मी में पसीना बहाना पड़ा। परिजनों ने बताया कि इस गर्मी में केवल पंखों से काम नही चलता है। इस हालात में मरीजों के घाव में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। वार्ड में लगे कूलर जर्जर हो गए हैं और इनमें पानी भी नही भरा जाता है। यह गर्म हवा फेकते हैं जिससे मरीजों की तबियत अधिक खराब हो जाती है। ऐसे में वह घर से पंखा और कूलर लेकर आए हैं। बिजली कटौती की वजह से यह भी शोपीस बने हुए हैं। परिजनों ने बताया कि सोमवार को भी अस्पताल में पांच से छह बार पावर कट हुआ था।
बिना डीजल कैसे चलाएं जनरेटर
कहने को अस्पताल में 250, 450 और 625 केवीए के दस जनरेटर मौजूद हैं लेकिन डीजल की कमी की वजह से यह कम चलते हैं। गर्मी के मौसम में लगातार हो रही कटौती के बावजूद इनकी सुविधा नही ली जा रही है। मंगलवार को डीजल नही होने से इनको चालू नही किया जा सका। सूत्र बताते हैं कि एक-एक जनरेटर एक हजार लीटर डीजल की क्षमता वाला है लेकिन इसके मुकाबले डीजल काफी कम दिया जाता है। इसकी वजह से लंबी बिजली कटौती होने पर इनका भरपूर उपयोग नही हो पाता है।
मोबाइल रखिए और स्ट्रेचर ले जाइए
एसआरएन अस्पताल में हाल ही में स्ट्रेचर और व्हील चेयर के लिए अलग से सेंटर बनाया गया है। यहां पर लोग अपने मरीज के लिए यह सुविधा लेते हैं। लेकिन मंगलवार को रिपोर्टर ने जब परिजन बनकर व्हील चेयर मांगी तो स्टाफ ने मना कर दिया। उनका कहना था कि हमारे पास स्टाक नही बचा है। सब मरीज लेकर गए हैं। अगर चाहिए तो डीएल और मोबाइल सरेंडर करके जाइए। उन्होंने बताया कि लोग स्ट्रेचर और व्हील चेयर वापस कर जाएं इसके लिए मोबाइल रखने का नियम बनाया गया है।
तीन महीने बाद मिलेगा नंबर-
इसके बाद रिपोर्टर ने एमआरआई सेंटर का रुख किया। यहां पर बताया कि हम तीन माह बाद की डेट दे रहे हैं। इसके पहले एमआरआई नहीं हो हो पाएगा। मऊ चित्रकूट से आए महेश प्रसाद ने बताया कि उन्हें किडनी और आंख की शिकायत है। एक साल पहले डॉक्टर ने एमआरआई लिखी थी लेकिन तीन माह वेटिंग देने की वजह से प्राइवेट में 9 हजार में जांच कराई गई। अब डॉक्टर ने फिर से एमआरआई जांच लिखी है। यहां आए तो पता चला कि फिर से वेट करना होगा। रिक्वेस्ट कर रहे हैं हो सकता है सुनवाई हो जाए।
अपना आयुष्मान कार्ड रिनूवल कराने आए हैं लेकिन इन्होंने मना कर दिया। इनका कहना है कि लाइट नही है और कम्प्यूटर नही चल रहा है। ऐसे में लाइट आने के बाद ही कुछ हो जाएगा।
रतिभान सिंह, ममफोर्डगंज
सुबह से आए हुए हैं लेकिन लाइट जाने की वजह से पंजीकरण नहीं हो पाया है। अपने नंबर का इंतजार कर रहे हैं। अब पर्चा बनने के बाद ही डॉक्टर को दिखा पाना संभव होगा।
मो। इसराइल, बरौत
कई घंटे पर्चा बनवाने में ही चला गया। अब यहां से निकलकर ओपीडी जाएंगे। पता नहीं डाक्टर मिलेंगे या नहीं। बार-बार लाइट जा रही है। इससे हम लोग तंग आ चुके हैं।
मो। राशिद, करेली
मेरे पिताजी भर्ती हैं। कल और आज दो दिन से बार-बार लाइट जाने की वजह से मरीजों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। वार्ड में केवल पंखे लगे हैं और कूलर भी नहीं चलते हैं।
संग्राम सिंह, सोरांव
मार्निंग में हाई टेंशन लाइन का डीओ खराब होने की वजह से लाइट चली गई थी। बिजली विभाग से इसकी कम्प्लेन की गई तो उन्होंने मरम्मत कर दोबारा आपूर्ति चालू की है। थोड़ी देर मरीज परेशान हुए फिर सबकुछ बहाल हो गया था।
अजय सक्सेना, एसआईसी, एसआरएन अस्पताल