प्रयागराज (ब्यूरो)। वर्क प्लेस का दबाव, टारगेट पूरा करने की चिंता, रात में घर देर से पहुंचना और सुबह जल्दी उठकर आफिस जाना। यह सभी कारण लोगों की नींद का दायरा घटा रहे हैं। नींद पूरी नही होने से लोगों को तमाम प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। उनकी मानसिक और शारीरिक दुश्वारियोंं का इजाफा हो रहा है। खुद डॉक्टर्स का कहना है कि नींद कम लेने से बॉडी को रिलैक्स नही मिल पाता, जिससे पूरा फंक्शन डिस्टर्ब होने लगता है।
चार घंटे सोना भी मुश्किल
पहले कहा जाता था कि लोगों को स्वस्थ रहने के लिए कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। वर्तमान में ऐसा नही हो रहा है। लोग ठीक से चार घंटे भी नही सो पा रहे है। उन्हे सोने का भरपूर समय नही मिल रहा है या फिर नींद ही नही आ रही है। रात में एक बार नींद टूटने के बाद दोबारा सोना मुश्किल हा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण मानसिक तनाव बना हुआ है। किसी भी कारण उत्पन्न यह स्ट्रेस रातों की नींद उड़ा रहा है।
पता नही कब ली थी भरपूर नींद
खुल्दाबाद के रहने वाले विकास गुप्ता पिछले कई माह से रात में तीन से चार घंटेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे भी नही सो पाते हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट नौकरी में सेल्स का काम करते हैं। टारगेट पूरा नही होने के तनाव के चलते वह देर रात तक मार्केट में रहते हैं। जिससे उन्हें सोने का पर्याप्त समय नही मिल पाता है। हंडिया निवासी योगेंद्र मीडिया कर्मी हैं। वह देर रात घर आते हैं और मार्निंग मे बच्चे को छोडऩे स्कूल जाते हैं। इस वजह से उनकी नींद बहुत ज्यादा डिस्टर्ब होती है और अब उनकी नंींद का दायरा भी काफी कम हो गया है। पेशे से शिक्षक देवेश का बेटा हाईस्कूल में पढ़ता है। वह देर रात तक सोशल मीडिया पर चैटिंग करता है। जिसकी वजह से वह रोजाना तीन घंटे भी नींद नही ले पाता है। धीरे धीरे उसके सिर में दर्द भी रहने लगा है। इन तीनों का फिलहाल डॉक्टर के पास इलाज चल रहा है।
तमाम बीमारियों का एक कारण यह भी
डॉक्टर्स का कहना आजकल कम नींद लेने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पहले तो लोगों को समझ नही आता लेकिन बाद में बॉडी भी अधिक नींद नही लेने देती। इसका परिणाम यह होता है कि लोग भूलने की बीमारी, थकावट, आंखों में सूजन, काले घेरे, हार्ट अटैक, सिर में दर्द आदि समस्याओं से ग्रसित होने लगते हैं। नींद कम आने को डॉक्टर्स शार्ट स्लीपर सिंड्रोम भी कहते हैं। यह बीमारी साइलेंट तरीके से आती है और बाद में पूरे बॉडी फंक्शन को नुकसान पहुंचा देती है।
ओपीडी में कई ऐसे मरीज आते हैं जो शार्ट स्लीपर सिंड्रोम से ग्रसित होते हैं। आजकल का ट्रेंड हो गया है कम नींद लेना। शुरुआत में लोग किसी कारण से ऐसा करते हैं और बाद में बॉडी इसे अपनी आदत में शमिल कर लेती है। इसकी वजह से तमाम शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी होती हैं।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक