माहभर से चल रहा कल्पवास मेला माघी पूर्णिमा स्नान के बाद समाप्त हो जाएगा

कल्पवासी अपने साथ ले जाएंगे यहां की दीक्षा और संस्मरण, संत- महात्मा भी हो जाएंगे रवाना

प्रयागराज- संगम पर माहभर से चल रहा कल्पवास माघी पूíणमा स्नान पर्व से समाप्त हो जाएगा। माह भर से यहां कल्पवास कर रहे लोग शनिवार को पुण्य की डुबकी लगाकर लौट जाएंगे।

घर-गृहस्थी से दूर, सुख-सुविधाओं का त्याग करके रेती पर भजन, पूजन करने वाले गृहस्थ लौटते समय साथ ले जाएंगे संतों से मिले धाíमक संस्कार, दीक्षा व संगमनगरी में बिताए पल की सुनहरे संस्मरण। कल्पवासियों के साथ संत-महात्मा भी अपने मठ-मंदिर रवाना हो जाएंगे।

यहां संत व गृहस्थों ने परंपरा के अनुरूप कल्पवास किया। अब उसकी विदाई की बेला आ गई है। संतों व कल्पवासियों का शिविर शुक्रवार से उखड़ने लगे। सगे-संबंधी सामान समेट में जुटे रहे। शनिवार को स्नान करके पूर्वजों, आराध्य का स्मरण व पूजन करके कल्पवासी घर के लिए रवाना होंगे। प्रसाद स्वरूप उनके साथ साथ लाया गया तुलसी का पौधा व जौ का पौधा होगा। जौ को कल्पवास आरंभ करते समय शिविर के बाहर बोया था, जो पौधा के रूप में उनके साथ जाएगा।

दोपहर 12.24 बजे तक स्नान का विशेष मुहूर्त

ज्योतिíवद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पूíणमा तिथि शुक्रवार की दोपहर 2.53 बजे लगकर शनिवार की दोपहर 1.51 बजे तक रहेगी। दिन मघा नक्षत्र शनिवार की दोपहर 12.24 बजे तक है। स्नान का विशेष योग मघा नक्षत्र के रहने के दौरान है.मकर राशि में वृहस्पति, बुध व शनि का संचरण होने से त्रिग्रहीय योग का संयोग बन रहा है।